ट्रेन से गिर रक्तरंजित हालत में डेढ़ घंटे तक तड़पता रहा अधेड़
सिलीगुड़ी जंक्शन पर बुधवार की सुबह हुआ हादसा सिलीगुड़ी : स्थान- सिलीगुड़ी जंक्शन, दिन-बुधवार. सुबह के 6 बजकर 10 मिनट. दो नंबर प्लेटफॉर्म पर ट्रेन से गिरा एक अधेड़ खून से लथपथ हालत में तड़पता रहा. लोगों से करीब डेढ़ घंटे तक वो जान बचाने की गुहार लगाता रहा. लेकिन वहां से गुजरनेवाले किसी यात्री […]
सिलीगुड़ी जंक्शन पर बुधवार की सुबह हुआ हादसा
सिलीगुड़ी : स्थान- सिलीगुड़ी जंक्शन, दिन-बुधवार. सुबह के 6 बजकर 10 मिनट. दो नंबर प्लेटफॉर्म पर ट्रेन से गिरा एक अधेड़ खून से लथपथ हालत में तड़पता रहा. लोगों से करीब डेढ़ घंटे तक वो जान बचाने की गुहार लगाता रहा. लेकिन वहां से गुजरनेवाले किसी यात्री ने रक्तरंजित अधेड़ की मदद करना मुनासिब नहीं समझा.
पथराई व डबडबाई आंखों में मदद की आस क्षीण होती चली गयी और अंतत: बेतहाशा दर्द से छटपटाता वो निरीह इंसान बेहोश हो गया. उसके दाहिने हाथ की पांचों अंगुलियां लगभग कट चुकी थी. बायें हाथ में भी गंभीर चोट लगने के साथ एक पैर फ्रैक्चर हो चुका था. गुप्तांग के पास से लगातार खून गिर रहा था. लेकिन मदद की एक अदद हाथ के लिए वह तरसता रहा. आखिरकार काफी मशक्कत से डेढ़ घंटे बाद रेलवे की एम्बुलेंस पहुंची और गंभीर रूप से जख्मी अधेड़ को अस्पताल ले गयी.
इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि तस्वीरें सच बयां करती है, वरना सुनने वाले शायद इसे भी सच नहीं मानते और देखने वाले तो साफ मुकर जाते. बात किसी हादसे की या फिर हादसे को देखकर खामोश रहने वाले तमाशबीनों की. कड़वी बातें हम हरगिज ना लिखते. तमाशाई दुनिया में हर रोज दर्दनाक हादसे होते रहते हैं. पर क्या करें, आंखों के सामने गुजरे लम्हे पर खामोशी अख्तियार करना अक्षम्य अपराध भी तो है.
जब सिलीगुड़ी रेलवे जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर एक अधेड़ के ट्रेन से गिरकर घायल होने के बाद पूरे डेढ़ घंटे तक तड़पने-गिड़गिड़ाने के बाद भी मदद के लिए कोई सामने ना आये तो इंसानियत के जिंदा होने पर सवालिया निशान तो लगता ही है.