मकर संक्रांति को लेकर सजा बाजार

बाजारों में फैली तिलकुट की सोंधी खुशबू खरीदारी पर महंगाई का दिख रहा है असर दुर्गापुर : शिल्पांचल व इसके आसपास के इलाके में मकर संक्रांति के नजदीक आने पर बाजार में गुड़ व मेवा की खरीदारी बढ़ गयी है. दुकानों पर तिल व मेवा की मांग बढ़ गयी है, जिससे बाजार में भीड़ नजर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2020 1:59 AM

बाजारों में फैली तिलकुट की सोंधी खुशबू

खरीदारी पर महंगाई का दिख रहा है असर

दुर्गापुर : शिल्पांचल व इसके आसपास के इलाके में मकर संक्रांति के नजदीक आने पर बाजार में गुड़ व मेवा की खरीदारी बढ़ गयी है. दुकानों पर तिल व मेवा की मांग बढ़ गयी है, जिससे बाजार में भीड़ नजर आने लगी है.

हालांकि, पिछले वर्ष की अपेक्षा 20 प्रतिशत महंगाई बढ़ गयी है. इस कारण लोग जरूरत का ही सामान खरीद रहे हैं. पर्व को लेकर बाजारों में तिलकुट की सोंधी खुशबू आने लगी है. मधुमेह रोगियों के लिए शूगर फ्री तिलकुट भी बाजार में उपलब्ध है. हालांकि इस बार तिलकुट बाजार में महंगाई की मार पड़ी है. चौक-चौराहों पर मौसमी कारोबारियों ने तिलकुट व तिल से बने सामान की दुकानें सजा ली है.

बाजारों में विभिन्न प्रकार के चूड़ा और मीठा उतारा गया है. शहर में बेनाचिती सहित विभिन्न बाजारों में कई दुकानें सजी हैं. इसके अलावा हाथ ठेलों पर भी मेवा का बाजार सज गया है. बाजार में खुले सामान के साथ-साथ छोटे-बड़े पैकटों में भी सामान मिल रहा है. इन दिनों बाजार में खरीदारी को महिलाओं की खासी भीड़ दिख रही है.

सोमवार को भी बाजार में पर्व को लेकर खरीदारी हुई. इधर, बाजार पर महंगाई की मार पड़ी है. पर्व संबंधित सामग्री की कीमतों में तेजी है. पिछले वर्ष की अपेक्षा सामान महंगा होने के कारण लोग अपनी जरूरत के अनुसार लाई चुड़ा, तिलकुट, गुड़ व अन्य सामान की खरीदारी कर रहे हैं. विक्रेता पंकज गुप्ता ने बताया कि खरीदारी में महंगाई का असर दिख रहा है. ग्राहक कुछ कम मात्रा में सामान की खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन भीड़ जुट रही है.

मकर संक्रांति का महत्व

मान्यता है कि संक्रांति के दिन भगवान भास्कर (सूर्य) अपने पुत्र शनिदेव से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं. इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इस दिन सूर्य के उत्तरायण होते ही एक माह से मांगलिक कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी खत्म हो जाता है. मकर संक्रांति से सभी मांगलिक कार्यों की धूम शुरू हो जाती है और शहनाइयों की गूंज भी शुरू हो जाती है.

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