मोबाइल चोरी होते ही बैंक से निकल गये 12.84 लाख
वर्तमान समय में मोबाइल फोन चलती फिरती तिजोरी बन गया है. इसे संभाल कर रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, अन्यथा बैंकों में जमा सारा कैश कुछ ही पल में गायब हो सकता है. ऐसा ही एक मामला रानीगंज थाना क्षेत्र के सालडांगा बख्तरपाड़ा इलाके के निवासी प्रेमचंद साव के साथ हुआ.
आसनसोल/रानीगंज.
वर्तमान समय में मोबाइल फोन चलती फिरती तिजोरी बन गया है. इसे संभाल कर रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, अन्यथा बैंकों में जमा सारा कैश कुछ ही पल में गायब हो सकता है. ऐसा ही एक मामला रानीगंज थाना क्षेत्र के सालडांगा बख्तरपाड़ा इलाके के निवासी प्रेमचंद साव के साथ हुआ. उनका मोबाइल फोन गुम हुआ और दूसरे दिन बैंक में जाकर उन्होंने देखा तो दो खातों से 12.84 लाख रुपये निकल गये थे. जिसकी शिकायत उन्होंने साइबर क्राइम थाना आसनसोल में की. शिकायत के आधार पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ कांड संख्या 104/24 में बीएनएस की धारा 303/319(2)/318(4)/ 316(2)/61(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई. श्री साव ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके सिमकार्ड के साथ उनका मोबाइल फोन खो गया. दूसरे दिन वह बैंक में अपना पासबुक अपडेट करने के लिए पहुंचे तो उन्होंने पाया कि उनके दो बैंक खातों से कई ट्रांजेक्शन में 12.84 लाख रुपये की निकासी हुई है. जिसके बाद उनके होश उड़ गये. इससे पहले भी साइबर क्राइम थाने में एक नहीं कई मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें मोबाइल फोन गुम, चोरी या छिनताई होने के बाद ही उनलोगों के बैंक खातों से सारा पैसा निकल गया है.अपराधियों के लिए मोबाइल चोरी के काम में जुड़े हैं बड़ी संख्या में युवा
सूत्रों के अनुसार साइबर अपराधियों के लिए बड़ी संख्या में युवक-युवती मोबाइल चोरी के काम में जुड़े हैं. वर्तमान समय में स्मार्ट फोन का उपयोग करनेवाले अधिकांश व्यक्तियों का बैंक का सारा कुछ मोबाइल फोन में ही रहता है. फोन चोरी या गुम होने के बाद जबतक व्यक्ति बैंक का ट्रांजेक्शन बंद करवाता है, उससे पहले ही साइबर अपराधी बैंक खाली कर देते हैं. फोन चोरी होने के तुरंत बाद फोन यदि साइबर अपराधियों को मिलता है तो इसकी कीमत चोरी करनेवालों को फोन की कीमत से दुगना मिलता है. चिनाकुड़ी में ऐसे ही एक गैंग का खुलासा हाल ही में हुआ. ये लोग चोरी का फोन साइबर अपराधियों को बेचते थे और साइबर अपराधियों का फोन का काम हो जाने पर उनसे औने पौने दाम में फोन खरीदकर बेचते थे. श्री साव के मामले से ही साफ हो जाता है कि साइबर अपराधियों के पास चोरी के फोन की क्या कीमत होती होगी. 20 हजार के फोन को 40 हजार देकर लेने में भी उनका फायदा है. एक झटके में 13 लाख रुपये मिल गये. कुछ मामलों में फोन चोरी की शिकायत के बाद भी बैंक से पैसे निकल गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है