हड़ताल से लगभग 12 हजार टन उत्पादन प्रभावित

सांकतोड़िया : इसीएल के निदेशक कार्मिक विनय रंजन ने कहा कि एक दिवसीय हड़ताल से इसीएल का उत्पादन पर थोड़ा असर पड़ा है. उससे ज्यादा असर बारिश के कारण पड़ा. उन्होंने कहा कि हड़ताल से लगभग बारह हजार टन उत्पादन प्रभावित हुआ जबकि बारिश से 22 हजार टन का उत्पादन प्रभावित हुआ है. राजमहल एरिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2020 2:41 AM

सांकतोड़िया : इसीएल के निदेशक कार्मिक विनय रंजन ने कहा कि एक दिवसीय हड़ताल से इसीएल का उत्पादन पर थोड़ा असर पड़ा है. उससे ज्यादा असर बारिश के कारण पड़ा. उन्होंने कहा कि हड़ताल से लगभग बारह हजार टन उत्पादन प्रभावित हुआ जबकि बारिश से 22 हजार टन का उत्पादन प्रभावित हुआ है.

राजमहल एरिया में तीसरी पाली में काफी बारिश हुई थी. मूगमा एरिया से चार हजार टन कोयला का उत्पादन प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि इसीएल फिलहाल कठिन परिस्थिति से जूझ रही है. ऐसे में हड़ताल करना उचित नहीं था. इसीएल अभी भी लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है. तीन महीना में बीस मिलियन टन उत्पादन करना है. अभी प्रतिदिन एक लाख पच्चास हजार टन के हिसाब से उत्पादन हो रहा है.

बीस मिलियन टन उत्पादन की भरपाई करने के लिए प्रतिदिन दो लाख बीस हजार टन उत्पादन करना होगा. उन्होंने कहा कि टीम काफी परिश्रम कर रही है. टीम वर्क के जरिए उत्पादन लक्ष्य हासिल करेंगे और पूरे कोल इंडिया मे एक बार फिर से कंपनी सिरमौर के रूप मे उभरेगी. श्री रंजन ने कहा कि कंपनी सभी क्षेत्रों मे बेहतर प्रदर्शन कर रही है. सीएसआर एवं कल्याण क्षेत्रों मे भी बेहतर प्रदर्शन कर रही है.

चिकित्सा के क्षेत्र में भी एक कदम और आगे बढ़कर काम करना है ताकि श्रमिकों को और बेहतर सुविधा मिल सके. उन्होंने कहा कि आज कंपनी कोयला कर्मियों के बदौलत ही इतना आगे बढ़ रही है. इसलिए कंपनी भी उन्हें हर सुख सुविधा प्रदान करने के लिए तत्पर है. गौरतलब है कि अपनी मांगो को लेकर दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा बुधवार को देशव्यापी एक दिवसीय हड़ताल बुलाई थी परंतु हड़ताल का असर इसीएल पर नहीं के बराबर पड़ा.

राज्य की तृणमूल सरकार हड़ताल के पक्ष में नहीं थी. जिसके कारण इसीएल पर हड़ताल का असर नहीं के बराबर पड़ा. तृणमूल समर्थक जगह जगह पर जाकर खदान को चालू करवाया जिसका फायदा कंपनी को हुआ. दूसरी तरफ कई कोयला मजदूर भी हड़ताल से अपने को अलग रखे हुए थे और ड्यूटी पर तैनात रहे. यही कारण था कि असर कोयला उद्योगों पर कोई खासा असर नहीं पड़ा.

Next Article

Exit mobile version