बाबुल को उपेक्षित कर गये उनके ही घर में दिलीप

आसनसोल : आसनसोल में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की दोदिवसीय विशेष बैठक में भी स्थानीय सांसद सह केंद्रीय राज्यमंत्री बाबुल सुप्रिय तथा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के बीच का अंतर्विरोध खुल कर सामने आ गया. श्री बाबुल का आरोप है कि उनके क्षेत्र में बैठक होने के बाद भी न तो उन्हें इसकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2018 1:54 AM
आसनसोल : आसनसोल में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की दोदिवसीय विशेष बैठक में भी स्थानीय सांसद सह केंद्रीय राज्यमंत्री बाबुल सुप्रिय तथा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के बीच का अंतर्विरोध खुल कर सामने आ गया. श्री बाबुल का आरोप है कि उनके क्षेत्र में बैठक होने के बाद भी न तो उन्हें इसकी पूर्व सूचना दी गई और न उनकी राय ली गई.
जबकि प्रदेश अध्यक्ष श्री घोष ने उनके तथ्यों को एक सिरे से खारिज कर दिया. बैठक में श्री बाबुल के अनुपस्थित रहने से कई सवाल उठ भी उठ रहे हैं. सनद रहे कि मेदिनीपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा के दौरान भी दोनों के मतभेद खुल कर सामने आ गये थे.
आसनसोल में दोदिवसीय बैठक होने के कारण पार्टी कर्मियों को लग रहा था कि बैठक में श्री बाबुल भी उपस्थित रहेंगे तथा इससे आसनसोल संसदीय क्षेत्र के कर्मियों में काफी उत्साह आयेगा. क्योंकि प्रदेश कार्यकारिणी की विशेष बैठक राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे तथा प्रधानमंत्री श्री मोदी की सभा के बाद हो रही थी.
अध्यक्ष श्री शाह ने 42 में से 22 संसदीय सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है. लेकिन पार्टी नेताओं के बीच खासकर श्री बाबुल तथा प्रदेश अध्यक्ष श्री घोष के बीच विवाद गहराता जा रहा है. इसे पार्टी के लिए कहीं से भी शुभ नहीं माना जा रहा है. यह भी माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष श्री घोष ने आसनसोल में बैठक कर तथा श्री बाबुल को इससे दूर रख कर उन्हें अपना वर्चस्व दिखाने की कोशिश की है.
क्या कहते हैं बाबुल
स्थानीय सांसद श्री बाबुल संसद के सत्र चलने के कारण दिल्ली में हैं. उन्होंने कहा कि संसद का सत्र चल रहा है. पार्टी ने व्हीप जारी कर रखा है. इस स्थिति में आसनसोल में चल रही बैठक में शामिल होने का सवाल ही नहीं है. बैठक की तिथि निर्धारित करने से पहले उनसे यदि बात की गई होती तो बेहतर होता. उन्होंने स्वीकार किया कि बैठक आसनसोल में होने तथा उनके अनुपस्थित रहने से पार्टी कर्मियों में गलत संदेश गया है.
उन्हें लग रहा है कि आसनसोल में पार्टी की इतनी महत्वपूर्ण बैठक हुई तथा स्थानीय सांसद ही शामिल नहीं हुए. संसद के सत्र के समय इस बैठक का औचित्य उनकी समझ से परे हैं. उन्होंने स्पष्ट कहा कि बैठक के बारे में उनसे कोई चर्चा नहीं की गई है. यहां तक कि बैठक के मुद्दों की भी जानकारी उन्हें नहीं दी गई है. जबिक सासंद होने के नाते वे पार्टी की प्रदेश कोर कमेटी के सदस्य हैं.
क्या कहते हैं दिलीप घोष
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री घोष श्री बाबुल की इन बातों को कोई तरजीह ही नहीं देते. उनका कहना है कि इन सब बातों का कोई औचित्य नहीं है. वे भी राज्य विधानसभा के सदस्य यानी विधायक हैं. उन्होंने इस बैठक में शामिल होने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से अनुमति ले ली है. दूसरे शब्दों में उनका कहना था कि यदि श्री बाबुल को आना होता तो वे आ ही सकते थे. उन्होंने अन्य मुद्दों पर कोई टिप्पणी नहीं की.
क्षेत्र से उम्मीदवारी पर भी रखा गया संशय
आगामी संसदीय चुनाव में आसनसोल संसदिय सीट से स्थानीय उम्मीदवार होगा या बाहर का उम्मीदवार, इस पर प्रदेश अध्यक्ष श्री घोष ने कहा कि समय आने पर स्थिति स्पष्ट हो जायेगी. अभी से कुछ भी कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि बदलते राजनीतिक समीकरण में आसनसोल से कई बड़े नेता भाजपा में शामिल होने को तैयार हैं, परंतु उन्हें संगठन में शामिल करने से पहले कई मानकों पर उनकी परखा जायेगा
नेताओं ने स्वीकारा गलत संदेश
पार्टी के वरीय नेताओं ने मीडिया से खुद को अलग रखा. स्थानीय वरीय नेताओं ने कहा कि श्री बाबुल को शामिल न करना या इस तरह उपेक्षित करना सही नहीं है. इससे गलत संदेश गया है. पार्टी के व्हीप का उल्लंघन कर बाबुल का आसनसोल आना आसान नहीं है. पार्टी के सामने काफी चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है. इस तरह नेताओं में दूरी रहने से कर्मियों में हताशा होगी तथा परिणाम बेहतर नहीं होगा.
पीएम की सभा में भिड़े थे दोनों
बीते 16 जुलाई को मेदिनीपुर में प्रधानमंत्री श्री मोदी की सभा में भी श्री घोष तथा श्री बाबुल आपस में भिड़ गये थे. दरअसल पीएम श्री मोदी का स्वागत श्री घोष करने जा रहे थे. श्री बाबुल ने कहा कि वे भी स्वागत में शामिल होंगे. श्री घोष ने उन्हें रोक दिया. श्री बाबुल नाराज हो गये. श्री घोष ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति हो तो पार्टी के केंद्रीय कार्यालय से पूछ ले. सभा के दौरान भी जब श्री बाबुल ने कोई टिप्पणी की तो श्री घोष ने करारा जबाब दिया था. उनका कहना था कि जिन्हें अपनी राय देनी हो, समय से पहले दे तथा सहयोग करें. सिर्फ टिप्पणी करने का कोई औचित्य नहीं है.

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