बीबी कॉलेज का हिंदी एमए सेंटर बंद

हिंदी माध्यम शिक्षा को बढ़ावा देने के मुख्यमंत्री के अभियान को भारी झटका आसनसोल : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हिंदी माध्यम शिक्षा को बढ़ावा देने के दावे तथा राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक के ड्रीम प्रोजेक्ट के साथ-साथ कोयलांचल के लाखों हिंदीभाषियों को भावनाओं को काजी नजरूल विश्वविद्यालय प्रशासन ने जबर्दस्त झटका दिया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 13, 2015 2:37 AM
हिंदी माध्यम शिक्षा को बढ़ावा देने के मुख्यमंत्री के अभियान को भारी झटका
आसनसोल : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हिंदी माध्यम शिक्षा को बढ़ावा देने के दावे तथा राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक के ड्रीम प्रोजेक्ट के साथ-साथ कोयलांचल के लाखों हिंदीभाषियों को भावनाओं को काजी नजरूल विश्वविद्यालय प्रशासन ने जबर्दस्त झटका दिया है. तीन वर्षो के लगातार संघर्ष के बाद स्थानीय बीबी कॉलेज परिसर में संचालित हिंदी के स्नातकोत्तर केंद्र को चालू शिक्षण सत्र से बंद करने का निर्णय ले लिया गया है.
दु:ख की बात है कि इस सेंटर की सीटों को समायोजन भी नहीं किया गया है. हालांकि इस सेंटर के बंद करने के लिए जो तर्क विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिया है, वह उसकी ही दोरंगी नीति का परिचायक है. पिछले वर्ष इस सेंटर में 25 छात्र-छात्रओं ने नामांकन लिया था.
लंबे संघर्ष का था परिणाम
वर्ष 2011 में इस सेंटर की स्थापना के लिए स्थानीय मंत्री श्री घटक व विधायक तापस बनर्जी के नेतृत्व में अभियान शुरू किया गया था. बड़ी संख्या में तथा विभिन्न तबकों के प्रतिनिधियों ने इस अभियान में भागीदारी की थी. उनका तर्क था कि आसनसोल महकमा से सैक ड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं हिंदी में ऑनर्स की पढ़ाई करते हैं. परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद हिंदी में एमए की पढ़ाई करने के लिए उन्हें बर्दवान जाना पड़ता है. इनमें 99 फीसदी छात्राएं होती है.
उन्हें काफी परेशानी होती है तथा बड़ी संख्या में छात्रों का पलायन होता है. लंबी प्रक्रिया के बाद वर्ष 2012 में बीबी कॉलेज में इस सेंटर को मंजूरी मिली. लेकिन बर्दवान विश्वविद्यालय की तकनीकी अड़चनों के कारण उस वर्ष कोई नामांकन नहीं हो सका.
वर्ष 2013 में इसमें नामांकन शुरू हुआ. 29 छात्र-छात्रओं ने नामांकन लिया. वर्ष 2014 में काजी नजरूल विश्वविद्यालय में हिंदी में एमए की पढ़ाई शुरू होने के बाद भी इस सेंटर का संचालन बर्दवान विश्वविद्यालय के तहत हुआ. मंत्री श्री घटक ने इसे हमेशा ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में तथा हिंदीभाषियों के लिए बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया. इस सेंटर के छात्र-छात्रओं का रिजल्ट हर परीक्षा में बर्दवान विश्वविद्यालय के सेंटर की तुलना में बेहतर रिजल्ट रहा है.
क्या कहना है बीबी कॉलेज प्रबंधन का
कॉलेज के टीचर इंचार्ज श्री चटर्जी की अनुपस्थिति में सूत्रों ने बताया कि कॉलेज के दो सेंटरों को बंद करने की मौखिक सूचना विश्वविद्यालय प्रशासन ने दे दी है. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय के तहत एक ही विषय में दो सेंटर नहीं चलेंगे. जिस विषय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई यूनिवर्सिटी में होगी, कॉलेजों में उसका सेंटर नहीं रहेगा.
यूनिवर्सिटी में हिंदी व फीजिक्स की पढ़ाई होने के कारण इन सेंटरों को बंद किया गया है. जियोलॉजी की पढ़ाई नहीं होने के कारण कॉलेज के इस सेंटर को जारी रखा गया है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में शीघ्र ही कॉलेज की गवर्निग बॉडी के अध्यक्ष व श्रम मंत्री मलय घटक से बात की जायेगी. इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जायेगा. मंत्री श्री घटक से व्यस्तता के कारण बात नहीं हो सकी.
