ट्रेड यूनियन एक्ट में होगा बदलाव

सांकतोड़िया : ट्रेड यूनियन एक्ट में बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है. इससे श्रमिक संगठन के लिए पंजीयन कराना आसान हो जायेगा. इससे केंद्र एवं राज्य स्तर पर ट्रेड यूनियन को नई पहचान मिल पाएगी, वहीं यूनियन या महासंघ को मान्यता भी मिल जायेगी. भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष जयनाथ चौबे ने कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2018 4:07 AM
सांकतोड़िया : ट्रेड यूनियन एक्ट में बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है. इससे श्रमिक संगठन के लिए पंजीयन कराना आसान हो जायेगा. इससे केंद्र एवं राज्य स्तर पर ट्रेड यूनियन को नई पहचान मिल पाएगी, वहीं यूनियन या महासंघ को मान्यता भी मिल जायेगी. भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष जयनाथ चौबे ने कहा कि श्रमिक संगठन को वर्तमान नियमों के तहत पहले मुख्य श्रमायुक्त (केंद्रीय) से सत्यापित कराना पड़ता था.
इसके बाद श्रम एवं रोजगार मंत्रालय उसे मान्यता देता है. इस समय देश में 12 मान्यता प्राप्त केंद्रीय ट्रेड यूनियन-महासंघ है. जबकि कोल सेक्टर में पांच ही केंद्रीय श्रम संगठन है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मान्यता के आधार पर ही यूनियन प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और समितियों में प्रतिनिधित्व की अनुमति होती है.
श्रमिक संघ प्रतिनिधियों की ओर से अब तक आरोप लगाया जाता था कि श्रम मंत्रालय को छोड़ कर किसी अन्य तरह के सांविधिक समर्थन के अभाव में केंद्र और राज्य सरकार ट्रेड यूनियनों या महासंघों को अधिक महत्व नहीं देता है. इस आरोप से निपटने के लिए ट्रेड यूनियन एक्ट में बदलाव की तैयारी शुरू की गई है.
इस प्रस्ताव के अनुसार ट्रेड यूनियन की मांग है कि केंद्र सरकार के मंत्रालय और राज्य सरकार की ओर से इन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों को किसी सांविधिक समर्थन के अभाव में अधिक महत्व दिया जाता है. इसके मद्देनजर ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है, जिसके तहत केंद्र और राज्य स्तर पर ट्रेड यूनियन-महासंघ को मान्यता के प्रावधान को शामिल करने का प्रस्ताव है.
उन्होंने कहा कि ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 को संशोधित कर अधिनियम की धारा 29 (2) के बाद नयी धारा 28 ए और उपधारा (2 ए) को जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है. एटक के वरिष्ठ नेता शांतिगोपाल मुखर्जी का कहना है कि एक्ट में बदलाव से यूनियन को मान्यता लेने में आसानी होगी. अब तक केंद्र से ही मान्यता मिलती थी, पर अब राज्य स्तर पर भी मान्यता मिल जायेगी. संशोधन विधेयक 2018 के मसौदे पर अंशधारकों को 10 अगस्त तक टिप्पणी देनी है. इसके बाद एक्ट में संशोधन की प्रक्रिया आरंभ की जायेगी.

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