सिधाबाड़ी में सीआइएसएफ ट्रेनिंग कैंप के लिए कोयला मंत्रालय ने दी मंजूरी

आसनसोल/रूपनारायणपुर : सालानपुर प्रखण्ड के देंदुआ ग्राम पंचायत अंतर्गत सिधाबाड़ी मौजा में इसीएल की जमीन पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के प्रशिक्षण शिविर के लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है. यह जमीन दस साल की लीज पर सीआईएसएफ शिविर के लिए आवंटित किया गया है. शिविर में आधारभूत संरचना मुहैया कराने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2020 2:59 AM

आसनसोल/रूपनारायणपुर : सालानपुर प्रखण्ड के देंदुआ ग्राम पंचायत अंतर्गत सिधाबाड़ी मौजा में इसीएल की जमीन पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के प्रशिक्षण शिविर के लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है. यह जमीन दस साल की लीज पर सीआईएसएफ शिविर के लिए आवंटित किया गया है. शिविर में आधारभूत संरचना मुहैया कराने के मुद्दे पर सीआईएसएफ और इसीएल प्रबंधन के बीच चर्चा चल रही है. आधारभूत संरचना के लिए यहां सौ करोड़ रुपये के निवेश होने की संभावना है.

प्राप्त सूचना के अनुसार सीआईएसएफ के महानिदेशक ने सिधाबाड़ी में स्थित इसीएल की जमीन को चार सौ जवानों का प्रशिक्षण शिविर के लिए आवंटित करने को लेकर इसीएल के चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक को अपील की. यह अपील बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में मंजूर होने के बाद केंद्रीय कोयला मंत्रालय में भेजा गया. जिसे कोयला मंत्रालय ने दस वर्षों की लीज पर देने की मंजूरी दे दी.
इस जमीन पर सीआईएसएफ बैरक, बिजली, पानी, प्रशिक्षण के जरूरी साजो सामान आदि के निर्माण पर करीब सौ करोड़ रुपया का डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार हुआ है. यह निर्माण कौन करेगा? दस साल के लिए सीआईएसएफ इस जमीन पर निर्माण करती है तो दस साल बाद इस आधारभूत संरचना निर्माण का खर्च क्या इसीएल भुगतान करेगी?
यदि इसीएल इस आधारभूत संरचना का निर्माण करती है तो इससे इसीएल को क्या लाभ होगा? दस साल बाद सीआईएसएफ से आधारभूत संरचना को कम कीमत पर यदि कंपनी खरीद लेती है तो उसका उपयोग क्या होगा. इन तकनीकी कारणों के निष्पादन को लेकर फाइल तैयार किया गया है. जिसपर सीआईएसएफ और इसीएल के आधिकरियों के बीच चर्चा भी जारी है. यह मामला सुलझते ही सिधाबाड़ी में सीआईएसएफ प्रशिक्षण शिविर का कार्य आरंभ हो जाएगा.
सनद रहे कि वर्ष 1978 में सिधाबाड़ी में सीआईएसएफ की रिक्रूटमेंट ट्रेंनिग सेंटर (आरटीसी) बनाया गया था. वर्ष 1981 में यहां से पहली बार बहाली की प्रक्रिया हुई थी. पांच किलोमीटर के अंदर बथानबाड़ी फायरिंग रेंज होने के कारण कारण यह जगह सीआईएसएफ के लिए काफी उपयोगी साबित हुई. यहां इसीएल के पुराने अस्पताल को सीआईएसएफ बैरेक के रूप में विकसित किया गया.
सीआईएसएफ के 400 जवान यहां रहते थे. इन लोगों की नियमित जरूरतों को पूरा करने के लिए अल्लाडी मोड़ पर बाजार बस गया. इलाके की रौनक काफी बढ़ गयी. वर्ष 2000 में यह कैम्प यहां से हट गया. आज भी लोग इस जगह को सीआईएसएफ कैम्प के नाम से ही जानते हैं. स्थानीय निवासी और इलाके के सबसे पुराने आमीन (सर्वेयर) दिबाकर पाल ने बताया कि सीआईएसएफ के बदौलत यह इलाका काफी विकसित हुआ था. सैकडों लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार मिला था.
सीआईएसएफ के वाहनों से कुछ दुर्घटना होने के कारण स्थानीय कुछ लोगों ने इसका विरोध आरम्भ कर दिया. सीआईएसएफ द्वारा स्थानीय नेताओं की मांगों को नजरअंदाज किये जाने के कारण नेताओं ने इस विरोध को जमकर हवा दी. जिसके कारण यह कैम्प यहां से हट गया. कैम्प हटते ही यह इलाका वीरान हो गया. बाजारों की रौनक ही चली गयी.

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