आसनसोल : शहीद-ए-आजम भगत सिंह को धर्म से जोड़ना बेहद शर्मनाक

विभिन्न स्कूलों, कॉलेज के शिक्षकों ने कहा इसे इतिहास से खिलवाड़ मेयर जितेंद्र तिवारी से आग्रह-प्रतिमा को पूर्व रूप में लाने का दें आदेश आसनसोल : शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा के साथ खंड़ा जोडे जाने का शहर के शिक्षकों ने भारी विरोध किया है. उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ गलत संदेश जा रहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 30, 2018 4:22 AM
  • विभिन्न स्कूलों, कॉलेज के शिक्षकों ने कहा इसे इतिहास से खिलवाड़
  • मेयर जितेंद्र तिवारी से आग्रह-प्रतिमा को पूर्व रूप में लाने का दें आदेश
आसनसोल : शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा के साथ खंड़ा जोडे जाने का शहर के शिक्षकों ने भारी विरोध किया है. उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ गलत संदेश जा रहा है, बल्कि इतिहास को भी बदलने की शर्मनाक कोशिश की जा रही है. उन्होंने इस मामले में मेयर जितेन्द्र तिवारी से हस्तक्षेप करने तथा प्रतिमा को पूर्ववत करने की मांग की है.
दयानंद विधालय (आसनसोल) के शिक्षक प्रभारी मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि भगतसिंह राष्ट्र धर्म को सर्वोपरि और देशसेवा को जीवन का मुख्य उद्देश्य मानते थे. वे देश के युवाओं के लिए सदैव प्रेरणादायक बने रहेंगे.
उन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया था. उनके जैसे महापुरुष को किसी जाति या धर्म में बांधना अनुचित तथा शर्मनाक हैं. वे पूरे देश की थाती हैं.
डीएवी विद्यालय (एचएस) आसनसोल के शिक्षक प्रभारी उपेन्द्र कुमार सिंह ने उन्हें राष्ट्रीय हीरो बताया. उन्होंने कहा कि जालियांवाला बाग नरसंहार किशोर भगत सिंह के जीवन में नया मोड़ ले आया और वे पूरी तरह से अंग्रेज़ों के विरूद्घ उठ खड़े हुये.
भगतसिंह जैसे व्यक्तित्व को धर्म विशेष से जोड़ कर देखना अनुचित है. इस मामले में मेयर श्री तिवारी को पहल करनी चाहिए, क्योंकि इससे युवा पीढ़ी में गलत संदेश जा रहा है.
इसी स्कूल के इतिहास विषय के शिक्षक सुभाष कुमार पांडे ने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान गुलाम भारत में जब गांधी और राष्ट्रीय कांग्रेस का कोई विकल्प नहीं था , तब भगतसिंह सशस्त्र आंदोलन के साथ क्रांतिकारी के रुप में उभरे थे जिसकी छवि औरों से बिलकुल अलग थी.
क्रांति के लिए ही उन्होंने अपनी शहादत दी. उन्होंने स्वयं लेख लिख कर धर्म से खुद को अलग रहने की घोषणा की थी. उन्हें धर्म से जोड़ना शर्मनाक तथा उनकी शहादत के साथ अन्याय है.
पूर्व रेलवे उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (आसनसोल) के हिंदी विभाग के शिक्षक अवधेश कुमार अवधेश ने कहा कि किसी भी स्वतंत्रता सेनानी को धर्म से जोड़ना सही नही है, उनके लिये राष्ट्र सर्वोपरि था. भगतसिंह ने पूरे देश के लिए कुर्बानी दी थी. उनका धार्मिकीकरण उचित नहीं होगा.
आसनसोल इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षक चन्द्रशेखर कुंडु ने कहा कि भगतसिंह कर्म प्रधान थे, धर्म प्रधान नहीं. उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि वे नास्तिक थे.
उन्हें किसी धर्म से जोड़कर उनके व्यक्तित्व को धूमिल करने का अधिकार किसीको भी नहीं है. प्रतिमा को पुराने रूप में लाने की कोशिश तत्काल की जानी चाहिए. इंजीनियरिंग कॉलेज के ही शिक्षक हीरक गुप्ता ने कहा कि वे महान स्वतंत्रता सेनानी तथा आजादी के दीवाने थे. उनको धर्म से जोड़ कर उनके कद को छोटा किया गया है तथा इतिहास इसे कभी माफ नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि सामाजिक स्तर पर इसका विरोध होना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version