वकीलों की हड़ताल जारी, बढ़ी कैदियों की संख्या
आसनसोल : वकीलों की राज्यव्यापी हड़ताल के कारण आसनसोल जेल (संशोधनागार) में विभिन्न कैदियों की संख्या बढ़ कर तीन सौ से अधिक हो गई है. इसके पहले वर्ष 2013 में कैदियों की संख्या तीन सौ से अधिक हुई थी. जेल में 522 पुरुष और 20 महिला कुल 542 कैदियों की रखने की क्षमता है. सनद […]
आसनसोल : वकीलों की राज्यव्यापी हड़ताल के कारण आसनसोल जेल (संशोधनागार) में विभिन्न कैदियों की संख्या बढ़ कर तीन सौ से अधिक हो गई है. इसके पहले वर्ष 2013 में कैदियों की संख्या तीन सौ से अधिक हुई थी. जेल में 522 पुरुष और 20 महिला कुल 542 कैदियों की रखने की क्षमता है.
सनद रहे कि हावड़ा नगर निगम कर्मियों तथा वकीलों के बीच पार्किंग के मुद्दे पर हुए संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया था. जिसमें महिला वकील भी घायल हो गई थीं. जिम्मेवार दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर राज्य के सभी कोर्ट के वकील हड़ताल पर हैं.
जेल सूत्रों के अनुसार शनिवार को जेल में 290 पुरुष, 11 महिला और एक शिशु बंद थे. 24 अप्रैल के बाद से 70 आरोपी विभिन्न मामलों में आसनसोल जिला अदालत में पेश किये गये हैं. सभी को न्यायिक हिरासत में जेल में ही रहना पड़ रहा है. जिन्हें सीजेएम कोर्ट ने जमानत दे दी है, वकीलों की हड़ताल के कारण वे बेल बॉण्ड नहीं भर पा रहे हैं.
आसनसोल जेल में मूलत: दो तरह के कैदी है. पहली किस्म सजायाफ्ता कैदियों की है तो दूसरी किस्म विचाराधीन कैदी की है. दूसरी किस्म में कस्टडी ट्रायल के कैदी तथा न्यायिक हिरासत के कैदी शामिल हैं. सजायाफ्ता तथा कस्टडी ट्रायल के कैदियों की संख्या कम होती है. जेल में कैदियों का औसत संख्या 240 रही है.
आसनसोल जिला कोर्ट में आसनसोल सदर महकमा के सभी थानों, आसनसोल व अंडाल जीआरपी तथा विभिन्न आरपीएफ पोस्ट से मामले अग्रसारित होते हैं. सीजेएम के समक्ष औसतन 12 आरोपी पेश होते हैं.
वकीलों की राज्यव्यापी हड़ताल के कारण वकील किसी भी कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे हैं. खासकर सीजेएम कोर्ट में उनके उपस्थित नहीं होने से आरोपियों को जमानत नहीं मिल रही है. जमानती धाराओं में बेल मिलने के बाद भी बेल बांड भरने की औपचारिकता पूरी नहीं हो पा रही है. इसका खामियाजा आरोपियों तथा उनके परिजनों को भोगना पड़ रहा है.
आसनसोल बार एसोसिएशन के सचिव वाणी मंडल ने कहा कि जारी हड़ताल पर राज्य बार एसोसिएशन की बैठक 21 मई को होगी. उसमें ही कोई निर्णय लिया जा सकता है.
बिडम्बना है कि हर गर्मी में किसी न किसी मुद्दे पर वकीलों की हड़ताल हो जाती है. क्योंकि गर्मी की छुट्टी कोर्ट में नहीं होती है. आरोपियों के परिजनों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है.