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पश्चिम बर्दवान जिले में तृणमूल ने रच डाला पंचायत चुनाव का इतिहास

आसनसोल : राज्य के नौवें त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पश्चिम बर्दवान जिला के आठ प्रखंडों में तृणमूल ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए सभी ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद पर कब्जा जमाया. जिला में ग्राम पंचायत के 833 सीटों में से 532 पर तृणमूल उम्मीदवार निर्विरोध थे. जिसके कारण 301 सीटों पर चुनाव […]

आसनसोल : राज्य के नौवें त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पश्चिम बर्दवान जिला के आठ प्रखंडों में तृणमूल ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए सभी ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद पर कब्जा जमाया. जिला में ग्राम पंचायत के 833 सीटों में से 532 पर तृणमूल उम्मीदवार निर्विरोध थे. जिसके कारण 301 सीटों पर चुनाव हुआ जिसमें 273 पर तृणमूल, 13 पर भाजपा, 11 पर माकपा, दो पर निर्दल, एक पर भाकपा और एक पर कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत दर्ज की.
161 पंचायत समिति की सीटों में से 95 पर तृणमूल निर्विरोध जीत दर्ज करने के उपरांत 65 सीटों पर हुए चुनाव में 64 पर तृणमूल और सिर्फ एक सीट पर माकपा के उम्मीदवार को जीत मिली. जिला परिषद की 17 सीटों में से एक सीट तृणमूल के निर्विरोध जीत के बाद 16 सीटों पर हुए चुनाव में सभी सीटों पर तृणमूल के उम्मीदवार को जीत मिली. तृणमूल के जिला अध्यक्ष वी शिवदासन दासू ने इस जीत को मां, माटी, मानुष की जीत बताया और जिले के नागरिकों को तृणमूल का खुलकर समर्थन करने के लिए आभार व्यक्त किया.
भाजपा बनी दूसरी बड़ी पार्टी
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 20 वर्ष बाद पश्चिम बर्दवान जिले के आठ प्रखंडों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा का खाता खुला है. पार्टी जिला अध्यक्ष लखन घोरुई ने कहा कि पंचायत चुनाव में वर्ष 1998 में अंतिम बार भाजपा के उम्मीदवार को जीत मिली थी. उसके बाद यह पहला मौका है, जब ग्राम पंचायत में भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आयी है. इस आतंक की परिस्थिति में जहां नामांकन जमा करने से लेकर मतदान तक गणतंत्र की हत्या हुयी हो, वहां भाजपा के 13 उम्मीदवारों की जीत बहुत कुछ संकेत दे रहा है.
बाराबनी जो माकपा के गढ़ हुआ करता था, वहां माकपा एक भी उम्मीदवार नहीं दे पायी. 92 सीटों में से 75 सीट निर्विरोध जीत थी. शेष 17 सीटों पर चुनाव हुआ वहां भाजपा के तीन उम्मीदवार जीत दर्ज की. यह बड़ी उपलब्धि है. कांकसा में छह और सालानपुर में चार उम्मीदवार को जीत मिली है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जिले में भाजपा के लिए यह काफी अच्छा संकेत है.
माकपा को चार ग्राम पंचायतों में 11 सीट
राज्य की मुख्य विपक्षी दल बाममोर्चा उम्मीदवार को इस चुनाव में काफी निराशा हाथ लगी है. ग्राम पंचायत में माकपा उम्मीदवार को सिर्फ चार प्रखंडों में दुर्गापुर फरीदपुर में एक, कांकसा में तीन, रानीगंज में पांच और सालानपुर में दो कुल 11 सीटों पर जीत मिली. भाकपा का सिर्फ एक उम्मीदवार ही जीत पाया है.
पंचायत समिति, जिला परिषद में सूपड़ा साफ
पंचायत समिति की 161 सीटों में से 95 पर तृणमूल को पहले ही निर्विरोध जीत मिल गयी थी. समिति की 65 सीटों पर चुनाव हुआ. जिसने 64 में तृणमूल को और सिर्फ रानीगंज के एक सीट पर माकपा उम्मीदवार को जीत मिली. जिला परिषद विरोधी शून्य हो गया. सभी के सभी 17 सीटों पर तृणमूल को जीत मिली है.
मतगणना केंद्रों में भी भारी रैगिंग का लगाया आरोप
