परती धानखेती में होगी वैकल्पिक खेती, मकई, कोलाई, अरहर, बादाम की फसलों से किसानों को लाभ
नितुरिया : खरीफ की फसल के मौसम में अमन धान की खेती के बाद भी काफी जमीन खाली रह जाती है. इसे देखते हुए कृषि कार्यालय ने इस वर्ष उन सभी जमीनों पर विभिन्न प्रकार की फसलों के उत्पादन करने का निर्णय लिया है. नितुरिया प्रखंड के गुनियारा ग्राम पंचायत के 13 मौजों में कम […]
नितुरिया : खरीफ की फसल के मौसम में अमन धान की खेती के बाद भी काफी जमीन खाली रह जाती है. इसे देखते हुए कृषि कार्यालय ने इस वर्ष उन सभी जमीनों पर विभिन्न प्रकार की फसलों के उत्पादन करने का निर्णय लिया है. नितुरिया प्रखंड के गुनियारा ग्राम पंचायत के 13 मौजों में कम सिंचाई की आवश्यकता वाले फसलों मसलन मकई, कोलाई, अरहर, बादाम आदि सी फसलों की खेती की जायेगी. नितुरिया ब्लॉक कृषि कार्यालय ने प्रखंड के आस्ता में कार्यशाला आयोजित की. इसमें 150 के लगभग प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया.
शिविर में नितुरिया ब्लॉक के सह कृषि अधिकारी डॉ परिमल बर्मन ने कृषकों को इसके उदेश्य को विस्तारित रूप से जानकारी दी. कृषि अधिकारी ने कहा कि गुनियारा ब्लॉक के 23 मौजों में कमोवेश आमन धान की खेती होती है. आंकड़े के अनुसार करीब 720 हेक्टेयर जमीन परती रह जाती है. जमीन का अधिकांश भाग जमीन टाँड़, ऊंचा और बाईद है. उन इलाकों में जो फसलें कम परिश्रम, कम जल पर होंगी वैसी फसलों का चयन किया गया है. इलाके के किसानों में उनका वितरण भी कर दिया है.
इस कर्मशाला में प्रत्येक फसल की कृषि पद्धति के बारे में चर्चा के साथ ही साथ इसके उत्पादन से लाभ हानि तथा इसके बाजार के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई. रघुनाथपुर महकमा उद्यान पालन कार्यालय के अधिकारी तामसी कोले ने खरीफ फसलों के मौसम में प्याज की खेती के बारे में बताया. सह कृषि अधिकारी (प्रशासन ), अनूप रंजन दास, अरुणाभ मुखर्जी आदि उपस्थित थे.
योजना के तहत 150 हेक्टेयर जमीन पर हाइब्रिड प्रजाति का मकई , श्यामा/बाजरे की खेती 150 हेक्टेयर, बादाम 150 हेक्टेयर जमीन पर, 75 हेक्टेयर जमीन पर कोलाई, 50 हेक्टेयर जमीन पर अरहर तथा पांच हेक्टेयर जमीन पर बाजरे की खेती करने की योजना है.