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इस वर्ष बंद होंगी 53 भूमिगत खदानें !, पिछले वर्ष में घाटे के नाम पर बंद हुई थीं 37 खदानें

आसनसोल : लंबे समय से घाटे में चल रहीं कोयला खदानों को बंद करने के मद्देनजर कोल इंडिया प्रबंधन महत्वपूर्ण निर्णय लेने की तैयारी में है. कंपनी इस साल करीब 53 खदानों को बंद कर सकती है.कोल इंडिया प्रबंधन खानों की सुरक्षा और वित्तीय क्षमता को देखते हुए भूमिगत खदानों की स्थिति सुधारने की कोशिश […]

आसनसोल : लंबे समय से घाटे में चल रहीं कोयला खदानों को बंद करने के मद्देनजर कोल इंडिया प्रबंधन महत्वपूर्ण निर्णय लेने की तैयारी में है. कंपनी इस साल करीब 53 खदानों को बंद कर सकती है.कोल इंडिया प्रबंधन खानों की सुरक्षा और वित्तीय क्षमता को देखते हुए भूमिगत खदानों की स्थिति सुधारने की कोशिश में है.
सुरक्षा और वित्तीय कारणों का हवाला देकर पिछले वर्ष 37 भूमिगत खदानें बंद कर दी गईं. चिन्हित घाटेवाली खदानों में 376 खदानें हैं और सभी भूमिगत खदानें हैं. उच्चस्तरीय यंत्रीकृत खदानें लाभ में हैं और बंदी के इस अभियान से बाहर हैं. इनमें एचडीएल थथा एलएसडी मशीनें लगी हुई हैं.
कन्वर्सन से बचेंगी कुछ भूमिगत खदानें
कोल इंडिया के राष्ट्रीयकरण के समय कई भूमिगत खदानें विरासत में मिली थीं. उस समय सात सौ से अधिक खदानें थी, पर अब रोज ही खदानों की बेहतरी के कदम उठानें पड़ रहे हैं. इसी दिशा में प्रबंधन कुछ खदानों को मिश्रित खदानों में बदलने की कोशिश कर रहा है और कुछ को ओपेन कास्ट में बदला जा सकता है.
आइआइटी-आइएसएम का इंतजार
कोल इंडिया ने आइआइटी –आइएसएम से इन भूमिगत खदानों को बंद करने, अन्य खदानों में मिलाने और खुले में कार्य करने के लिए परिवर्त्तित करने का समाधान मांगा है. छह महीने में रिपोर्ट आने की संभावना है. दूसरी ओर कोल इंडिया ने उत्पादन और बिक्री में योजनाबद्ध विकास के लिए रेल परियोजनाओं के साथ काम शुरू किया है.
कोयला निकासी के लिए 13 परियोजनाएं चिन्हित की गई हैं. उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करते हुए सीआइएल को अपनी विकास दर बढ़ानी होगी. परियोजनाओं को शुरू करने के लिए तीन योजनाओं को कोयला कंपनियां वित्तीय सहायता देंगी. चार योजनाओं को विशेष उद्देश्यवाले वाहनों द्वारा और छह योजनाओं को रेलवे द्वारा वित्त पोषित किया जायेगा.
खदान बंदी से हजारों होंगे प्रभावित
कोल इंडिया प्रबंधन ने कोयले के डिमांड में कमी, मुनाफा में गिरावट और दसवें वेतन समझौता में कोयला मजदूरों की ऊंची मांग से परेशान होकर खर्च में कटौती के लिए 37 भूमिगत खदानों को बंद करने का फैसला किया था और इनमें सभी 37 चिन्हित खदानें बंद कर दी गयीं. इनमें सीसीएल-बीसीसीएल की पांच-पांच तथा इसीएल व डब्ल्यूसीएल की दस-दस खदानें शामिल हैं.
शेष अन्य अनुषांगिक कंपनियों की हैं. घाटा देनेवाली खदानों को चला कर कंपनी का बैलेंस शीट खराब करना उचित नहीं है, इसी तर्क पर यह निर्णय लिया गया. कहा गया कि इन खदानों क बंद कर प्रशासनिक मद और रॉ मेटेरियल के खर्च में कटौती कर पैसा बचा सकते हैं. दूसरी ओर बंद होनेवाली खदान के मजदूरों के लिए वीआरएस या गोल्डेन हैंड शेक स्कीम लाने पर गंभीरता से पहल हो रही है. डब्ल्यूसीएल ने इस बाबत कोल इंडिया के तकनीकी निदेशक को काफी पहले प्रस्ताव भेजा था.
मजदूर संगठन विरोध में
कोल इंडिया की घाटे में चलनेवाली खदानों पर गाज गिरनी है. डब्ल्यूसीएल की खदानों का उत्पादन लागत सबसे अधिक है. कोल इंडिया में वित्तीय वर्ष 2016-17 में 554 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ. इसमें 200 भूमिगत खदानों का योगदान मात्र पांच प्रतिशत था. कोल इंडिया प्रबंधन पिछले दो दशक से भूमिगत खदानों को बंद करने का प्रयास कर रहा है. खदानों की बंदी का मजदूर संगठन पुरजोर विरोध करते रहे हैं.

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