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आसनसोल : भगत सिंह की प्रतिमा से खंड़ा साहिब को जोड़ने का विवाद गहराया
आसनसोल : शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा के पीछे सिख धर्म की मर्यादा खंडा साहिब को स्थापित करने के विरोध में सिख संगत तथा राजनीतिक पार्टी ने मेयर जितेन्द्र तिवारी तथा जिला प्रशासन से शिकायत की गई तथा प्रतिमा को पूर्ववत करने की मांग की है. शिकायत करनेवालों में प्रतिमा स्थापित करनेवाली नौ जवान पंजाबी […]
आसनसोल : शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा के पीछे सिख धर्म की मर्यादा खंडा साहिब को स्थापित करने के विरोध में सिख संगत तथा राजनीतिक पार्टी ने मेयर जितेन्द्र तिवारी तथा जिला प्रशासन से शिकायत की गई तथा प्रतिमा को पूर्ववत करने की मांग की है. शिकायत करनेवालों में प्रतिमा स्थापित करनेवाली नौ जवान पंजाबी सभा तथा भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी शामिल हैं.
नौ जवान पंजाबी सभा ने मेयर जितेंद्र तिवारी और पुलिस आयुक्त लक्ष्मी नारायण मीणा को ज्ञापन सौंपा तो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, श्रम, विधि व न्याय, पीएचईडी मंत्री मलय घटक, मेयर श्री तिवारी, पुलिस आयुक्त श्री मीणा और जिलाशासक शशांक सेठी को ज्ञापन सौंपा.
शहीद-ए-आजम को धार्मिक प्रतीक की जरूरत नहीं
नौजवान पंजाबी सभा ने मेयर को सौंपे गये संयुक्त हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन में कहा है कि नगर निगम की सहमति से बर्नपुर गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने सिख धर्म की मर्यादा खंडा साहिब को भगत सिंह की प्रतिमा के पीछे स्थापित किया है. सभा इसका पुरजोर विरोध करती है. यह सिख धर्म की मर्यादा है और हमेशा सिख गुरु साहिब के सामने रहता है.
शहीद-ए-आजम भगत सिंह नेशनल हीरो है. उन्हें किसी धार्मिक प्रतीक की जरूरत नहीं है. उन्होंने देश के लिए अपनी शहादत दी थी, किसी धर्म के लिए नहीं. प्रतिमा के पीछे से खंड़ा साहिब को ससम्मान उतारने का अनुरोध किया गया है. ज्ञापन पर पूर्व महासचिव चरणजीत सिंह, बलवंत सिंह, अजित सिंह, मंगल सिंह, यशपाल सिंह, रघुबीर सिंह आदि ने हस्ताक्षर किये हैं. सनद रहे कि 23 मार्च 1983 को सभा ने अपने खर्चे से राज्य सरकार की अनुमति से इस प्रतिमा की स्थापना की थी.
सिख गुरु नहीं हैं भगत सिंह
सभा द्वारा पुलिस आयुक्त को दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि वर्ष 1983 में सभा ने भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित की थई. बर्नपुर गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने वहां सिख धर्म की मर्यादा खंडा साहिब को स्थापित कर दिया है.
यह सिख गुरु साहिब के भी आगे होता है. इसे लेकर सिख समाज में भारी आक्रोश है. भगत सिंह राष्ट्रीय हीरो है, लेकिन सिख गुरु नहीं है. खंडा साहिब लगाने का सभा विरोध करती है तथा इस संबंध में उचित कार्रवाई की मांग करती है.
राष्ट्रीय हीरो ही रहने दें भगत सिंह को
सीपीआइ जिला सचिव मंडली के सदस्य सिनचन बनर्जी ने भगत सिंह की प्रतिमा को किसी धर्म के साथ जोड़ने के मुद्दे पर आपत्ति दर्ज करते हुए मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री श्री घटक, मेयर श्री तिवारी, पुलिस आयुक्त श्री मीणा और जिलाशासक श्री सेठी को ज्ञापन भेजा है. उन्होंने लिखा है कि इस प्रतिमा का अनावरण 23 मार्च, 1983 को राज्य के तत्कालीन मंत्री विनय कृष्ण चौधरी और जतिन चक्रबर्ती ने किया था.
नगर निगम द्वारा प्रतिमा का रेनोवेशन कर शिफ्ट किया गया और प्रतिमा के पीछे सिख धर्म की प्रतीक खंडा साहिब लगा दिये गये. इससे स्थानीय नागरिकों में भारी असंतोष है. भगत सिंह स्वत्रंतता सेनानी थे और उन्होंने अपनी कुर्बानी देश के लिए दी थी. वे अंतर्राष्ट्रीय हीरो है. उनकी शान की सम्मान के लिए उचित कार्रवाई की जाये.
खंड़ा साहिब नहीं होते अपवित्र, शुद्धिकरण क्यों
तख्त श्री पटना साहिब के सदस्य, खालसा केंद्रीय गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के सदस्य तथा आसनसोल ध्रुबडंगाल गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के प्रधान हरपाल सिंह ने खंड़ा साहिब के शुद्धिकरण को सिख धर्म की मर्यादा के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि खंडा साहिब कभी अशुद्ध नहीं माने जाते. फिर इसका शुद्धिकरण क्यों? खंड़ा साहिब के शुद्धिकरण के लिए जो किया गया, वह सिख धर्म के खिलाफ है. इसपर सिख संगत जल्द ही बैठक कर धर्म को लेकर खिलवाड़ करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करेगी.
