बारिश से एक लाख टन उत्पादन बाधित
सांकतोड़िया : कोयलांचल में पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण इसीएल का उत्पादन प्रभावित हुआ है. लक्ष्य से पचास प्रतिशत कम उत्पादन हो सका है. इससे कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा. सीएमडी के तकनीकी सचिव निलाद्री राय ने कहा कि वर्षा के कारण प्रतिदिन 50 हजार टन कोयले का उत्पादन […]
सांकतोड़िया : कोयलांचल में पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण इसीएल का उत्पादन प्रभावित हुआ है. लक्ष्य से पचास प्रतिशत कम उत्पादन हो सका है. इससे कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
सीएमडी के तकनीकी सचिव निलाद्री राय ने कहा कि वर्षा के कारण प्रतिदिन 50 हजार टन कोयले का उत्पादन कम हुआ.
दो दिनों में एक लाख टन कोयले का उत्पादन प्रभावित हुआ. उन्होंने कहा कि इसीएल की सबसे बड़ी परियोजना राजमहल परियोजना है. वहां दो दिनों में 40 हजार टन कोयले का उत्पादन प्रभावित हुआ. सोनपुर बाजारी परियोजना में 30 हजार टन कोयला का उत्पादन प्रभावित हुआ. बारिश के कारण उत्पादन और डिस्पैच दोनो प्रभावित है.
यही स्थिति रही तो पावर प्लांटों को कोयले का संकट हो सकता था. इसीएल का उत्पादित 80 फीसदी कोयला पावर सेक्टर को जाता है.
बाकी 20 फीसदी कोयला कोर सेक्टर के उद्योंगो यथा-स्टील, सीमेंट व छोटे छोटे कल कारखानों में जाता है. लगातार बारिश से भूमिगत खदानों में भी पानी भरने का भय बना रहता है. हालांकि अभी तक सभी भूमिगत खदानें सुरक्षित है.
मानसून की तैयारी पहले से ही कर ली गयी है. श्री राय ने कहा कि इसीएल का उत्पादन कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कोयला कंपनियों से बेहतर है. डिस्पैच में भी कोल इंडिया में इसीएल का ग्रोथ सबसे अधिक है.
इधर सूत्रों का कहना है कि दो दिनों की लगातार बारिश में भूमिगत खदानों में जल स्तर काफी बढ़ गया है.कई खदानें खतरे के कगार पर है. सोदपुर एरिया में सभी खदानें भूमिगत है. पहले से ही चिनाकुड़ी माईन संख्या एक, बैजडीह कोलियरी, पटमोहना कोलियरी, धेमोमेन कोलियरी, पारबेलिया कोलियरी, दूबेश्वरी कोलियरी सहित अन्य खदानों में पहले से ही पानी भरा हुआ है. वर्षा के कारण जल स्तर और भी बढ़ गया है.
खदानों से जल निकासी के लिए जितनी संख्या में मोटर पंप की आवश्यकता है. कंपनी मुख्यालय से उतना मिल नहीं पाता है. इसके कारण पर्याप्त जल निकासी नहीं हो पा रही है.