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कोयला उद्योग के आउटसोर्स ठेका श्रमिकों की दुर्गापूजा नहीं होती उल्लासपूर्ण

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आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के उत्पादन का तीन-चौथाई जिन आउटसोर्सिंग मजदूरों के जिम्मे है, उन्हें बोनस के रूप में संगठित मजदूरों का दसवां भाग भी नसीब नहीं. बोनस एक्ट 1965 में संशोधन का लाभ ठेका मजदूरों को मिलना था. 10 हजार की सीलिंग भी बढ़ा कर 21 हजार रूपये कर दी गई. पर […]

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आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के उत्पादन का तीन-चौथाई जिन आउटसोर्सिंग मजदूरों के जिम्मे है, उन्हें बोनस के रूप में संगठित मजदूरों का दसवां भाग भी नसीब नहीं. बोनस एक्ट 1965 में संशोधन का लाभ ठेका मजदूरों को मिलना था. 10 हजार की सीलिंग भी बढ़ा कर 21 हजार रूपये कर दी गई. पर यह मजदूरों तक अभी तक झुनझुना ही है. ऐसे में मजदूरों के बीच बोनस की चर्चा गरम है. और प्रबंधन के रवैये पर भी सवाल उठ रहे हैं.
पांच सालों से मिलता रहा झुनझुना
गत वर्ष कोल इंडिया में कार्यरत 3.15 लाख कर्मियों को अब तक का सर्वाधिक 57 हजार रूपये सलाना बोनस (एक्सग्रेसिया) मिला था. इसके विपरीत उद्योग की रीढ़ माने जानेवाले असंगठित मजदूर ठगे रह गये थे. असंगठित मजदूरों को 57 सौ रूपये भी नसीब नहीं हुए. गत वर्ष बोनस को लेकर हुए समझौता में ठेका मजदूरों के खाते में सात हजार रूपये भेज देने पर सहमति जतायी गयी थी.
कुछ कंपनियों के ट्रांसपोर्टरों व ठेकेदारों ने आउटसोर्स के ठेका श्रमिकों को सात हजार रूपये का बोनस दिया था. लेकिन एक बड़ा तबका सलाना बोनस से वंचित रह गया. पिछले पांच सालों से कोल कर्मियों के साथ-साथ ठेका मजदूरों के बोनस पर भी निर्णय होता रहा है. पर ठेका मजदूरों के हाथ कुछ आता नहीं है.
करार जो भी हो, भुगतान होगा या नहीं
कोलकर्मियों के सलाना बोनस को लेकर आगामी 27 सितंबर को दिल्ली में पीएलआरएस (प्रोफिट लिंक रिवार्ड स्कीम) की बैठक है. इस बार कोल कर्मियों को 60-65 हजार रूपये तक सालाना बोनस मिलना तय माना जा रहा है. असंगठित मजदूरों के बोनस पर कोल इंडिया प्रबंधन तथा मजदूर संगठन जिस नतीजे पर पहुंचे, देखना है कि अमल कितना होता है. असंगठित मजदूरों के लिए अगर बोनस तय भी होता है तो कोल इंडिया की सभी अनुषांगिक इकाइयों के ठेका मजदूरों को इसका फायदा कितना होगा, यह देखने की बात है.
बोनस एक्ट में संशोधन से बढ़ा दायरा
केंद्र सरकार ने बोनस एक्ट 1965 में संशोधन का प्रस्ताव केबिनेट में पास कर दिया है. इस प्रस्ताव के अनुसार अब 10 हजार रूपये वेतन की सीलिंग बढ़ा कर 21 हजार रूपये कर दी गई है. सीलिंग बढ़ने से बोनस कम से कम साढ़े सात हजार रूपये तक मिल सकता है. नये प्रस्ताव से बोनस के नये हकदार हो जायेंगे. अभी आउटसोर्स मजदूरों को हाई पावर कमेटी की अनुशंसा के तहत 13 हजार रूपये तक प्रतिमाह मिलते हैं. इसका पालन कोल इंडिया की सभी अनुषांगिक कंपनियों में नहीं हो रहा है.
प्रबंधन के पास सही आंकड़ा नहीं
फिलहाल आउटसोर्स कर्मियों की संख्या 2.5 लाख के करीब है. पर कोल इंडिया प्रबंधन के पास इनका सही आंकड़ा नहीं है. प्रबंधन का कहना है कि उसके पास 82 हजार सूचीबद्ध ठेका मजदूरों की संख्या है. इसके विपरीत ट्रेड यूनियन इनकी संख्या लाखों बताती हैं. निजी मालिक आउटसोर्स के ठेका कार्य के लिए हाई पावर कमेटी की अनुशंसा के अनुसार बढ़ा हुआ पैसा लेते हैं. जिन ठेका मजदूरों की बदौलत कोल इंडिया का तीन चौथाई उत्पादन हो रहा है, वे ही आज बोनस, वेतन व अन्य सुविधाओं से वंचित हैं.
मनमानी पर प्रबंधन का अंकुश नहीं
मालूम हो कि हाई पावर कमेटी के निर्णय के अनुसार बोनस भुगतान का जिम्मा कंपनियों के एरिया महाप्रबंधक का है. जीएम को ही बोनस देना सुनिश्चित करना है. बावजूद इसके प्रबंधन इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखाता है. एटक नेता व जेबीसीसीआइ सदस्य सह पूर्व सांसद आरसी सिंह ने कहा कि 27 सितंबर को बैठक में असंगठित मजदूरों के लिए सीलिंग के अनुसार न्यूनतम साढ़े सात हजार रूपये सलाना बोनस की मांग की जायेगी. कुछ आउटसोर्स कंपनियां तो इसका पालन करती हैं, लेकिन अधिकांश पालन नहीं करती हैं.

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