सीआइएल ने माफ किया कर्ज

इसीएल के इतिहास में दूसरी बार मिली बीआइएफआर से मुक्ति आसनसोल : इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड अपनी स्थापना के बाद दूसरी बार बीआइएफआर से बाहर हुई है. कंपनी की स्थापना वर्ष 1975 में हुई थी. गठन के बाद से ही कंपनी लगातार घाटे में चलती रही. केंद्रीय सरकार के स्तर से मिलनेवाली सबसिडी के कारण इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2015 4:29 AM
इसीएल के इतिहास में दूसरी बार मिली बीआइएफआर से मुक्ति
आसनसोल : इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड अपनी स्थापना के बाद दूसरी बार बीआइएफआर से बाहर हुई है. कंपनी की स्थापना वर्ष 1975 में हुई थी. गठन के बाद से ही कंपनी लगातार घाटे में चलती रही. केंद्रीय सरकार के स्तर से मिलनेवाली सबसिडी के कारण इस घाटे को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया.
कंपनी पर सामाजिक दायित्वों का बोझ भी अधिक था तथा कोयले के मूल्य के निर्धारण का दायित्व सरकार का था. वर्ष 1990 में उदारवादी नीति लागू होने के बाद केंद्र सरकार ने सबसिडी बंद करने का निर्णय लिया. इसके बाद कंपनी का घाटा लगातार बढ़ने लगा. वर्ष 1996-97 में कंपनी की पूंजी निगेटिव हो गयी तथा कंपनी बीआइएफआर के अधीन चली गयी. लेकिन वर्ष 1998-99 में कंपनी बीआइएफआर से बाहर आ गयी. उसे बाहर निकालने में कोल इंडिया की निर्णायक भूमिका रही.
उसने अपने लोन को इक्यूटी में बदल दिया. पूंजी के पोजिटिव होते ही कंपनी बीआइएफआर से बाहर आ गयी. लेकिन कंपनी की कार्य प्रणाली और उत्पादन प्रक्रिया में काफी बदलाव नहीं आने के कारण वित्तीय वर्ष 1997-98 में कंपनी को 541.89 करोड़ रुपये का घाटा हुआ तथा वित्तीय वर्ष 1998-99 में कंपनी को 469 करोड़ का घाटा हुआ. वर्ष 1998-99 में कंपनी की पूंजी निगेटिव (- 8,000 करोड़) हो गयी. इसके कारण कंपनी पुन: बीआइएफआर में चली गयी. वर्ष 2006-07 में इसके पुनरूद्धार पैकेज को मंजूरी दी गयी. यूनियनों को विश्वास में लिया गया. यूनियनों ने 17 पैचों में आउटसोर्सिग करने पर सहमति जतायी. राज्य व केंद्र सरकार के साथ-साथ वित्तीय संस्थाओं व सीआइएल से भी सहयोग लिया गया.
कंपनी ने बदलना शुरू किया. वित्तीय वर्ष 20110-11 में कंपनी को 962.13 करोड़ रुपये का लाभ हुआ. अलगे वित्तीय वर्ष में भी लाभ हुआ, लेकिन उसकी राशि कम थी. वित्तीय वर्ष 2012-13 में कंपनी ने 1299.28 करोड़ तथा वित्तीय वर्ष 2013-14 में कंपनी ने 1897.18 करोड़ रुपये का मुनाफा अजिर्त किया. यह वर्ष कंपनी के लिए मील का प्थर साबित हुआ तथा दो वर्ष पहले ही कंपनी ने अपनी पूंजी पोजिटिव कर ली.
31 दिसंबर, 14 को कंपनी की पूंजी 916.11 करोड़ रुपये पोजिटिव हो गयी थी. इसमें सीआइएल ने दो हजार करोड़ रूपये की राशि का समायोजन किया. लोन मद में पांच सौ करोड़ रुपये की राशि माफ कर दी गयी तथा डेढ़ हजार करोड़ रुपये की राशि को इक्यूटी में बदल दिया गया. सभी दस्तावेज बीआइएफआर में जमा होने के बाद बुधवार को कंपनी पुन: बीआइएफआर से बाहर हो गयी.

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