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जमीन अधिग्रहण में रैयतों का रवैया नकारात्मक

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तमाम प्रयासों के बाद भी ग्रामीण नहीं होने दे रहे इलाके में ड्रीलिंग ऑपरेशन राज्य सरकार से सहयोग लेने की पहल शुरू, सफलता नहीं मिलने से बढ़ेगा संकट कोल ब्लॉकों में उत्पादन होने से कंपनी बन जायेगी सौ मिलियन टन की कंपनी सांकतोड़िया : ग्रामीणों के विरोध के कारण इसीएल को आवंटित दो कोल ब्लॉकों […]

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तमाम प्रयासों के बाद भी ग्रामीण नहीं होने दे रहे इलाके में ड्रीलिंग ऑपरेशन

राज्य सरकार से सहयोग लेने की पहल शुरू, सफलता नहीं मिलने से बढ़ेगा संकट
कोल ब्लॉकों में उत्पादन होने से कंपनी बन जायेगी सौ मिलियन टन की कंपनी
सांकतोड़िया : ग्रामीणों के विरोध के कारण इसीएल को आवंटित दो कोल ब्लॉकों का मामला अधर में लटका हुआ है. समाधान को लेकर कंपनी प्रबंधन काफी चिंतित है. मालूम हो कि प्रबंधन ने कंपनी को सौ मिलियन टन वाली कंपनी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. लेकिन इस पर पानी फिरता नजर आ रहा है. हालांकि अभी भी प्रबंधन ने उम्मीद नहीं छोड़ी है.
इसीएल के महाप्रबंधक ( प्रोजेक्ट एंड प्लानिंग) आरएन सोम ने कहा कि नये वित्तीय वर्ष में कोयला मंत्रालय ने पांच कोल ब्लॉक आवंटित किया था. जिसमें से तीन कोल ब्लॉक कंपनी को आवंटित किया गया था और शेष दो कोल ब्लॉक डब्ल्यूसीएल को दिया गया है. इसीएल को अमरकुंडा मुर्गादंगल, ब्राह्मणी एवं चिचरो पिट्समल कोल ब्लॉक मिले हैं. ब्राह्मणी एवं चीचरो पिट्समल कोल ब्लॉक में लगभग 19 सौ मिलियन टन तथा आम्रकुण्डा मुर्गाडांगाल ब्लॉक में 400 मिलियन टन कोयला रिजर्व है. यहां पर 50 फीसदी से अधिक जमीन रैयती है.
ग्रामीणों से उसके अधिग्रहण के लिए कई बार बातचीत करने का प्रयास किया गया. परंतु बात नहीं बनी. जब-जब सीएमपीडीआईएल की टीम ड्रिलिंग करने के लिए पहुंची, ग्रामीणों ने ड्रील करने से रोक दिया. अब प्रबंधन ने शिकारीपाड़ा ब्लॉक के सर्किल अधिकारी से बातचीत शुरू की है. कंपनी को आवंटित सभी कोयला ब्लॉक झारखण्ड के दुमका जिले में है. संथालपरगना के गोड्डा जिले में 25 कोल ब्लॉक की पहचान की गई है. तीन हजार मिलियन टन से अधिक कोयले का भंडार है.
कोल इंडिया की ईसीएल, बीसीसीएल तथा सीसीएल कंपनियों ने इनके आवंटन के लिए प्रस्ताव दिया है. उन्होनें कहा कि मंत्रालय ने कंपनी को तीन ब्लॉक देने की मंजूरी दी है. इन ब्लॉकों की बदौलत कंपनी न सिर्फ अपने लक्ष्य को पूरा करने वाली कंपनी हो जायेगी बल्कि सौ मिलियन टन वाली कंपनी भी बन जायेगी. परंतु ग्रामीणों के रूख से कंपनी के सारी उम्मीदों पर पानी फिर रहा है. कंपनी ने सीएमपीडीआईएल को सर्वे करने का जिम्मा दिया था. उन्होनें कोयले का रिजर्व के बारे में जानकारी दे दी. परंतु जमीन का अधिग्रहण नहीं होने के कारण मामला अधर में लटका हुआ है. प्रबंधन ने उस कोल ब्लॉक से सलाना 50 मिलियन टन उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है.

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