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सदानंद के शव के साथ मेडिकेयर इमेजेस के समक्ष परिजनों ने किया प्रदर्शन

50 लाख रुपये मुआवजा की मांग को लेकर साढ़े तीन घंटे तक चला प्रदर्शन. पुलिस के साथ हाथापाई की नौबत, पुलिस ने मामला को शांत किया. कोलोनोस्कोपी के दौरान मरीज की हालत बिगड़ी, कोलकाता ले जाने के क्रम में हुई मौत. कोलोनोस्कोपी में 0.1 प्रतिशत मामले में नाकामी की संभावना, मेडिकेयर इमेजेस में 19 वर्षों […]

50 लाख रुपये मुआवजा की मांग को लेकर साढ़े तीन घंटे तक चला प्रदर्शन.

पुलिस के साथ हाथापाई की नौबत, पुलिस ने मामला को शांत किया.
कोलोनोस्कोपी के दौरान मरीज की हालत बिगड़ी, कोलकाता ले जाने के क्रम में हुई मौत.
कोलोनोस्कोपी में 0.1 प्रतिशत मामले में नाकामी की संभावना, मेडिकेयर इमेजेस में 19 वर्षों के कार्यकाल में यह पहला मामला.
आसनसोल : मिहिजाम (झारखंड) कुसबेदिया गांव के निवासी सदानंद पाल (64) की कोलकाता में रविवार रात को हुई मौत के बाद परिजनों ने सोमवार को मेडिकेयर इमेजेस डायगोनॉस्टिक सेंटर के समक्ष शव के साथ प्रदर्शन किया और जमकर हंगामा मचाया.
रविवार को मेडिकेयर इमेजेस में सदानंद का कोलोनोस्कोपी करने के दौरान हालत बिगड़ने पर कोलकाता पीयरलेस अस्पताल में ले जाने के क्रम में मौत हो गयी थी. परिजन 50 लाख रुपये मुआवजे की मांग को लेकर सुबह आठ बजे से साढ़े ग्यारह बजे तक प्रदर्शन किया. पुलिस के साथ परिजनों की हाथापाई की नौबत आ गयी. पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया. साढ़े छह लाख रुपये मुआवजे की मांग पर सहमति बनने के बाद आंदोलन समाप्त हो गया. भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी.
सनद रहे कि रविवार को सदानंद को कोलोनोस्कोपी के लिए मेडिकेयर इमेजेस में लाया गया था. उनकी स्थिति नाजुक थी. लेप्रोस्कोपिक जनरल और गैस्ट्रोइंटेस्टाइन सर्जन (एमआरसीएस और एफआरसीएस) डॉ. शिवनाथ मंडल ने उनका कोलोनोस्कोपी किया. उनके सिगमोइड कोलोन में दो ट्यूमर था. कोलोनोस्कोपी में ऑप्टिकल फाइबर के साथ जुड़ा कैमरा मलद्वारा से प्रवेश कराकर पेट के अंदर की सारी जानकारी प्राप्त की जाती है. इस मामले में कैमरा बड़ी आंत होकर छोटी आंत तक पहुंची तब मरीज के पेट के अंदर दो ट्यूमर टीवी स्कीन पर चिकित्सक को दिखी. इस दौरान सदानंद की हालत बिगड़ने लगी.
चिकित्सक ने तत्काल उन्हें बेहतर इलाज के लिए कोलकाता पीयरलेस अस्पताल में ले जाने को कहा और खुद मरीज के साथ कोलकाता के लिए निकल पड़े. अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने सदानंद को मृत बताया. डेथ सर्टिफिकेट में मौत का कारण कार्डियो रेस्पिरेटरी फेलियर बताया गया है. परिजन कोलकाता से शव को लेकर सीधे सोमवार सुबह आठ बजे मेडिकेयर इमेजेस पहुंचे और मुख्य द्वार पर शव को रखकर आंदोलन शुरू कर दिया. मृतक के छोटे पुत्र कार्तिक पाल ने बताया कि जिस एम्बुलेंस से उनके पिता को कोलकाता ले जाया गया था, वह एम्बुलेंस अस्पताल में उन्हें छोड़कर भाग गया.
पिताजी का सारा मेडिकल कागजात, तीस हजार रुपया नकद उसमें थी. परिजन 50 लाख रुपये मुआवजा की मांग पर अड़ गए और आंदोलन करने लगे. सूचना मिलते ही पुलिस बल पहुंची और परिजनों को समझाने का प्रयास किया कि कनूनी प्रक्रिया के तहत वे अपना कार्य करें. इस दौरान पुलिस के साथ हाथापाई की नौबत आ गयी. पुलिस ने स्थिति को शांत किया. डॉ. मंडल के साथ मुआवजा को लेकर परिजनों की बात हुई. साढ़े छह लाख रुपये पर सहमति बनी. समझौता कागजात पर परिजन हस्ताक्षर कर आंदोलन समाप्त किया.
क्या कहना है मेडिकेयर इमेजेस का?
मेडिकेयर इमेजेस प्रबंधन ने बताया कि कोलोनोस्कोपी में मरीज की हालत बिगड़ने की संभावना 0.1 प्रतिशत होती है. इसलिए मेडिकल गाइडलाइन के अनुसार कोलोनोस्कोपी करने से पहले इस बात का उल्लेख कर मरीज के परिजनों से कन्सर्न फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाकर ही कोलोनोस्कोपी की जाती है. इस मामले में भी परिजनों को कन्सर्न फार्म भरवाया गया था.
यह सेंटर पिछले 19 वर्षों से यहां परिसेवा दे रही है. तीन हजार से अधिक मरीजों का कोलोनोस्कोपी किया जा चुका है. यह पहला मामला है जब मरीज की हालत बिगड़ गयी. तत्काल मरीज को सबसे बेहतर चिकित्सा के लिए कोलकाता पीयरलेस अस्पताल भेजा गया. डॉ. मंडल खुद मरीज से साथ गए. लेकिन मरीज की मौत हो गयी. यह दुखद है, इस प्रकार की घटना की उम्मीद किसी को नहीं थी.

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