युवा पीढ़ी में पुस्तकों के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास की जरूरत

रानीगंज : रानीगंज चेंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद खेतान ने पुस्तक मेला में पुस्तकों की खरीदारी करते हुये कहा िक पुस्तक की महता को अतिरंजित करके नहीं रखा जा सकता. लेकिन दुख की बात है िक पुस्तकों से लोगों का लगाव कम होता जा रहा है. इस पर गंभीरता से विचार करना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2018 5:29 AM

रानीगंज : रानीगंज चेंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद खेतान ने पुस्तक मेला में पुस्तकों की खरीदारी करते हुये कहा िक पुस्तक की महता को अतिरंजित करके नहीं रखा जा सकता. लेकिन दुख की बात है िक पुस्तकों से लोगों का लगाव कम होता जा रहा है. इस पर गंभीरता से विचार करना होगा. साहित्य को बचाए रखने के लिये निरंतर प्रयत्नशील रहना होगा.

पुस्तक मेला पहुंचे युवा समाजसेवी संजय बाजोरिया ने कहा िक इस बार पुस्तक मेले की भव्यता देखते बन रही है. प्रख्यात पुस्तक स्टाल के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों के आगमन ने मेले का खास बना दिया है. पुस्तकों के प्रति नई पीढ़ी को जागरूक करना होगा. बच्चे आज कंप्यूटर तथा मोबाइल के पीछे लगे रहते हैं. इससे उन्हें उबारने के लिए पुस्तकों के प्रति जागरूक करना होगा.
बोगड़ा से पुस्तक मेला में आये मनोहर व्यास ने कहा िक रानीगंज पुस्तक मेला में प्रत्येक वर्ष पहुंचकर वे पुस्तकें खरीदते हैं. यहां के लोगों का पुस्तकों के प्रति काफी अनुराग है. मुंशी प्रेमचंद, गुलजार जैसे साहित्यकारों की पुस्तकों की आवश्यकता थी. यह पुस्तक मेला में मुझे उपलब्ध हो गयी. मैं संगीत से जुड़ा हूं. यहां पर रोजाना बाहरी कलाकारों द्वारा संगीत का आयोजन काफी प्रसन्नता का विषय है.
युवा समाजसेवी सांवरमल सिंघानिया ने कहा िक वह जयपुर में रहते थे. वहां आयोजित पुस्तक मेले से हमेशा पुस्तकें खरीदना उनकी शौक में शामिल था. रानीगंज पुस्तक मेला उसके अनुपात में भले ही छोटा है लेकिन यहां पर भी मनपसंद की पुस्तकें मिल जाती हैं. उन्होंने कहा िक नई पीढ़ी का पुस्तकों के प्रति रुझान घट रहा है. उनमें पुस्तकों के प्रति रुचि बढ़ाने के लिये हम सभी को प्रयास करने की जरूरत है.
शिक्षक मानस बनर्जी ने कहा िक प्रत्येक वर्ष पुस्तक मेला में आता हूं,
कुछ पुस्तकें अवश्य खरीदता हूं. हमें अपने बच्चों को भी पुस्तकें खरीदने के लिए प्रेरित करना चाहिये ताकि उनका पुस्तकों के प्रति लगाव बढ़े. इंटरनेट युग में उन्हें पुस्तक पढ़ने के लिये भी प्रेरित करना होगा. तब ही पुस्तकों की सार्थकता बनी रहेगी.

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