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बार एसोसिएशन का चुनाव आज
आसनसोल : आसनसोल बार एसोसिएशन का चुनाव की सारी तैयारी पूरी हो गयी है. मुख्य चुनाव अधिकारी प्र्णचंद्र मिश्र, उपमुख्य चुनाव अधिकारी इंद्रनील घोष समेत चार चुनाव अधिकारियों की देख -रेख में बुधवार की सुबह 11 बजे से मतदान की प्रक्रिया आरंभ हो जायेगी. उसके बाद तीन बजे से मतगणना की जायेगी. चुनाव के पूर्व […]
आसनसोल : आसनसोल बार एसोसिएशन का चुनाव की सारी तैयारी पूरी हो गयी है. मुख्य चुनाव अधिकारी प्र्णचंद्र मिश्र, उपमुख्य चुनाव अधिकारी इंद्रनील घोष समेत चार चुनाव अधिकारियों की देख -रेख में बुधवार की सुबह 11 बजे से मतदान की प्रक्रिया आरंभ हो जायेगी. उसके बाद तीन बजे से मतगणना की जायेगी.
चुनाव के पूर्व मंगलवार को कोर्ट परिसर में चुनाव को लेकर माहौल काफी गरम रहा. कुल 15 पदों के लिए हो रहे मतदान में 47 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. जीतने के बाद अधिवक्ताओं के हित में काम करने के दावों के साथ कोर्ट परिसर में चुनाव प्रचार करते देखे गये. वहीं सदस्यों द्वारा आसनसोल कोर्ट में व्याप्त समस्याओं की बात उठायी जा रही है. आसनसोल कोर्ट के अधिवक्ता चुनाव को लेकर काफी गंभीर है. कुछ अधिवक्ताओं का यह भी कहना है कि चुनाव से पहले किये गये वादे देश के नेताओं की तरह यहां भी चुनाव के बाद भुला दिये जाते हैं.
सैयद हैदर अली का कहना है कि वकीलों के लिए न तो रिटायरमेंट है और न ही कोई अतिरिक्त सुविधा. एसोसिएशन की ओर से इस दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए. इसके साथ ही वकीलों के लिए मेडिकल व बीमा की सुविधा के साथ ही रिटायरमेंट की एक उम्र सीमा निर्धारित कर, उसका लाभ भी प्रदान किया जाना चाहिए.
देवव्रत बर्मन का कहना है कि कोर्ट परिसर में वकीलों के बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए. वाहन रखने के लिए पार्किग की व्यवस्था होनी चाहिए. कोर्ट परिसर में नियमित रूप से सफाई होनी चाहिए.
उमाशंकर जयसवाल का कहना है कि हर बार चुनाव के पहले बड़ी-बड़ी बातें होती है, लेकिन चुनाव होने के बाद मुद्दों की बातें गौण हो जाती है. इस बार जो भी प्रत्याशी जीते वह कम से चुनाव से पहले किये गये अपने वादों को निभाने का प्रयास करें.
सोमनाथ मुखर्जी कहते हैं कि समय के साथ आसनसोल कोर्ट का आकार और अधिकार में वृद्धि हुई लेकिन सुविधाएं वही जस की तस है. कल भी यहां वकीलों के बैठने के लिए जगह नहीं था. इन समस्याओं का समाधान होना चाहिए.
राम सुभग सिंह का कहना है कि वर्तमान समय में सबसे अधिक साफ -सफाई की बात की जा रही है. इसके प्रचार में करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. कोर्ट परिसर में सफाई का सबसे ज्यादा अभाव है. यहां भी नियमित रूप से सफाई होनी चाहिए.
विजन धर का कहना है कि आसनसोल कोर्ट में काम करने वाले अधिवक्ताओं की बहुत सारी समस्याएं हैं. शौचालय तो दूर की बात है, पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है. एसोसिएशन के पदाधिकारियों को इन समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए.
चंदन पाल कहते हैं कि कोर्ट में केवल सफाई, पेयजल, शौचालय की ही समस्या नहीं है. बहुत सारी पेशागत समस्याएं भी है. कई बार स्टांप पेपर तो कभी रिवेन्यू टिकट की कमी हो जाती है. इससे काफी परेशानी होती है. इसकी उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
प्रमोद सिंह का कहना है कि एसडीओ कोर्ट के नियमित रूप से नहीं चलने के कारण चलान, सर्ज आर्डर, कार्य स्थगन आदि मामलों में काफी असुविधा होती है. इसे असुविधा को दूर किया जाना चाहिए. इसके साथ ही आरटीओ से संबंधित मामलों में भी असुविधा होती है.
समांतन मुखर्जी कहते हैं कि कोर्ट में आने वाले आम नागरिकों को कम से कम चार से पांच घंटा तो रुकना ही पड़ता है, लेकिन कोर्ट में उनके लिए न तो बैठने की व्यवस्था है और न ही शौचालय आदि की. इससे कभी-कभी मुवक्किलों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
पुलक चटर्जी का कहना है कि पिछले काफी समय से सुलभ शौचालय की मांग की जा रही है. कोर्ट के समीप एक है भी तो वह देख-रेख के अभाव में बंद पड़ा हुआ है. इस दिशा में पहल होनी चाहिए.
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