तख्त श्री पटना साहिब के सदस्य लखविंदर ने जतायी नाराजगी
तख्त श्री पटना साहिब के सदस्य और किशनगंज (बिहार) गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के प्रधान लखविंदर सिंह ने कहा कि भगत सिंह की प्रतिमा के साथ खंडा साहिब स्थापित करना गलत है. पूरे विश्व में ऐसा कहीं नहीं है. वे आसनसोल में निजी दौरे पर आये थे. भगत सिंह चौक पर प्रतिमा के पीछे खंडा साहिब को देख कर उन्होंने तख्त के सदस्य हरपाल सिंह से इस मुद्दे पर बात की तथा अपना आक्रोश जताया.
यथाशीघ्र गलती सुधार ही है समाधान: जगजीत
गुरुनानक गुरूद्वारा सिंह सभा (रूपनारायणपुर) के सचिव जगजीत सिंह ने कहा कि भगत सिंह राष्ट्रीय हीरो हैं. उनकी प्रतिमा के पीछे खंडा साहिब लगाना गलत है. शहीद-ए-आजम किसी धर्म या जाति की लड़ाई नहीं लड़े थे. उन्होंने देश के लिए शहादत दी थी. उन्हें सिख धर्म में सीमित रखने का प्रयास निंदनीय है. सिख धर्म के अनुसार खंडा साहिब किसी प्रतिमा के पीछे स्थापित नहीं हो सकते. यह सिख धर्म की मर्यादा के खिलाफ है. इस गलती को यथाशीघ्र सुधारा जाना चाहिए.
महिला संगत ने कहा – या तो खंड़ा साहिब हटें या प्रतिमा
बर्नपुर : शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा के पीछे खंड़ा साहिब को लगाने तथा उनका अरदास किये जाने पर सिक संगत की महिलाओं ने भी विरोध किया है. उन्होंने कहा कि दोनों अलग-अलग है. इससे खंड़ा साहिब की मर्यादा को क्षति हो रही है तो भगत सिंह की शहादत भी सीमित हो रही है. उन्होंने कहा कि इस गलती का सुधार ही सबके हित में है.
गुरूशरण कौर ने कहा कि भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए अपनी शहादत दी थी. उनको किसी जाति तथा धर्म से जोड़ना ठीक नहीं है. वे किसी धर्म का अनुकरण नहीं करते थे. वे सच्चे देशभक्त थे. दूसरी ओर खंड़ा साहिब सिख धर्म के भगवान के समतुल्य हैं. उन्हें किसी के पीछे रखा ही नहीं जा सकता है. उन्हें भगत सिंह की प्रतिमा के पीछे लगाना गलत है. इसका सुधार होना चाहिए.
सुरजीत कौर ने कहा कि खंडा साहिब हमेशा अकेले में रहते हैं. किसी भी अनुष्ठान में पंच प्यारे उन्हें लेकर आगे-आगे चलते हैं. देश-विदेश कहीं भी इसकी मिसाल नहीं है कि खंड़ा साहिब किसी के पीछे हो. भगत सिंह प्रतिमा के पीछे लगाना उनकी मर्यादा के खिलाफ है, सिख संगत को जितनी जल्दी हो, इसका सुधार करना चाहिए.
देवेन्द्र कौर ने कहा कि भगत सिंह ने देश की आजादी के लिये शहादत दी. उनका सिख धर्म से कुछ लेना-देना नहीं था. धर्म के लिये गुरू गोविन्द सिंह महाराज लड़े. उन्होने सिखी दी है. भगत सिंह की प्रतिमा के पीछे खंडा लगाना ठीक नहीं हुआ. सिख संगत को इसका सुधार करना चाहिए.
बलविंदर कौर ने कहा कि भगत सिंह के बारे में स्पष्ट है कि उन्होंने खुद को नास्तिक साबित कर रखा था. उन्होंने अपनी शहादत के समय प्रार्थना भी नहीं की थी. उन्होने आजादी की लड़ाई में क्रांति की बिगुल फूका था. दूसरी ओर खंड़ा साहिब धर्म के प्रमुख प्रतीक हैं. उन्हें किसी की प्रतिमा के पीछे लगाया ही नहीं जा सकता है. देश के किसी भी इलाके में उन्हें किसी प्रतिमा के पीछे नहीं देखा गया है. आसनसोल में यह गलत हुआ है. इसका कड़ा विरोध होना चाहिए तथआ इसका सुधार होना चाहिए.
रंजीत कौर ने बताया कि भगत सिंह को शहीद-ए-आजम का दर्जा हासिल है. खंडा साहिब सिख संगत की निशानी है. इन्हें स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा के पीछे लगाने का निर्णय बिल्कुल ही गलत है. दोनों नजरिये से यह खराब हुआ है. खंड़ा साहिब को वहां से हटाकर उन्हें सम्मान देना चाहिए.
सविन्द्र कौर ने कहा कि भगत सिंह की प्रतिमा के पीछे खंडा साहिब को लगा कर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है. यदि खंडा साहिब को स्थापित करना ही है तो या तो वहां से प्रतिमा हटाया जाये या किसी अन्य चौक पर उन्हें अकेले स्थापित किया जाये. इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाने से गलत संदेश जायेगा.
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