आसनसोल : अपनों से ही घिर गयी है तृणमूल, एक सीट से सात-सात पार्टी प्रार्थियों ने किया है नामांकन
नितुरिया : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का नामांकन तिथि समाप्त हो जाने के बाद पुरु लिया जिले में तृणमूल के बागी प्रत्याशी ही चिंता का विषय बने हुए है. जिले के सभी 20 ब्लॉकों में यही स्थिति है. कहीं-कहीं तो एक ही सीट पर सात-सात उम्मीदवार खड़े है. पार्टी नेतृत्व की सर्वाधिक चिंता जिला परिषद की […]
नितुरिया : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का नामांकन तिथि समाप्त हो जाने के बाद पुरु लिया जिले में तृणमूल के बागी प्रत्याशी ही चिंता का विषय बने हुए है. जिले के सभी 20 ब्लॉकों में यही स्थिति है. कहीं-कहीं तो एक ही सीट पर सात-सात उम्मीदवार खड़े है. पार्टी नेतृत्व की सर्वाधिक चिंता जिला परिषद की 38 सीटों को लेकर है.
पार्टी सूत्रों के अनुसार जिला परिषद को लेकर पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. चुनावी घोषणा के पहले से ही जिले से जिला परिषद उम्मीदवारों का बायोडाटा लिया गया था. दो सौ से अधिक आवेदन जिला अध्यक्ष सह मंत्री शांतिराम महतो के पास जमा हुए. वरीय पार्टी नेताओं तथा विधायको को लेकर जिला मुख्यालय मे कई बार बैठक की गयी लेकिन जिला परिषद के लिये कोई लिस्ट जारी नहीं हो पायी.
इसके बाद कुछ पार्टी के आला नेताओ को अनुमति से और कुछ बागी बनकर जिला परिषद के लिये नामांकन कर दिया. विगत नौ अप्रैल तक हुए नामांकन के अनुसार जिला परिषद की 38 सीटों के लिये तृणमूल के 77 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है. पंचायत समिति की कुल 446 सीटों से तृणमूल के 666 उम्मीदवार तथा ग्राम पंचायत संसदज की 1944 सीटों के लिये 2373 उम्मीदवारो ने नामांकन भरा था.
चुनाव आयोग द्वारा नामांकन के लिये दिये गये अतिरिक्त समय में भी तृणमूल के कई नेताओं ने नामांकन पत्र जमा कर दिया. जिला परिषद के लिए सात, पंचायत समिति के लिए 16 और ग्राम पंचायत संसद के लिए 29 उम्मीदवारो ने नामांकन भर दिया.
इस स्थिति से उबरने के लिये तृणमूल के जिला नेतृत्व के समक्ष कोई समाधान नहीं दिख रहा है. हालांकि पार्टी के राज्य नेतृत्व ने वागियों के खिलाफ क ड़ी कार्रवाई का निर्देश जारी कर रखा है. लेकिन जिले में इस धमकी का कोई असर नहीं पड़ रहा है.
जिला नेतृत्व की परेशानी यह है कि गुटों में बंटी पार्टी के अलग-अलग खेमों का अपना अलग-अलग प्रभाव है. किसी के वरीय पार्टी नेताओं से संपर्क हैं तो कोई जिलाध्यक्ष का करीबी है. कुछ अच्छे संगठक भी है. कोई भी कठोर निर्णय जिला नेतृत्व को सवालों के घेरे में ले सकता है. जिला नेतृत्व पार्टी के जिला ऑबजर्बर सह पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी पर नजर टिकाये हुए है. उनके दौरे के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी.