आईओ के खिलाफ मांगी रिपोर्ट

आसनसोल : बर्नपुर अस्पताल के चिकित्सक डॉ शुभदीप खां(36) की आत्महत्या में कुल्टी थाना के पुलिस अधिकारी तोजामल मंडल की भूमिका की जांच करने का आदेश बर्दवान जिला कोर्ट के जिला सत्र न्यायाधीश पवन कुमार मंडल ने दिया है. इस संबंध में पुलिस आयुक्त विनित कुमार गोयल से 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी गयी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2015 5:44 AM
आसनसोल : बर्नपुर अस्पताल के चिकित्सक डॉ शुभदीप खां(36) की आत्महत्या में कुल्टी थाना के पुलिस अधिकारी तोजामल मंडल की भूमिका की जांच करने का आदेश बर्दवान जिला कोर्ट के जिला सत्र न्यायाधीश पवन कुमार मंडल ने दिया है.
इस संबंध में पुलिस आयुक्त विनित कुमार गोयल से 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी गयी है. जांच में दोषी पाये जाने के बाद उक्त अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया है. इसकी सूचना पुलिस आयुक्त कार्यालय को मंगलवार को ही भेज दी गयी है.
सनद रहे कि डॉ खां की आत्महत्या के मामले में उनके परिजनों ने उनकी पत्नी रूमा खां, ससुर मधुसुधन चन्द्र, सास प्रणति चन्द्र तथा पुलिस अधिकारी श्री मंडल के खिलाफ कुल्टी थाने में आत्महत्या करने के लिए प्रताड़ित करने की प्राथमिकी कुल्टी थाने में दर्ज करायी है. उनके तीन रिश्तेदारों ने जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दी थी.
इसकी सुनवाई मंगलवार को कोर्ट में हुई थी. डॉ खां के परिजनों के अधिवक्ता सदन तां ने बताया कि उन्होंने इस मामले में अग्रिम जमानत का विरोध किया. उन्होंने कहा कि इस मामले में उनकी पत्नी ने कुल्टी थाने में डॉ खां के खिलाफ प्रताड़ना की प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें उनके साथ-साथ उनके माता-पिता को भी आरोपी बनाया गया था. उनके माता-पिता को जिला कोर्ट से तथा उन्हें कोलकाता हाइ कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गयी थी. इसके बाद उनके ससुरालवालों ने उनके खिलाफ भरण-पोषण राशि के भुगतान का मामला दर्ज किया. इसके बाद उनके साथ मिल कर जांच अधिकारी श्री मंडल ने डॉ खां पर दबाब बनाना शुरू किया तथा बड़ी राशि के भुगतान के बाद मामले को सलटाने का प्रस्ताव दिया.
काफी दबाब बढ़ने के बाद डॉ खां ने 19 मार्च को जहर का इंजेक्शन लगा कर आत्महत्या कर ली. इसके पहले उन्होंने अपनी आत्महत्या नोट में ससुरालवालों के साथ-साथ पुलिस अधिकारी को भी इसके लिए दोषी ठहराया. पुलिस ने घटनास्थल से उनका आत्महत्या नोट भी बरामद किया था. उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी उक्त पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. उन्होंने उक्त पुलिस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.
श्री तां ने कहा कि न्यायाधीश श्री मंडल ने आत्महत्या नोट व प्राथमिकी का अवलोकन करने के बाद पुलिस अधिकारी की भूमिका पर गहरी नाराजगी जतायी. उन्होंने तीन आरोपियों की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी.
लेकिन पुलिस अधिकारी की भूमिका की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह के मामले में जांच करते समय किसी भी पुलिस अधिकारी को सावधानी बरतनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इनकी भूमिका की जांच पुलिस आयुक्त कार्यालय से होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पुलिस आयुक्त कार्यालय इनकी भूमिका की जांच कर 15 दिनों में कोर्ट को रिपोर्ट पेश करें. यदि उनकी भूमिका आपत्तिजनक या दायित्वों से अलग है तो पुलिस आयुक्त उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करें.
लोक अभियोजक सुब्रत हाटि ने कहा कि उन्होंने अभियोजन पक्ष के स्तर से सारी बातें कोर्ट के समक्ष रखी तथा उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी का विरोध किया. कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तीन आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी. पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच का आदेश जारी किया गया है.

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