आसनसोल. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नामांकन से लेकर मतगणना तक आतंक के बीच पूरी मतदान की प्रक्रिया संपन्न हुयी. भाजपा और माकपा ने आरोप लगाया कि मतदान के दिन रानीगंज को छोड़कर किसी भी केंद्र पर विरोधी पार्टी के उम्मीदवारों के एजेंट को केंद्र में दाखिल नहीं होने दिया गया. दाखिल होने पर कुछ जगहों पर बंदूक की नोक पर कुछ जगहों पर मारपीटकर केंद्र से भगा दिया गया.
मतगगणना केंद्र के अंदर इस तरह का कार्य कैसे संभव हुआ?
सालानपुर प्रखण्ड में विजयी उम्मीदवार को हारा हुआ करार दे दिया गया. इन सभी मामलों को लेकर भाजपा ने जिला पंचायत निर्वाचन अधिकारी, पुलिस आयुक्त, अतिरिक्त जिलाशासक (पंचायत) के पास शिकायत दर्ज करायी है. तृणमूल ने सभी आरोपो को बकवास करार दिया है.
मतदान केंद्रों पर ठप्पा मारकर मतपत्रों को रद्द किया गया
भाजपा के जिला सचिव लखन घोरुई ने बताया कि सालानपुर प्रखण्ड के अल्लाडी ग्राम पंचायत में सीट संख्या 49 से भाजपा उम्मीदवार शांतना कुम्भकार विजयी हुयी थी. मतगणना केंद्र में उस टेबल के उम्मीदवार एजेंट ने मतगणना समाप्त होने के बाद वहां बैठे अधिकारी से कागज में वोटों की संख्या लिखने की अपील की. जिसपर अधिकारी ने एक कागज पर लिखा कि भाजपा को 397 वोट, तृणमूल को 187 वोट और माकपा को 32 वोट मिले हैं.
अधिकारी ने कहा कि तीन बजे के बाद जीत का प्रमाण पत्र मिलेगा. बाद में पता चला कि तृणमूल को 397 वोट प्राप्त हुए हैं. सभी केंद्र के अधिकांश टेबल पर काउंटिंग के दौरान यदि विरोधी पार्टी के उम्मीदवार को अधिक वोट मिलते ही तृणमूल के एजेंट विरोधी उम्मीदवार के मतपत्रों पर डबल ठप्पा लगाकर उसे रद्द कर दे रहे थे, ताकि उनके उम्मीदवार को जीत मिल जाये. किसी भी केंद्र में काउंटिंग एजेंट को बैठने नहीं दिया गया. जहां एजेंट बैठे, वहां जब तृणमूल की हालत बिगड़ने लगी तो एजेंट का मारपीटकर बाहर निकाल दिया.
दुर्गापुर फरीदपुर में 11 एजेंट, बाराबनी में चार एजेंट, पाण्डवेश्वर में दो एजेंट, रानीगंज में सात एजेंट, अंडाल में 18 एजेंट, सालानपुर में तीन एजेंट को बाहर केंद्र के अंदर से बाहर निकाल दिये गये. जिला पंचायत निर्वाचन अधिकारी, पुलिस आयुक्त, अतिरिक्त जिला शासक (पंचायत) को शिकायत की गयी है. उन्होंने कहा कि अनेक बूथों पर रिकाउंटिंग को लेकर कानूनी सलाह ली जा रही है. जरूरत पड़ने पर अदालत का सहारा लिया जायेगा.
लूट के वोट में काउंटिंग क्या
माकपा के जिला सचिव गौरांग चटर्जी ने कहा कि नामांकन से लेकर मतगणना तक आतंक का साया बरकरार रहा. यहां मतदान नहीं लूट हुयी है. लूट के वोट की काउंटिंग का क्या मतलब है? जनता इसका जवाब अगले चुनाव में देगी. जहां जहां तृणमूल के गुंडों का विरोध हुआ है, वहां परिणाम सबके सामने है. तृणमूल अंदर से खोखली हो चुकी है.
यह जानकर ही पहले से आतंक का सहारा लिया. मतगणना केंद्र में विरोधी पार्टी के किसी को रहने नहीं दिया गया. अंदर कमरे में क्या चल रहा है, यह कोई नहीं जानता. इसलिए तृणमूल के सभी उम्मीदवार की जीत तो होनी ही थी. मतदान में जो थोड़ी कसर रह गयी थी, उसे मतगणना में पूरा कर लिया. रिकाउंटिंग को लेकर कानून का सहारा लिया जाय या नही इसे लेकर पार्टी की बैठक में जल्द निर्णय लिया जायेगा.
बयानबाजी के बजाय संगठन बनाये
तृणमूल के जिला अध्यक्ष वी शिवदासन उर्फ दासू ने कहा कि भाजपा और माकपा के पास संगठन ही नहीं है. काउंटिंग एजेंट उसका रिलीवर देने के लिए सदस्य ही नहीं है और आरोप तृणमूल पर लगा रहे है. तृणमूल की ऐतिहासिक जीत से सभी विरोधी बौखला गये है . हार का कारण अपने अंदर झांकने के बजाय तृणमूल को दोष मढ़ रहे है. अखबार में बयानबाजी के बजाय संगठन मजबूत करें, आरोप कम हो जायेंगे.

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