हर जिले में घोषित होंगी तीन पंचायत मॉडल
पश्चिम बंगाल सरकार ने 69 ग्राम पंचायतों का किया है चयन वेस्ट मैनेजमेंट रुल 2016, प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रुल 2016 लागू बर्दवान : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हर जिले में तीन ग्राम पंचायतों में सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल अपनाने का आदेश जारी किया है. वेस्ट मैनेजमेंट रुल 2016 और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रुल 2016 को […]
पश्चिम बंगाल सरकार ने 69 ग्राम पंचायतों का किया है चयन
वेस्ट मैनेजमेंट रुल 2016, प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रुल 2016 लागू
बर्दवान : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हर जिले में तीन ग्राम पंचायतों में सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल अपनाने का आदेश जारी किया है. वेस्ट मैनेजमेंट रुल 2016 और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रुल 2016 को लागू करने पर जोर है.
राज्य में 69 मॉडल पंचायत गठित करने का निर्णय लिया गया है. पंचायत के तहत सोलिड व लिक्विड प्लास्टिक कचरा की विशेष व्यवस्था करने को कहा गया है. प्रति जिले में तीन-तीन ग्राम पंचायतों का चयन करना है. राज्य के पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को इस आशय का पत्र भेजा है.
आदेश के अनुसार जिला प्रशासन के स्तर से कार्य शुरु हो गया. मेमारी दो नंबर प्रखंड के बोहार एक नंबर, आउसग्राम दो नंबर प्रखंड के कोटा तथा आउसग्राम एक नंबर प्रखंड के गुसकरा दो नंबर ग्राम को मॉडल पंचायत के रुप से चयन किया गया है. पश्चिम बर्दवान जिले में सालानपुर प्रखंड के आलडीह, दुर्गापुर-फरिदपुर प्रखंड के प्रतापपुर और रानीगंज पंचायत के जेमारी का चयन किया गया है.
पूर्व बर्दवान के जिलाधिकारी विजय भारती ने बताया कि वर्ष 2018 में जिले को निर्मल जिला घोषित किया गया. दूसरे चरण का कार्य जारी है. हर पंचायत में और दीर्घ चरणों में कम्यूनिटी टॉयलेट बनाने पर जोर है. जिले की तीन पंचायत में सोलिड और लिक्यूज कचड़ा को अलग करने का प्रक्रिया शुरू की गई है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पिछले दो अप्रैल को एक फरमान जारी किया. जिसमें कहा गया कि हर जिले में तीन-तीन मॉडल पंचायत गठित करनी होगी, इसके माध्यम से सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल 2016 और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रुल 2016 को लागू करना होगा.
राज्य में कुल 69 ग्राम पंचायत को चयन किया गया है. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) या मिशन निर्मल बांग्ला योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण पर्यावरण में सार्विक उन्नयन और इलाके का परिवेश साफ-सुथरा रखना है. निर्मल बांग्ला के तहत गांवो में शौचालय बनाया गया है. नागरिकों में जागृति आने के बाद वर्ष 2018 में जिले को निर्मल जिला घोषित किया गया. ग्रामीण इलाके में कचड़ा संग्रहित कर प्रक्रियाकरण के जरिए पर्याबरण साफ-सुथरा रखने का काम भी शुरु किया गया.
घर-घर से कठोर व तरल कचरा अलग-अलग रुप से संग्रहित करने का सुविधा उपलब्ध होगी. केंद्र से गोबर गैस, वार्मी कंपोस्ट उबर्रक तैयार किया जायेगा, वह उबर्रक सौ दिनो का रोजगार योजना के तहत वनसृजन में इस्तेमाल होगा. योजना मै जिला परिषद प्रबंधन ने प्रति पंचायत को 20-20 लाख रुपये की राशि मंजूर कर दी है. मनरेगा केंद्र स्थापना के लिए 10-10.लाख रुपये की मंजूरी मिली है.
पहली तौर पर मॉडल ग्राम पंचायत में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूर्ण रोक लगाना आवश्यक किया गया है. प्लास्टिक कचड़ा अलग-अलग करने का व्यवस्था करना आवश्यक है. प्रशासन ने प्लास्टिक इस्तेमाल करने पर ग्रामीणो के खिलाफ जुर्माना चालू करने का प्रयास होगा और प्लास्टिक रीसाईकिलिंग का व्यवस्था भी रहेगी. प्लास्टिक कचड़ा का उपयोग सड़क निर्माण में किया जायेगा.