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दो दर्जन सरकारी कंपनियों का निजीकरण

सत्ता में आते ही मोदी सरकार पार्ट-2 ने शुरू किया श्रमिक विरोधी कार्य सीपीआइ के जिलासचिव ने किया विरोध, जिला कमेटी की बैठक सात को आसनसोल : पूर्व सांसद सह सीपीआई के जिलासचिव आरसी सिंह ने कहा कि राष्ट्रवाद तथा हिंदुत्व पर भारी बहुमत से जीत दर्ज करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार […]

सत्ता में आते ही मोदी सरकार पार्ट-2 ने शुरू किया श्रमिक विरोधी कार्य

सीपीआइ के जिलासचिव ने किया विरोध, जिला कमेटी की बैठक सात को

आसनसोल : पूर्व सांसद सह सीपीआई के जिलासचिव आरसी सिंह ने कहा कि राष्ट्रवाद तथा हिंदुत्व पर भारी बहुमत से जीत दर्ज करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने दो दर्जन से अधिक सरकारी कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके खिलाफ वामपंथी ट्रेड यूनियनें तथा वामपंथी पार्टियां देशव्यापी आंदोलन करेगी. कोलियरी मजदूर सभा (एटक) कार्यालय में मीडिय से बात करते हुए यूनियन महासचिव श्री सिंह ने कहा कि सात जून को पार्टी संसदीय चुनाव के परिणामों की समीक्षा करेगी.

श्री सिंह ने कहा कि भाजपा का चरित्र ही सरकारी कंपनियों के निजीकरण तथा उनकी समाप्ति का रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने आसनसोल में इंडियन आयरन स्टील कंपनी (इस्को) की कुल्टी यूनिट को बंद कर दिया. लंबे आंदोलन के बाद बर्नपुर यूनिट को बताया जा सका. श्री मोदी सरकार ने हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड (एचसीएल) तथा बर्न स्टैंडर्ड को बंद कर दिया. सरकार गठन के एक सप्ताह के बाद ही दो दर्जन से अधिक सरकारी कंपनियों को बंद करने या निजी कंपनियों को सौंपने की तैयारी शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि वामपंथी शक्तियां इसे स्वीकार नहीं करेगी तथा इसके खिलाफ अपने बलबूते तथा अन्य यूनियनों के सहयोग से लगातार आंदोलन करेगी.

उन्होंने कहा कि बीता संसदीय चुनाव श्री मोदी ने राष्ट्र गौरव तथा हिंदुत्व के नाम पर लड़ा. पांच सालों की अपनी विफलता को छिपाने के लिए ही उन्होंने यह रणनीति अपनाई तथा मीडिया सहित विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर उन्माद का माहौल बनाया. इस कारण चुनाव में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कालाधन, मंहगाई जैसे बुनियादी सवाल मुद्दे नहीं बन सके. कोयला खदानों की बंदी तथा निजीकरण के खिलाफ लड़नेवाले श्रंमिकों ने भी भावावेश में भाजपा के पक्ष में मतदान किया. लेकिन इसके बाद सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है.

श्री सिंह ने स्वीकार किया कि आसनसोल सहित पूरे बंगाल में वामपंथी वोट खिसकने के कारण ही भाजपा को इतनी बड़ी जीत मिली. लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा को ऐसी जीत नहीं मिलेगी. पिछले आठ वर्षों में तृणमूल के जुल्म से परेशान वामपंथी समर्थकों ने तृणमूल को सबक सिखाने के लिए भाजपा के पक्ष में गोलबंदी की. लेकिन इस बार वामपंथी शक्तियां अपने मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी तथा भाजपा को परास्त करने के लिए तमाम प्रगतिशील शक्तियों के साथ गोलबंदी करेगी. उन्होंने कबहा कि सीपीआई की जिला कमेटी की बैठक आगामी सात जून को होगी जिसमें चुनावी समीक्षा के साथ ही आगामी रणनीति तय की जायेगी.

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