बांकुड़ा : अवैध कोयला खदान धंसने से तीन की मौत

बांकुड़ा : बड़जोड़ा थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत के अधीन बागुली में अवैध कोयला खनन के दौरान भू-धंसान होने से तीन खनिकों की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी. एक महिला श्रमिक गायब है. तीन को गंभीर हालत में बांकुड़ा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दाखिल कराया गया है.पुलिस ने तीनों शवों को बरामद कर पोस्टमार्टम के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 1, 2019 5:22 AM

बांकुड़ा : बड़जोड़ा थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत के अधीन बागुली में अवैध कोयला खनन के दौरान भू-धंसान होने से तीन खनिकों की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी. एक महिला श्रमिक गायब है. तीन को गंभीर हालत में बांकुड़ा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दाखिल कराया गया है.पुलिस ने तीनों शवों को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. मृतकों में मालियाडा ग्राम निवासी हाबुल बागदी (60), विश्वनाथ बागदी (48) तथा कल्पना बागदी (48) शामिल है. ग्रामीणों के अनुसार कोयला उठाने गयीं रिंकू बाउरी (24) घटना के बाद से ही लापता है.

पुलिस के अनुसार, बागुली कोयला खदान इलाके में बड़ी संख्या में ग्रामीण अवैध कोयला खनन कर रहे थे. अचानक भू-धंसान होने से खनन कर रहे कई ग्रामीण उसमें दब गये. घटनास्थल पर भगदड़ मच गयी. संचालकों ने अपने स्तर से इन खनिकों को बचाने की कोशिश की. इसकी सूचना स्थानीय थाना पुलिस को दी गयी. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर पहुंच कर तीन मजदूरों का शव बरामद किया. इन शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. ग्रामीणों की मदद से तीन घायल खनिकों को निकाला गया. जिन्हें इलाज के लिए बांकुड़ा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दाखिल कराया गया है.
क्या कहना है पुलिस का: पुलिस के अनुसार, इस खदान का लीज दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के नाम से था. अनुबंध के आधार पर निजी कंपनी इस खदान से कोयला खनन करती थी. इसके बाद खदान का दायित्व रद्द कर दिया गया. बाद में नयी कंपनी को इसका दायित्व दिया गया. लीज पश्चिम बंगाल सरकार के अधीन पीडीसीएल को सौंपा गया है.
किन्तु पहले से कार्यरत मजदूरों को काम पर रखने एवं कुछ लोगो का बकाया पैसा न लौटाने के तहत कंपनी को समस्या का सामना करना पड़ा. जिसके बाद उस कंपनी ने भी खनन कार्य बंद कर दिया. इसके बाद से कोयला का अवैध खनन इस खदान के इलाके से शुरू हो गया.
तृणमूल दफ्तर के एक अधिकारी से सीबीआइ ने की दो घंटे पूछताछ
तृणमूल की एक पत्रिका की देखरेख के दायित्व में थे मानिक मजूमदार
पत्रिका के अकाउंट में कहां से आते थे रुपये, किन-किन अकाउंट से होता था लेनदेन, इस संबंध में पूछे सवाल
कालीघाट स्थित तृणमूल के दफ्तर के अलावा 2012 से तृणमूल की पत्रिका की देखरेख का दायित्व था
बैंक के कुछ कागजात व अन्य कुछ सवालों के जवाब से संबंधित सबूत संग सीबीआइ दफ्तर आने का निर्देश
कोलकाता : सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ की टीम ने मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कालीघाट के घर स्थित तृणमूल कांग्रेस के दफ्तर के एक अधिकारी मानिक मजूमदार से गुरुवार को तकरीबन दो घंटे तक पूछताछ की. इस दौरान उनसे विभिन्न सवालों के जवाब मांगे गये और उनका बयान रिकॉर्ड किया गया.
सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक, इस सिलसिले में उन्हें कालीघाट दफ्तर में एक बार नोटिस भेजा गया था, लेकिन वे (मानिक मजूमदार) जवाब देने सीबीआइ दफ्तर नहीं आये. इसके कारण सवालों का जवाब जानने के लिए कालीघाट मंदिर के निकट स्थित मानिक मजूमदार घर में सीबीआइ की टीम सुबह 10.30 बजे के करीब पहुंची. वहां उनसे विभिन्न सवालों के जवाब मांगे गये. इस दौरान उनका बयान रिकॉर्ड करने के बाद कुछ कागजात के साथ सीबीआइ की टीम वहां से निकली.
बताया जा रहा है कि 2012 से मानिक मजूमदार दफ्तर का सारा आर्थिक लेनदेन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. तृणमूल की एक पत्रिका के अकाउंट से संबंधित लेनदेन का प्रभार भी उन्हीं के दायित्व में है. इसके कारण सीबीआइ की टीम यह जानने की कोशिश कर रही है कि मुख्यमंत्री द्वारा बनायी गयी पेंटिंग जब बिके, तो उनसे मिलने वाले रुपये किन-किन अकाउंट में जमा हुए. उन रुपयों का क्या हुआ, इसके अलावा पेंटिंग किसने खरीदी. उन लोगों ने कैसे रुपये चुकाये.
तृणमूल की पत्रिका के अकाउंट में कहां से रुपये आते थे और किन-किन जगहों से आते थे. इन सवालों का जवाब सीबीआइ की टीम ने मानिक मजूमदार से जानना चाहा. सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक, उन्हें कुछ कागजातों के साथ सीबीआइ दफ्तर बुलाया गया है, जिसमें उनके व उस पत्रिका के बैंक अकाउंट से संबंधित कागजात भी शामिल हैं.
डेरेक को सीबीआइ ने भेजा नोटिस
सारधा चिटफंड मामले की जांच के सिलसिले में सीबीआइ ने जहां एक तरफ मानिक मजूमदार से पूछताछ की, वहीं दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद डेरेक ओ ब्रायन के घर नोटिस भेजा है. हालांकि अभी संसद के बजट सत्र में हिस्सा लेने के लिए डेरेक दिल्ली में हैं. लिहाजा उनके घर पर नहीं होने के कारण कोई नोटिस नहीं लिया और सीबीआइ को वापस लौटना पड़ा. इस बारे में दिल्ली में डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि इससे पहले सीबीआइ की तरफ से भेजा गया नोटिस मुझे मिला था, लेकिन उस समय भी दिल्ली में काम के सिलसिले में मैं व्यस्त था. गुरुवार को फिर से नोटिस भेजे जाने की जानकारी उन्हें नहीं है.
राजनीति से प्रेरित
इधर, सीबीआइ के इस कदम को तृणमूल कांग्रेस राजनीति से प्रेरित बता रही है. उल्लेखनीय है कि बीते दिनों ममता बनर्जी ने अपनी सभा में चुनौती देते हुए कहा कि जो लोग सीबीआइ का डर दिखाकर हमें डराना चाहते हैं वह यह न भूलें कि हम डरने वालों में नहीं हैं. हमारे पास भी पुलिस और सीआइडी है. बावजूद इसके हमलोग उसका बेजा इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.

Next Article

Exit mobile version