तृणमूल बोर्ड गठन की स्थिति में!

आसनसोल/कोलकाता : आसनसोल नगर निगम के चुनाव में कड़ी चुनौती के बीच तृणमूल कांग्रेस मजबूत स्थिति में नजर आ रही है. दूसरे स्थान के लिए वाममोरचा व भारतीय जनता पार्टी कड़ी प्रतिस्पर्धा है. आसनसोल, कुल्टी, रानीगंज व जामुड़िया शहरी क्षेत्रों में राज्य सरकार के खुफिया विभाग तथा सट्टे बाजार में चल रहे सट्टेबाजी के दर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2015 8:39 AM
आसनसोल/कोलकाता : आसनसोल नगर निगम के चुनाव में कड़ी चुनौती के बीच तृणमूल कांग्रेस मजबूत स्थिति में नजर आ रही है. दूसरे स्थान के लिए वाममोरचा व भारतीय जनता पार्टी कड़ी प्रतिस्पर्धा है. आसनसोल, कुल्टी, रानीगंज व जामुड़िया शहरी क्षेत्रों में राज्य सरकार के खुफिया विभाग तथा सट्टे बाजार में चल रहे सट्टेबाजी के दर से सम्मिलित रुप से यह तसवीर उभर रही है.
रानीगंज व जामुड़िया में तृणमूल व वाममोरचा, आसनसोल में तृणमूल, वाममोरचा व भाजपा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष तथा कुल्टी शहरी क्षेत्र में भाजपा व तृणमूल के बीच सीधे संघर्ष की स्थिति बनी हुई है. मेयर पद के लिए भी किसी भी पार्टी की घोषणा नहीं होने के कारण तृणमूल के तापस बनर्जी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. माकपा के पूर्व मेयर तापस राय, भाजपा के एसएन लांबा के भी नाम उभर कर सामने आये हैं.
यह चुनाव विशुद्ध रूप से स्थानीय निकाय का है. इस कारण इस चुनाव में प्रत्याशियों का चयन मुख्य भूमिका अदा कर रहा है. प्रत्याशी चयन के मामले में वाममोरचा ने काफी बदलाव किया है, जबकि भाजपा के लिए इतने बड़े पैमाने पर आसनसोल नगर निगम का चुनाव लड़ने का यह पहला मौका है. बड़ी संख्या में मतदाताओं ने तृणमूल के प्रत्याशियों के चयन पर नाराजगी जतायी है.
उनका कहना है कि सत्ताशीन पार्टी होने के कारण तृणमूल के पास काफी विकल्प हो सकते थे. लेकिन उसने इसका लाभ नहीं उठाया. उनका कहना था कि उनके लिए दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा प्रत्याशियों की उपलब्धता व मतदाताओं के साथ उनका व्यक्तिगत संबंध है. इस मामले में सत्ताशीन होने के कारण यह बढ़त तृणमूल व वाममोरचा के प्रत्याशियों के पक्ष में है. भाजपा के प्रत्याशियों की सक्रियता इस रूप में अधिक नहीं होने के कारण उनके लिए संशय की स्थिति बनी हुई है. यहां तृणमूल को बढ़त मिलती दिख रही है.
मतदाताओं ने आसनसोल के विकास को भी महत्वपूर्ण कारक माना है. अधिसंख्य मतदाताओं का मानना है कि तृणमूल के बोर्ड ने राज्य सरकार की मदद से आसनसोल शहर का विकास किया है.
भले ही सभी क्षेत्रों में बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है. लेकिन शर की सड़कें पक्की हुई है. पेयजल की स्थिति में काफी सुधार आया है. वार्डो में स्ट्रीट लाइट की पर्याप्त व्यवस्था हुई है. विभिन्न मोर्चो पर कई योजनाओं को मंजूरी मिली है. राज्य सरकार के मंत्री मलय घटक के स्थानीय होने का भी लाभ शहर के विकास कार्य में मिला है.
इस मोर्चे पर तृणमूल को इकतरफा बढ़त मिलती दिख रही है. मतदाताओं की मानें तो वाममोरचा के बोर्ड के समय विकास कार्यों में ठहराव-सा आ गया था. भाजपा व कांग्रेस के लिए इस मोर्चे पर बने के लिए काफी कुछ नहीं था.
मतदाताओं में भाजपा के स्टार प्रचार व स्थानीय सांसद सह केंद्रीय राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो को लेकर भी हताशा व निराशा है. उनका कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह श्री सुप्रियो से भी विकास की आशा थी, लेकिन सवा साल बीतने के बाद भी विकास के नाम पर कुछ दिख नहीं रहा है. क्षेत्र में उनकी मौजूदगी कम रहती है. यदि विकास कार्य जमीन पर आते तो उसकी भरपायी हो जाती.
हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड (एचसीएल) के पुनर्रुद्धार तथा रेलवे हॉकरों के मुद्दों पर आधिक नाराजगी है. एचसीएल के मुद्दे पर भाजपा कर्मियों की होली व दिवाली मनाना बुरा लगा है. उनका कहना है कि पूरे बंगाल खासकर बर्दवान व हावड़ा जैसे स्टेशनों पर हजारों हॉकर्स अपनी रोटी रोटी चला रहे हैं. लेकिन आसनसोल के सैक ड़ों हॉकरों को ही क्यों अपनी रोजी-रोटी खोना पड़ा. उन्हें क्यों नहीं राहत मिली? कुछ मतदाताओं में पार्टी की सांगठनिक स्थिति को लेकर भी नाराजगी है.
हालांकि पार्टी की सांगठनिक स्थिति व गुटीय विवाद को लेकर सर्वाधिक संकट में तृणमूल दिख रही है. बागी बन कर निर्दल उम्मीदवार बननेवालों की परेशानी तृणमूल व भाजपा को झेलनी पड़ी है. इस मामले में वाममोरचा की स्थिति में दिख रहा है.
सट्टाबाजार में भाजपा व वाममोरचा पर अधिक बोली लगायी जा रही है. तृणमूल के बोर्ड गठन की दर एक रुपये, भाजपा पर दो रुपये तथा वाममोरचा पर ढाई रुपये की बोली चल रही है. सट्टेबाजों का मानना है कि तृणमूल बोर्ड गठित करने के ज्यादा करीब है. अधिक बोली तृणमूल के पक्ष में ही चल रही है.

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