सात को सोनपुर बाजारी की रोकेंगे ट्रांसपोर्टिंग

जटिलता. टेंडर-टेंडर के खेल में 2268 पूर्व निजी सुरक्षाकर्मी सात माह से बेरोजगार सात माह से बिना कार्य के आंदोलन कर रहे पूर्व निजी सुरक्षाकर्मियों ने आखिरकार ‘करो या मरो’ की तर्ज पर अंतिम लड़ाई लड़ने की घोषणा कर दी है. हालांकि इसीएल प्रबंधन ने नये सिरे से टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2018 4:47 AM

जटिलता. टेंडर-टेंडर के खेल में 2268 पूर्व निजी सुरक्षाकर्मी सात माह से बेरोजगार

सात माह से बिना कार्य के आंदोलन कर रहे पूर्व निजी सुरक्षाकर्मियों ने आखिरकार ‘करो या मरो’ की तर्ज पर अंतिम लड़ाई लड़ने की घोषणा कर दी है. हालांकि इसीएल प्रबंधन ने नये सिरे से टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू की है. जिसके मार्च तक पूरा होने की संभावना है.
आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की नीतियों के कारण इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (इसीएल) से छंटनीग्रस्त 2268 निजी सुरक्षा कर्मियों का पुनर्बहाली का मामला उलझ गया है. पिछले सात माह से छंटनीग्रस्त निजी सुरक्षाकर्मी लगातार आंदोलन किये जा रहे हैं. आगामी सात फरवरी को उन्होंने कंपनी के सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट सोनपुर बाजारी परियोजना की ट्रांसपोर्टिग बंद करने की घोषणा कर दी है. वहीं टेंडर के नाम पर प्रबंधन समय को लंबा खींच रहा है. पश्चिम बर्दवान जिला प्रशासन की भी भूमिका कारगर साबित नहीं हो पा रही है. दोनों पक्षों के बीच के टकराव के कारण कंपनी का प्रदर्शन भी प्रभावित होने लगा है.
क्या कहते हैं संबंधित पक्ष
अधिकार की संयुक्त सचिव सुदीप्ता पाल ने कहा कि प्रबंधन की नीतियों से निजी सुरक्षाकर्मी भूखमरी के शिकार है. प्रबंधन अब मार्च तक का समय मांग रहा है. कर्मियों को प्रबंधन पर भरोसा नहीं है. या तो टेंडर फाइनल होने तक इसीएल स्वयं नियोजित करें या वैकल्पिक रोजगार दें. उन्होंने कहा कि आगामी सात फरवरी से ‘करो या मरो’ की तर्ज पर सोनपुर बाजारी प्रोजेक्ट की ट्रांसपोर्टिग ठप की जायेगी. कंपनी के मुख्य सुरक्षा अधिकारी कैप्टन तन्मय दास ने कहाकि फरवरी कंपनी का पिक टाइम है. पहला टेंडर तकनीकी कारणों से रद्द हो गया है. नये टेंडर की प्रक्रिया जारी है. आंदोलन करने से प्रक्रिया बाधित होगी तथा इसका खामियाजा इन पूर्व सुरक्षाकर्मियों को ही भुगतना होगा. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मोर्चा जैक के संयोजक सह पूर्व सांसद आरसी सिंह ने कहा कि यूनियनें इसके पक्ष में आंदोलनरत रही है. प्रबंधन को बिना विलंब किये इन श्रमिकों को नियोजित करना चाहिए. अन्यथा इसके लिए आंदोलन होगा और हानि कंपनी को होगी.
फरवरी में पिकआवर होने के कारण इसीएल प्रबंधन की बढ़ेगी परेशानी
सीआइएल की नीतियों में बदलाव
इधर इसीएल के खदानों को लेकर प्रबंधन की नीतियां व प्राथमिकताएं बदलती रही. खुली खदानें निजी कंपनियों के माध्यम से आउटसोर्सिग कर लाभ कमाती रही तथा विभागीय स्तर पर चल रही भूमिगत खदानों से उत्पादन घटने लगा. समय के साथ ये खदाने भारी घाटे में चलने लगी तथा सीआइएल ने विभिन्न अनुषांगिक कोयला कंपनियों में घाटे में चल रही 37 भूमिगत खदानों को बंद करने का निर्णय ले लिया. इनमें इसीएल की आधा दर्जन से अधिक खदानें शामिल है. प्रबंधन स्थायी कर्मियों को या तो वीआरएस के तहत छंटनी करना चाहता है या इन श्रमिकों को विभागीय सुरक्षाकर्मियों के रूप में समायोजित करना चाहता है. इसके लिए आवश्यक है कि निजी सुरक्षाकर्मियों की छंटनी की जाये. ताकि उनके स्थान पर इन विभागीय कर्मियों को लगाया जा सके.
एक जुलाई को हो गयी छंटनी
