रथयात्रा की तैयारियां अंतिम चरण में, प्रभु जगन्नाथ के जयघोष से गूंजेगा शहर
दुर्गापुर : शहर के लोग आगे शनिवार को प्रभु जगन्नाथ सहित बलराम और सुभद्रा के रथ को खींचेंगे. इसमें लगभग एक लाख श्रद्धालु शामिल होंगे. रथयात्रा दोपहर तीन बजे दुर्गापुर इस्पात नगरी के बी-जोन स्थित जगन्नाथ मंदिर परिसर से शुरू होगी. लगभग 35 फीट ऊंचे और 15 फीट चौड़े रथ पर सवार होकर प्रभु जगन्नाथ, […]
दुर्गापुर : शहर के लोग आगे शनिवार को प्रभु जगन्नाथ सहित बलराम और सुभद्रा के रथ को खींचेंगे. इसमें लगभग एक लाख श्रद्धालु शामिल होंगे. रथयात्रा दोपहर तीन बजे दुर्गापुर इस्पात नगरी के बी-जोन स्थित जगन्नाथ मंदिर परिसर से शुरू होगी. लगभग 35 फीट ऊंचे और 15 फीट चौड़े रथ पर सवार होकर प्रभु जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा मौसीबाड़ी के लिये रवाना होंगे.
वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ प्रभु को अपने परिवार सहित रथ पर आरूढ़ करवा कर भक्त रथ को खींचने का क्रम शुरू करेंगे. रथयात्रा उत्सव व समाज कल्याण समिति के नेतृत्व में रथयात्रा उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इस अवसर पर दुर्गापुर के इस्पात नगर स्थित राजीव गांधी मेमोरियल मैदान में आयोजित होने वाले रथ मेला की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है.
इस विशाल मेला का भी आयोजन रथयात्रा उत्सव व समाज कल्याण समिति द्वारा किया जाता है. मेला मैदान के 50 हजार वर्ग फुट में लगाया जा रहा है. इसमें 26 हजार वर्ग फुट में केवल टैक्सटाइल मेला लग रहा है. बाकी जमीन पर खाने-पीने, सजावट, श्रृंगार, घरेलू उपयोग की सामग्री की दुकानों के अलावा कई तरह के मनोरंजन के स्टाल लग रहे हैं. मनोरंजन के साधनों में विभिन्न प्रकार के बिजली के झूले, मौत का कुआं, फ्रॉग जम्पिंग आदि लगाये जा रहे हैं.
रथ मेला दुर्गापुर ही नहीं बल्कि इसके आस-पास के इलाकों में लगने वाले सभी मेलों से बड़ा होता है. आयोजन समिति सदस्यों के अनुसार मेला प्रांगण में जल, विद्युत के अलावा महिला व पुरुषों के लिये शौचालय की अलग-अलग व्यवस्था करने के अलावा दूरदराज वाले इलाकों से आये मेला दर्शनार्थियों के लिए देर रात तक बस सेवा का प्रबंध किया जायेगा.
मेले में प्राथमिक चिकित्सा तथा सुरक्षा कर्मी की व्यवस्था भी रहेगी. गौरतलब है कि इस्पात नगरी दुर्गापुर राजेन्द्र प्रसाद रोड स्थित भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के भव्य मंदिर की स्थापना भी रथयात्रा उत्सव व समाज कल्याण समिति ने किया था. समिति का गठन वर्ष 1982 में हुआ था. उसी समय से समिति रथयात्रा व रथ मेला का आयोजन प्रति वर्ष करती है.