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केएनयू में गैरशिक्षण अस्थायी कर्मियों का रिले अनशन शुरू

आसनसोल : दस सूत्री मांगों के समर्थन में सारा बांग्ला तृणमूल शिक्षाबंधु समिति ने काजी नजरूल यूनिवर्सिटी के मुख्य प्रवेश द्वार के समक्ष शुक्रवार से रिले भूख हड़ताल शुरू की. इसमें गैर शिक्षण अस्थायी कर्मी शामिल हुए.नेतृत्व कर रहे गणेश रूईदास ने कहा कि यूनिवर्सिटी स्तर से गैर शिक्षण कर्मियों को स्थायी करने के स्थान […]

आसनसोल : दस सूत्री मांगों के समर्थन में सारा बांग्ला तृणमूल शिक्षाबंधु समिति ने काजी नजरूल यूनिवर्सिटी के मुख्य प्रवेश द्वार के समक्ष शुक्रवार से रिले भूख हड़ताल शुरू की. इसमें गैर शिक्षण अस्थायी कर्मी शामिल हुए.नेतृत्व कर रहे गणेश रूईदास ने कहा कि यूनिवर्सिटी स्तर से गैर शिक्षण कर्मियों को स्थायी करने के स्थान पर उन्हें आगे भी अस्थायी बनाये रखने और एजेंसी के माध्यम से काम करने को विवश किया जा रहा है.
अगस्त में आयूष एजेंसी का कांट्रेक्ट खत्म होने के बाद केएनयू ने वेबेल कंपनी को दायित्व देकर गैर शिक्षण कर्मियों को इसके अधीन काम करने को कह रही है. इस संदर्भ में कर्मियों को मेल कर नियुक्ति पत्र भी भेजे गये हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी एजेंसी के साथ काम करने से पहले कंपनी की जानकारी, कर्मियों को दिये जाने वाले मानदेय, बेसिक, मासिक तनख्वाह, सामाजिक सुरक्षा सुविधाओं पीएफ, इएसआई आदि के बारे में बताया जाना चाहिए था.
रजिस्ट्रार शितांशू गुहा को नयी एजेंसी के प्रतिनिधियों के साथ मिलाने का आग्रह भी किया था और उन्होंने मिलाने का आश्वासन भी दिया था.जिसे उन्होंने पूरा नहीं किया और एजेंसी के साथ काम करने का दबाव दे रहे हैँ. उन्होंने कहा कि किन शर्तों और सुविधाओं के साथ कंपनी के अधीन कांट्रेक्ट पर काम कराया जायेगा इसकी पूरी जानकारी के बिना कोई भी कर्मी योगदान नहीं करेगा. तरूण कुमार दास, संदीप पासवान, बिभाष मंडल, रवि मजूमदार आदि शामिल थे.
यूनिवर्सिटी प्रवक्ता ने कहा कि इससे पहले गैर शिक्षण कर्मी आयूष एजेंसी के अधीन कांट्रेक्ट पर काम करते थे. परंतु अब सरकार से मिले निर्देशानुसार इनके वेतनमान में वृद्धि कर वेबेल टेक्नोलॉजी लिमिटेड के अधीन काम पर रखने को कहा गया है. इस संदर्भ में इन्हें मेल कर नियुक्ति पत्र भी भेजा गया है. परंतु कर्मी योगदान नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कोलकाता यूनिवर्सिटी, प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी व अन्य संस्थानों में भी वेबेल टेक्नोलॉजी के अधीन ही गैर शिक्षण कर्मी नियुक्त किये जा रहे हैं. अगर इन्हें डब्लूटीएल के अधीन नहीं रखा गया तो इनके वेतन का भुगतान कराना संभव नहीं हो पायेगा. उन्होंने कहा कि सरकारी नियमों के विरूद्ध इनकी शर्तों पर नियुक्ति करने में असमर्थ हैं.

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