लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन को सीपीएम तत्पर
बूथ एजेंटों का दिख रहा है टोटा पैंतीस साल तक राज्य में शासन करनेवाली पार्टी की हालत है खराब कांग्रेस के लिए 10-12 सीटें छोड़ने को है तैयार लोकसभा के बहाने आगामी विधानसभा पर भी है नजर दुर्गापुर : लोकसभा के चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. सभी दल के लोग अपने […]
- बूथ एजेंटों का दिख रहा है टोटा
- पैंतीस साल तक राज्य में शासन करनेवाली पार्टी की हालत है खराब
- कांग्रेस के लिए 10-12 सीटें छोड़ने को है तैयार
- लोकसभा के बहाने आगामी विधानसभा पर भी है नजर
दुर्गापुर : लोकसभा के चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. सभी दल के लोग अपने नफे नुकसान मे लगी हुई है. राज्य मे लगातार 35 साल तक शासन करने वाली सीपीएम पार्टी की हालत इस समय काफी खराब चल रही है.
अपनी खराब हालत को देखते हुए सीपीएम इस लोकसभा चुनाव में 22 से 25 सीटों की लड़ाई में खुद को सीमित करने की कोशिश कर रही है.
सूत्र बताते है की सीपीएम के पास बंगाल में 50 प्रतिशत बूथों पर बूथ एजेंट बैठाने के लिए कोई संगठन नहीं है. इस स्थिति में वह कांग्रेस के लिए 10 से 12 सीटें छोड़ने के मूड में है. पार्टी सूत्रो का मानना है की चुनाव में पार्टी किसी भी कीमत पर कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहेगी.
पार्टी की नजर चुनाव के बाद के नतीजे पर टिकी है. पार्टी का मानना है की यदि चुनाव मे कांग्रेस की सरकार बनती है तो, केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण विभाग मिलने की संभावना होगी. इसका लाभ राज्य की राजनीति में मिलेगा. केंद्र सरकार के मंत्री मंडल में रहकर 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में तृंका को जबरदस्त टक्कर दे सकेगी.
इसके तहत बर्दवान जिले के बर्दवान पूर्व में पूर्व के लोकसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार ईश्वर दास को फिर से मैदान में उतारने को विचार कर रही है. सूत्रों के अनुसार वही दूसरी ओर पार्टी बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र में सीपीएम उम्मीदवार बदल रही है.
सईदुल हक की जगह इस बार आभास रॉयचौधरी को लाया जा रहा है. इन दोनों सीटों पर पार्टी को जीतने की संभावना दिख रही है. इन दो सीटों पर शासक दल के साथ मुख्य लड़ाई सीपीएम के साथ होगी और भाजपा यहां तीसरे नंबर पर है.
पार्टी सूत्रों के अनुसार इन दिनो शासक दल में गुटबाजी चरम पर है. इस कारण उसके वोट बंटने के आसार पूरे दिख रहे हैं. पार्टी का मानना है की तृंका का कटा हुआ वोट भाजपा के खाते में जा सकता है जिसका लाभ पार्टी को मिलना तय है. आसनसोल निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी को जीत की संभावना कम दिख रही है.
यहां के अधिकांश गैर-बंगाली मतदाता भाजपा के पक्ष में मतदान करने की संभावना है, जो पहले सीपीएम के साथ थे. वहीं शासक दल इस चुनाव में आसनसोल में जीत के लिए बेताब दिख रही है.
सूत्र बताते ही की पार्टी के साथ कांग्रेस के गठबंधन होने की स्थिति में पार्टी आसनसोल की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ने के पक्ष में है और अगर कांग्रेस जीतने वाली सीटें के लिए जोर देती है तो गठबंधन नहीं भी हो सकता है. इस स्थिति मे पार्टी आसनसोल से अपना उम्मीदवार उतारेगी. इस सीट से सीपीएम के जिला सचिव गौरंगो चट्टोपाध्याय सीपीएम के उम्मीदवार होंगे.
हालांकि इस मुद्दे को लेकर दोनो बर्दवान जिले के सीपीएम नेता कुछ बोलेने को तैयार नहीं है लेकिन अगर स्रोत की खबर सही है, तो उम्मीदवार का नाम पूरी तरह से उलट नहीं होगा. इन तीन नामों पर अब सिर्फ मुहर लगने का इंतजार है.