विश्वविद्यालय ने नहीं दी मान्यता
बीते 24 जून को 25 कॉलेजों की संबद्धता बर्दवान विश्वविद्यालय से हटाकर काजी नजरूल विश्वविद्यालय में कर दी गयी. इसमें बीबी कॉलेज भी शामिल था. इसी बीच दोनों विश्वविद्यालय ने स्नातकोत्तर में नामांकन की प्रक्रिया ऑनलाइन शुरू कर दी. लेकिन दोनों ने ही बीबी कॉलेज में हिंदी में चलनेवाले एमए के सेंटर की सीटों को शामिल नहीं किया. बर्दवान विश्वविद्यालय सूत्रों का कहना था कि बीबी कॉलेज के साथ यह सेंटर भी केएनयू के तहत चला गया.
जबकि केएनयू सूत्रों ने कहा कि नामांकन प्रक्रिया चल रही है. कॉलेजों के सेंटरों के बारे में बाद में निर्णय लिया जायेगा. इस संबंध में बीबी कॉलेज के टीचर इंचार्ज अमलेश चटर्जी ने स्वयं कुलपति साधन चक्रवर्ती से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि कॉलेज में संचालित तीनों स्नातकोत्तर सेंटरों- फीजिक्स, जूलॉजी व हिंदी में नामांकन अलग से लिया जायेगा. इसकी सूचना बाद में जारी की जायेगी. लेकिन 12 अगस्त को जारी सूचना में हिंदी सेंटर को शामिल नहीं किया गया तथा इसे बंद करने की सूचना मौखिक तौर पर कॉलेज प्रबंधन को दे दी गयी.
विश्वविद्यालय की दोरंगी नीति लागू
विश्वविद्यालय प्रशासन ने जिस ‘एक विश्वविद्यालय, एक सेंटर’ की नीति के तहत इस सेंटर को बंद करने का निर्णय लिया है, उसने स्वयं ही इस नीति का उल्लंघन कर रखा है. वर्ष 2013 से विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू हुई. पहले ही वर्ष विश्वविद्यालय में अंग्रेजी में एमए की पढ़ाई शुरू हुई. उसके साथ ही बीसी कॉलेज में भी अंग्रेजी में एमए की पढ़ाई शुरू हो गयी.
इस शिक्षण सत्र में भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने अंग्रेजी में 70 सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू की है. विश्वविद्यालय की सूचना में स्पष्ट दर्ज है कि इनमें से 35 छात्र-छात्रओं का अध्ययन विश्वविद्यालय परिसर व 35 छात्र-छात्रओं का अध्ययन बीसी कॉलेज में स्थित सेंटर में होगा. इस स्थिति में हिंदी के साथ यह भेदभाव आखिर क्यों हो रहा है?
कोलकाता केंद्रित नीति बनी कारण
विश्वविद्यालय प्रशासन की नीति कोलकाता केंद्रित हो गयी है. अधिकारियों को इस क्षेत्र की विशेष जानकारी नहीं है तथा वे कोलकाता के नजरिये से सभी आकलन कर रहे हैं. यही कारण है कि बीबी कॉलेज में संचालित सेंटर को बंद करने से पहले इस मुद्दे पर विचार नहीं किया गया कि इन क्षेत्रों ने निकलनेवाले हिंदी ऑनर्स छात्रों का क्या होगा? क्या उन्हें फिर बर्दवान जाना होगा या फिर अन्य राज्यों में पलायन करना होगा? पिछले वर्ष विश्वविद्यालय के सेंटर में 47 व बीबी कॉलेज के सेंटर में 25 छात्र-छात्रओं का यानी कुल 72 नामांकन हुआ था. लेकिन इस वर्ष मात्र 45 सीटों पर ही नामांकन लिया गया. शेष 27 सीटों का समायोजन क्यों नहीं किया गया? कोलकाता केन्द्रित नीति होने के कारण ही क्या राजनीतिक विसंगतियों की सजा हिंदीभाषियों को दी जा रही है? कई सवाल हिंदी माध्यम के छात्रों व गाजिर्यन के मन में उठ रहे है?
टिप्पणी से विवि प्रशासन का इंकार
इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की गयी. कुलपति श्री चक्रवर्त्ती शहर से बाहर थे. जबकि डीन सहित अन्य अधिकारियों ने इस संबंध में कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि कुलपति ही इस निर्णय के औचित्य की जानकारी दे पायेंगे.

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