इस नीति के तहत ही इसीएल में जब बीते 30 जून, 2017 को निजी सुरक्षा एजेंसी की अनुबंध अवधि समाप्त हुयी तो कंपनी ने नयी एजेंसी को नियुक्त करने की कोई पहल नहीं की. फलस्ववरूप एक जुलाई से 2068 निजी सुरक्षा कर्मी कार्य से हटा दिये गये. पश्चिम बंगाल तथा झारखंड में कंपनी की खदानें होने के कारण सभी इलाकों से निजी सुरक्षाकर्मी हटाये गये. कंपनी के इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन का दौर शुरू हुआ. शुरूआती दौर में केंद्रीय यूनियनों ने भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखायी लेकिन दसवें राष्ट्रीय कोयला वेतन समजाैते के दौरान घाटे में चल रही खदानों की बंदी पर प्रत्यक्ष या परोक्ष सहमति बनने के बाद उनका विरोध समाप्त हो गया. प्रबंधन ने झारखंड में इसके लिए आवश्यकता पड़ने पर होमगार्ड की नियुक्ति का निर्णय लिया. लेकिन पश्चिम बंगाल में उनका आंदोलन चलता रहा.
आंदोलन व टेंडर का खेल है जारी
निजी सुरक्षाकर्मियों के संघर्ष को इसीएल ठेका श्रमिक अधिकार (आसनसोल-दुर्गापुर) यूनियन ने जारी रखा. पुन: कार्य पर वापस लेने की मांग के समर्थन में 14 जुलाई को उसने इसीएल मुख्यालय के समक्ष धरना शुरू किया. 14 दिन बाद हटाये गये ठेका कर्मियों के परिजन आंदोलन में शामिल हो गये. प्रबंधन ने आश्वासन दिया कि 10दिन में टेंडर होगा और सितंबर से कार्य पर वापस लिये जायेंगे. लेकिन टेंडर जारी नहीं हुआ. यूनियन ने 21 अगस्त से आमरण अनशन शुरू किया. कोई पहल नहीं होने पर अनशनकारियों के परिवार की महिलाओं ने इसीएल मुख्यालय में जबरन प्रवेश किया. विभागीय सुरक्षाकर्मियों ने लाठी चार्ज किया. इसके प्रतिवाद में मेनगेट को छह दिनों तक आंदोलनकारियों ने जाम कर रखा. अधिकारी पिछले गेट से आना-जाना करते रहे. इसके बाद महकमाशासक के हस्तक्षेप के बाद त्रिपक्षीय बैठक हुयी. प्रबंधन ने 28 अगस्त को टेंडर जारी करने का आश्वासन दिया. आखिरकार 15 सितंबर को 15 सौ निजी सुरक्षाकर्मियों के लिए टेंडर जारी हुआ. यूनियन ने इसका विरोध किया. लेकिन प्रबंधन के अड़ जाने पर यूनियन ने रोटेशन के आधार पर सभी कर्मियों को नियोजित करने का प्रस्ताव रखा. इसे कंपनी ने स्वीकार कर लिया. लेकिन टेंडर फाइनल नहीं हो सका. नवंबर माह में इन कर्मियों ने पुन: जिलाशासक कार्यालय के समक्ष प्रदर्श्नकिया तथा धरना दिया. एडीएम के स्तर से सूचित किया गयाकि प्रबंधन ने दिसंबर से पुनर्नियोजन का आश्वासन दिया है. इसके बाद आंदोलन समाप्त हुआ. पांच दिसंबर को द्विपक्षीय बैठक हुयी. प्रबंधन ने कहा कि तकनीकी कारणों से टेंडर के रद्द होने की संभावना है. बैठक विफल रही. आंदोलनकारियों ने सोनपुर बाजारी प्रोजेक्ट सहित तीन खदानों की ट्रांसपोर्टिग रोक दी. इसके बाद पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप पर वार्ता हुयी. कहा गया कि 20 दिसंबर तक टेंडर फाइनल होगा. 15 जनवरी से कार्य मिलेगा. लेकिन जनवरी बीतने के बाद भी कार्य नहीं मिला है.
क्या है पूरा मामला
देश में उदारीकरण की नीतियों के प्रभावी होने तथा कोल इंडिया को मिलनेवाली सबसिडी पर लगी रोक के बाद इसीएल ने वर्ष 1992 में निजी कंपनियों को सुरक्षा के लिए अनुबंधित करना शुरू किया. सीआईएसएफ कर्मिर्यो की अनुपलब्धता तथा विभागीय सुरक्षाकर्मियों की संख्या में कमी के कारण कंपनी ने कोयला खदानों की सुरक्षा में निजी सुरक्षाकर्मियों को एजेंसी के माध्यम से नियुक्त करना शुरू किया. बाद में इस कार्य से पूर्व सैनिकों की सहकारी संस्थाएं जुड़ गयी. लेकिन सुरक्षाकर्मी के रूप में स्थानीय ग्रामीण व बेरोजगार युवक ही निजी सुरक्षाकर्मी के रूप में कार्य करते रहे. अनुबंध के अनुरूप कंपनियां बदलती रही. लेकिन सुरक्षाकर्मी वहीं रहे. मांग के अनुरूप उनकी संख्या बढ़ती रही. इस बीच निजी कंपनियों को लेकर नियमित अंतराल पर विवाद होते रहे तथा अनियमितताओं की जांच की मांग होती रही. स्थिति यह हो गयी कि वर्ष 2017 के आते-आते इसीएल में निजी सुरक्षाकर्मियों की संख्या 2268 कर जा पहुंची.

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