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आर्म्स एक्ट के तहत किया था गिरफ्तार

आसनसोल : अनुसूचित जाति राष्ट्रीय आयोग के रीसर्च ऑफिसर ए भट्टाचार्या ने पुलिस आयुक्त अजय नंद से आसनसोल थाना के पूर्व थानेदार संजय चक्रवर्त्ती व पीपी प्रभारी अनन्या दे के संबंध में एक माह में रिपोर्ट तलब की है. आयोग में कुमारपुर निवासी व व्यवसायी शुद्धदेव रविदास ने शिकायत की है कि दोनों पुलिस अधिकारियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2015 3:00 AM
आसनसोल : अनुसूचित जाति राष्ट्रीय आयोग के रीसर्च ऑफिसर ए भट्टाचार्या ने पुलिस आयुक्त अजय नंद से आसनसोल थाना के पूर्व थानेदार संजय चक्रवर्त्ती व पीपी प्रभारी अनन्या दे के संबंध में एक माह में रिपोर्ट तलब की है. आयोग में कुमारपुर निवासी व व्यवसायी शुद्धदेव रविदास ने शिकायत की है कि दोनों पुलिस अधिकारियों ने उनसे पांच लाख रुपये की रंगदारी मांगी, इंकार करने पर झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी, जमीन दखल करने का विरोध करने पर उन्हें जातिसूचक शब्दों का सार्वजनिक उपयोग कर उन्हें शारीरिक व मानसिक रुप से प्रताड़ित किया.
श्री रविदास ने कहा है कि वे रियल स्टेट के व्यवसाय से जुड़े हैं तथा जमीन की क्रय-बिक्रय व भवन निर्माण का कार्य करते हैं. आसनसोल साउथ थाना क्षेत्र अंतर्गत टीलाबांध में उनकी 70 बीघा जमीन है. उनकी कर्मी जयंत बाउरी देखभाल करता है. उन्होंने कहा कि कुछ दबंग व्यक्ति पुलिस अधिकारियों से मिल कर उनकी जमीन हड़पने की कोशिश करते रहे हैं. बीते आठ अप्रैल को प्रबोध मंडल ने अपने सहयोगियों के साथ उक्त जमीन पर मशीन लगा कर कार्य शुरू कर दिया. जब वे रोकने गये तो उन्होंने पीपी प्रभारी सुश्री दे के माध्यम से पांच लाख रुपये तत्कालीन थानेदार श्री चक्रवर्त्ती को देने को कहा गया. इंकार करने पर जातिसूचक शब्दों का उपयोग कर उन्हें बुरे अंजाम की धमकी दी गयी. उन्होंने कहा कि इसके छह दिन बाद 14 अप्रैल को पीपी के पुलिस कर्मी उनके घर से उन्हें, उनके भाई मनोज रविदास व जयंत को बलपूर्वक पीपी कार्यालय में ले गये. वहां थानेदार श्री चक्रवर्त्ती व पीपी प्रभारी सुश्री दे मौजूद थी.
वहां उनके साथ गाली गलौज करते हुए पांच लाख रुपये की मांग की गयी. राशि देने से इंकार करने पर तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया. 15 अप्रैल को उन्हें भादवि की धारा 341, 323, 325, 326, 307, 506, 34 तथा 25/27 आर्म्स एक्ट के तहत प्राथमिकी (कांड संख्या -123/2015) दर्ज कर आसनसोल कोर्ट में चालान किया गया. अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने प्राथमिकी का अवलोकन करने तथा उनके खिलाफ कोई साक्ष्य न रहने के कारण उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया.
उन्होंने कहा है कि कोर्ट के निर्णय के बाद श्री चक्रवर्त्ती काफी उत्तेजित हो गये. उसी रात को पुलिस ने फिर उनके घर में छापेमारी की तथा उनके सहयोगी सुरेश यादव, भाई विजय रविदास व विनय रविदास की गिरफ्तारी का प्रयास किया. उनके नहीं मिलने पर इंकाउंटर की धमकी दी गयी. 16 अप्रैल को तीनों ने आसनसोल कोर्ट में उपरोक्त प्राथमिकी के मामले में आत्मसमर्पण किया तथा जमानत ले ली. इसके पहले भी सात जनवरी को श्री चक्रवर्त्ती ने उसके भाई विजय से रंगदारी की मांग की थी. भुगतान न करने पर झूठे मामले में फंसाने की धमकी धी थी. इसकी शिकायत तत्कालीन पुलिस आयुक्त विनित गोयल से की गयी थी. लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने आयोग में शिकायत दर्ज करायी तथा पूरे परिवार की जान-माल की सुरक्षा की मांग करते हुए दोनों पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
आयोग के रीसर्च ऑफिसर श्री भट्टाचार्या ने पुलिस आयुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि श्री रविदास से आयोग को शिकायत मिली है तथआ आयोग ने भारतीय संविधान की धारा 338 के तहत निहित्त अधिकार के तहत इसकी जांच करने का निर्णय लिया है. शिकायत से संबंधित तथ्य व सूचनाएं एक माह में आयोग के पास पुलिस आयुक्त भेंज दें.

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