आधी रात को छात्र संगठन के नेताओं पर हमले के बाद शांतिनिकेतन में तनाव, SFI ने किया प्रदर्शन
मुकेश तिवारी पानागढ़ : दिल्ली में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) और जवाहरलाल यूनिवर्सिटी (JNU) में छात्र संगठनों के बीच हुई झड़प पश्चिम बंगाल पहुंच गयी है. बुधवार की देर रात शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में एनआरसी और सीएए के खिलाफ रणनीति बना रहे एक छात्र संगठन के सदस्यों पर जानलेवा हमला हुआ. इस मामले में साबिर अली, […]
मुकेश तिवारी
पानागढ़ : दिल्ली में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) और जवाहरलाल यूनिवर्सिटी (JNU) में छात्र संगठनों के बीच हुई झड़प पश्चिम बंगाल पहुंच गयी है. बुधवार की देर रात शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में एनआरसी और सीएए के खिलाफ रणनीति बना रहे एक छात्र संगठन के सदस्यों पर जानलेवा हमला हुआ. इस मामले में साबिर अली, अचिंतो बागदी और एक अन्य छात्र को चिह्नित किया गया है.
वामदलों के छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्रों पर उनके नेताओं पर हमले का आरोप लगाया है. हमले में एसएफआइ के कई नेता गंभीर रूप से घायल हुए हैं. घटना के बाद से शांतिनिकेतन में उत्तेजना है.
छात्र संगठन के नेता स्वप्निल मुखोपाध्याय तथा शुभनाथ घायल हुए हैं. फाल्गुनी पान को आंशिक रूप से चोट आयी है. उसे विश्वविद्यालय के पीयरसन मेमोरियल अस्पताल में भर्ती किया गया है. एसएफआइ ने इस मामले में अचिंतो बागदी को मुख्य आरोपी बताते हुए एबीवीपी के कई छात्र नेताओं के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी है. एसएफआइ ने अचिंतो को एबीवीपी का नेता बताया है, जबकि अचिंतो ने खुद को तृणमूल का नेता बताया है. वहीं, तृणमूल ने कहा है कि पार्टी का अचिंतो से कोई संबंध नहीं है.
एसएफआइ नेता स्वप्निल मुखोपाध्याय ने बताया कि बुधवार देर रात 11:00 बजे के करीब एबीवीपी के लोगों ने बाहर से गुंडा बुलाकर हमला करवाया. हमले के दौरान वे लोग विद्या भवन हॉस्टल के पास थे. अचानक हाथ में लाठी, डंडा रॉड लेकर एबीवीपी के गुंडे तथा छात्र संगठन के लोगों ने हमलोगों पर हमला किया. फाल्गुनी पान का आरोप है कि देर रात विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के वाहन में ही सवार होकर एबीवीपी के लोग और उनके गुंडे यूनिवर्सिटी में दाखिल हुए थे.
फाल्गुनी ने बताया कि अचानक उन पर देर रात हमला कर दिया गया. उस वक्त विद्या भवन हॉस्टल के पास ही फाल्गुनी व छात्र संगठन के अन्य लोग बैठक कर रहे थे. बैठक में मुख्य रूप से एनआरसी तथा सीएए के विरोध की रणनीति बन रही थी. इसी दौरान एबीवीपी के सदस्यों ने बाहरी गुंडों के साथ मिलकर हमला कर दिया. फाल्गुनी ने बताया कि रॉड से हमले किये गये. इससे वहां भगदड़ मच गयी.
फाल्गुनी ने आरोप लगाया कि घायलों को जब विश्वविद्यालय के अस्पताल में ले जाया गया, तो वहां भी एबीवीपी के छात्रों ने हमला करने की कोशिश की. एसएफआइ के नेताओं का आरोप है कि वाइस चांसलर के इशारे पर ही एबीवीपी के छात्रों ने हमला किया है. बताया जाता है कि 8 जनवरी को वाम संगठनों के देशव्यापी हड़ताल को विश्वविद्यालय के वाम समर्थित छात्र संगठनों ने समर्थन दिया था. इससे एबीवीपी के लोग नाराज थे.
इतना ही नहीं, 8 जनवरी को ही विश्वविद्यालय परिसर में भाजपा के राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता ने सीएए व एनआरसी पर सेमिनार को संबोधित किया था. सेमिनार के मुख्य वक्ता दासगुप्ता को वाम समर्थित छात्र संगठनों ने काला झंडा दिखाया और उन्हें बंधक बनाने की कोशिश की थी. स्वप्निल मुखोपाध्याय का सवाल है कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद विश्वविद्यालय परिसर में बाहरी गुंडे कैसे दाखिल हुए.
एसएफआइ ने हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आंदोलन करने की बात कही है. इस संबंध में विश्वविद्यालय के वीसी की प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी है. उधर, एबीवीपी के कथित छात्र नेता अचिंतो बागदी ने हमले में अपना हाथ होने से इन्कार किया है. उसने यहां तक कह दिया है कि एबीवीपी से उसका कोई संबंध नहीं है. वह तृणमूल कांग्रेस का सदस्य है. वहीं, तृणमूल ने साफ किया है कि अचिंतो बागदी का उससे कोई संबंध नहीं है.
हमले के बाद से गुरुवार को भी विश्वविद्यालय परिसर में तनाव का माहौल है. उधर, एबीवीपी विश्व भारती की ओर से इस संबंध में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा गया है. इसमें कहा गया है कि अचिंतो बागदी एबीवीपी का सदस्य नहीं है, तो तृणमूल के गगन सरकार ने भी इस बात से इन्कार किया है कि अचिंतो बागदी उनकी पार्टी से जुड़ा है.