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हिंदी पुस्तकों को रखा जाता है किसी कोने में

पुस्तक मेलों के आयोजकों को इस दिशा में दिखानी होगी उदारता अच्छी पुस्तकें होने पर हिंदी पाठकों का झुकाव बढ़ेगा खरीदारी पर आसनसोल : हिंदी भाषी पुस्तक प्रेमियों ने शिल्पांचल के पुस्तक मेलों में हिंदीभाषी स्टॉलों की संख्या बढ़ाने को लेकर आयोजकों का ध्यान आकृष्ट करते हुए अच्छे लेखकों एवं साहित्यकारों की पुस्तकों को शामिल […]

पुस्तक मेलों के आयोजकों को इस दिशा में दिखानी होगी उदारता

अच्छी पुस्तकें होने पर हिंदी पाठकों का झुकाव बढ़ेगा खरीदारी पर
आसनसोल : हिंदी भाषी पुस्तक प्रेमियों ने शिल्पांचल के पुस्तक मेलों में हिंदीभाषी स्टॉलों की संख्या बढ़ाने को लेकर आयोजकों का ध्यान आकृष्ट करते हुए अच्छे लेखकों एवं साहित्यकारों की पुस्तकों को शामिल करने का आग्रह किया. हिंदीभाषी पाठकों ने कहा स्टॉलों पर पसंदीदा पुस्तकें उपलब्ध रहने पर पाठकों की भीड़ उमड़नी स्वाभाविक है. शिल्पांचल में आयोजित होने वाले पुस्तक मेले में हिंदी की पुस्तकें किसी कोने में सिमटी पड़ी होती हैं. स्टॉल में पर्याप्त, शिक्षामुलक और पसंदीदा पुस्तकों का न होना ही हिंदी पाठकों की अनुपस्थिति का बडा कारण होता है.
सियाराम अग्रवाल ने कहा कि शिल्पांचल में शिक्षित और पठन-पाठन से जुड़े हिंदीभाषियों की संख्या कभी कम नहीं थी. हिंदी पाठकों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. मुख्यमंत्री भी हिंदीभाषियों के शिक्षा संबंधी अपेक्षाओं का ध्यान रखते हुए शिल्पांचल में हिंदी कॉलेज और हंिदूी के शिक्षण संस्थानों को हर स्तर से सर्व संपन्न करने में लगी हैं. पुस्तक मेला आयोजकों को भी हिंदीभाषी पाठकों की रूचि का ध्यान रखना चाहिए.
पुजा अग्रवाल ने कहा कि शिल्पांचल में हिंदी पुस्तक प्रेमियों की कोई कमी नहीं है. शिल्पांचल के पुस्तक प्रेमी पुस्तकों के लिए दूर दराज में आयोजित होने वाले पुस्तक मेलों में खींचे चले जाते हैं. जहां हिंदी की अच्छे प्रकाशकों की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं. वहां पाठकों की भारी भीड़ होती है. शिल्पांचल के पुस्तक मेला आयोजकों को हिंदी भाषी पाठकों की अपेक्षाओं का ध्यान रखना चाहिए.
स्टूडेंट प्रीति सिंह ने कहा कि शिल्पांचल के पुस्तक मेलों में हिंदी की अच्छी पुस्तकों को शामिल करने पर पाठकों की भीड़ लगेगी. हिंदीभाषी पाठक अपने पसंदीदा पुस्तकों की तलाश में रहते हैं. आसनसोल के पुस्तक दुकानों पर भी पाठक अपने पसंद के पुस्तकों का आर्डर देते हैं और पुस्तकें मंगवाकर पढते हैं. जो पुस्तकें मेलों में रहती हैं उन्में से अधिकांश अन्य भाषा से हिंदी में अनुवाद किये गये रहते हैं.
ममता कुमारी ने कहा कि यहां के पुस्तक मेलों में क्ष्ेात्रीय भाषा की पुस्तकों को वरीयता दी जाती है. आयोजकों केा हर भाषा के पाठकों की रूचि का सम्मान करना चाहिए. पुस्तक मेलों में सभी भाषा के साथ साथ हिंदी की पुस्तकों के स्टॉल बढायें जायें. शिक्षाप्रद, ज्ञानवर्धक पुस्तकों को स्टॉल्स में शामिल किया जाये.

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