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कोयला खदान पर फिर मंडराने लगे काले बादल

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मुकेश तिवारी, पानागढ़ : वीरभूम जिले के दक्षिण पश्चिम प्रांत में मौजूद देउचा पचामी कोयला खदान जो कि विश्व का द्वितीय वृहत्तम कोयला खदान माना जाता है. राज्य सरकार जल्द ही उक्त कोल ब्लॉक में उत्पादन कार्य शुरू करने जा रही है. लेकिन इससे पहले ही देउचा पचामी कोयला खदान पर काले बादल मंडराने लगे […]

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मुकेश तिवारी, पानागढ़ : वीरभूम जिले के दक्षिण पश्चिम प्रांत में मौजूद देउचा पचामी कोयला खदान जो कि विश्व का द्वितीय वृहत्तम कोयला खदान माना जाता है. राज्य सरकार जल्द ही उक्त कोल ब्लॉक में उत्पादन कार्य शुरू करने जा रही है. लेकिन इससे पहले ही देउचा पचामी कोयला खदान पर काले बादल मंडराने लगे हैं. वाम संगठन समेत पांच गण संगठन ने अहम बैठक कर साफ तौर पर इंगित कर दिया है कि देउचा कोयला खदान तभी चालू हो पाएगा जब स्थानीय लोगों को पैकेज के अनुसार पुनर्वासन तथा काम की सुविधा मिलेगी.

अन्यथा उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे. ऐसे में सीपीएम और जिला तृणमूल आमने सामने खड़ी हो गयी है. जिला सीटू के सचिव दीपंकर चक्रवर्ती का कहना है कि उद्योग के वह समर्थक है. लेकिन यह भी साफ है की देउचा कोयला भंडार के लिए भूमि अधिग्रहण तभी होगा, जब पुनर्वासन तथा भूमि मालिकों को सही मुआवजा तथा काम की गारंटी मिलेगी.
श्री चक्रवर्ती का कहना है कि राज्य सरकार एजेंसी के मार्फत एक तरफा कदम उठा रही है. एजेंसी नहीं बल्कि कोल इंडिया के नियम के अनुरूप ही काम करना होगा अन्यथा हमलोग इसके खिलाफ आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. गौरतलब है कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वयं ट्वीट कर इस कोयला खदान के मिलने पर खुशी जाहिर की थी.
उन्होंने कहा था कि देउचा पचामी कोयला खदान में जल्द ही उत्पादन राज्य सरकार शुरू करेगी. बताया जाता है कि पानागढ़ मोरग्राम 60 नंबर राज्य सड़क के ऊपर मौजूद देउचा पचामी को वीरभूम कोलफील्ड लिमिटेड( बीबीसीएल) इस कोयला परियोजना पर काम करेगी.
जिले के मोहम्मद बाजार ब्लॉक तथा रामपुरहाट व साईंथिया विधानसभा केंद्र के अंतर्गत देउचा, हिंगला, भारकाटो, सेकेन्डा पुरातन ग्राम पंचायत के तहत हाटगाछ, भरकाता, बहादुरगंज, अलीनगर, हरिसिंघा मौजा की भूमि पर व्यापक स्तर पर उक्त कोयला का भंडार पाया गया है. बताया जाता है कि देउचा पचामी का इलाका 9.7 वर्ग किलोमीटर तथा देउवानगंज हरिसिंघा का इलाका 2.6 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है.
उक्त इलाके में कोयला का व्यापक स्तर पर भंडार मौजूद है. ऊपरी सतह पर काले पत्थर तथा नीचे कोयला का भंडार पाया गया है. बताया जाता है कि ताप विद्युत केंद्रों में कोयले का व्यवहार किया जाएगा. गत दिनों केंद्रीय कोयला मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद देउचा पचामी का उक्त कोयला खदान का समूचा दायित्व राज्य सरकार को मिला है.
यह राज्य या देश ही नहीं, समूचे विश्व में वृहत्तम द्वितीय कोयला खदान है. बताया जाता है कि उक्त कोयला खदान में भंडारण के तौर पर यहां 2102 मिलियन टन कोयला मौजूद है. परोक्ष रूप से जिले के लाखों युवको को रोजगार मिलेगा. मुख्यमंत्री का कहना है कि उक्त कोयला भंडारण के लिए कई भागों में करीब दो हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा.
यह निवेश उत्पादन के क्षेत्र में किया जाएगा. ऐसे में जिले का आर्थिक तथा सामाजिक विकास यहां पर होगा. बताया जाता है कि वर्ष 2015 में 17 कोयला ब्लॉक को केंद्रीय कोयला मंत्रालय की ओर से बंटन किया गया था. उस वक्त केंद्र सरकार देउचा पचामी को पूरी तरह राज्य सरकार को सौंपना नहीं चाहती थी.
यही कारण है कि खदान को लेकर बिहार, पंजाब, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु व बंगाल के बीच लड़ाई जारी थी. लेकिन अब केंद्रीय कोयला मंत्रालय की ओर से राज्य सरकार को हरी झंडी मिल गई है. राज्य सरकार के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है. हाल ही में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि दो वर्ष के अंदर ही देउचा कोयला भंडार से उत्पादन शुरू हो जाएगा.

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