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पर्याप्त सुरक्षा के बाद ही महिलाओं को खदान में उतारे कोल इंडिया

सांकतोड़िया : कोयला खदान में महिला कर्मियों को उतारने की तैयारी कोल इंडिया स्तर पर की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ दफ्तर में काम करने वाली महिला कर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिल रही. इससे श्रमिक संघ प्रतिनिधियों में आक्रोश व्याप्त है. बीएमएस ने प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि कंपनी स्वच्छता अभियान का […]

सांकतोड़िया : कोयला खदान में महिला कर्मियों को उतारने की तैयारी कोल इंडिया स्तर पर की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ दफ्तर में काम करने वाली महिला कर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिल रही. इससे श्रमिक संघ प्रतिनिधियों में आक्रोश व्याप्त है. बीएमएस ने प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि कंपनी स्वच्छता अभियान का ढिंढोरा पीट कर वाहवाही लूट रही है और वास्तव में महिला कर्मियों के लिए शौचालय की व्यवस्था तक नहीं की जा रही.
हाल ही में डब्ल्यूसीएल में एक महिला कर्मी के साथ हुये दुष्कर्म के बाद जानलेवा हमला के मामले ने कोल प्रबंधन की नींद उड़ा दी है. कर्मचारी ही नहीं श्रमिक संघ प्रतिनिधियों में इस घटना को लेकर आक्रोश व्याप्त है. उनका कहना है कि महिलाओं को कंपनी पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे पा रही है और खदान में काम कराने की तैयारी में जुट गई है. ईसीएल में महिला कर्मियों को सुरक्षा नहीं मिल पा रही है. इस संबंध में श्रमिक नेताओ ने कहा की शौचालय निर्माण के लिये कोल इंडिया वाहवाही लूट रही है, पर खदान एरिया में महिला कर्मियों के लिए व्यवस्था करने में असफल है.
कोयला उद्योग में प्रधानमंत्री संचालित स्वच्छता अभियान सिर्फ राजनीतिक भाषणों एवं फोटोशूट तक ही सिमट कर रह गई है. उन्होंने कहा कि कोल इंडिया के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि महिला कर्मी के साथ ऐसी शर्मनाक घटना हुई. बीएमएस इस घटना की निंदा करता है और प्रबंधन से मांग करता है कि सभी खदान एरिया में महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जाये. साथ ही असंवेदनशील कोयला प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिये. बीएमएस के प्रदेश सचिव जयनाथ चौबे ने कहा कि इसीएल भी सभी खदान एरिया में उचित सुरक्षा व्यवस्था के लिए कमेटी गठित कर जांच कराई जाये ताकि जिन स्थानों पर सुविधा का अभाव हो, वहां व्यवस्था दुरूस्त की जा सके.
यहां यह बताना लाजिमी होगा कि कोल प्रबंधन अब खदान में भी महिलाओं से कार्य लेने की तैयारी में जुट गया है. बैठक कर रूपरेखा बनाई गई है और एक कमेटी का भी गठित की गयी है. हालांकि प्रबंधन की इस कार्यप्रणाली पर श्रमिक संघ प्रतिनिधियों ने पहले ही आपत्ति जताते हुए महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किये हैं. अब इस तरह की घटना से कोल प्रबंधन के समक्ष पशोपेश की स्थिति निर्मित हो गई है कि महिला कर्मी को अब खदान में किस तरह कार्य कराया जाये.

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