एटीएम लॉक बता लिये नंबर

ठगी. मिठानी के दुकानदार के खाते से हो गयी 56 हजार की फर्जी निकासी सीतारामपुर : कुल्टी थाना अंतर्गत मिठानी लोडिंग चौड़ा निवासी परदेशी केंवट के बैंक एकाउंट से 56 हजार रुपये की फर्जी निकासी कर ली गयी. श्री केंवट ने नियामतपुर फांड़ी में इसकी शिकायत दर्ज करायी है. वे मिठानी में मोदीखाना की दुकान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 5, 2015 7:19 AM
ठगी. मिठानी के दुकानदार के खाते से हो गयी 56 हजार की फर्जी निकासी
सीतारामपुर : कुल्टी थाना अंतर्गत मिठानी लोडिंग चौड़ा निवासी परदेशी केंवट के बैंक एकाउंट से 56 हजार रुपये की फर्जी निकासी कर ली गयी. श्री केंवट ने नियामतपुर फांड़ी में इसकी शिकायत दर्ज करायी है. वे मिठानी में मोदीखाना की दुकान चलाते है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) की नियामतपुर शाखा में उनका बचत खाता है.
श्री केंवट ने बताया कि विगत एक दिसंबर की दोपहर ढ़ाई बजे उनके मोबाइल फोन पर एक कॉल आया. फोन करनेवाले ने कहा कि उनके खाते से जुड़े एटीएम को बंद कर दिया गया है. यदि उन्हें फिर से इसे जारी रखना है तो उन्हें अपने 16 अंकों के नंबर में से आखिरी छह अंक बताने होंगे. इसके बाद वे कॉलर की बातों में आ गये तथा उसके आदेशानुसार वे सभी संबंधित जानकारी देते गये तथा जैसे करने को कहा, वह करते चले गये.
जिसके बाद उनके बैंक खाता से 56 हजार रुपये की फर्जी निकासी कर ली गयी. मोबाइल फोन पर मैसेज आते ही उन्होंने इसकी जानकारी नियामतपुर एसबीआइ शाखा में दी. बैंक अधिकारियों ने इसकी जानकारी पुलिस को देने को कहा. नियामतपुर फांड़ी में उन्होंने फर्जी निकासी की शिकायत दर्ज करायी. उन्हें साइबर क्राइम सेल जाने की सलाह दी गयी. उन्हें बताया गया कि उनके एकाउंट से उक्त राशि एक्सिस बैंक व बोडाफोन में ट्रांसफर किया गया है.
मालूम हो कि आये दिन ऐसी घटना शिल्पांचल के विभिन्न थाना क्षेत्रों में घट रही. इस फर्जीवाड़ा को अंजाम देनेवाला गिरोह नियामतपुर मोची पाड़ा में शरण लिये हुए है. जिसमें कई स्थानीय युवक भी जुड़े हुये है. इन युवकों को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है. बबनडीहा के भी कुछ स्थानीय युवक इस आपराधिक काम में लिप्त है. पुलिस के पास प्राथमिक स्तर की जानकारी रहते हुए भी पुख्ता साक्ष्य की तलाश हो रही है. सूत्रों ने बताया कि ठगी के इस गोरखधंधे में शामिल गिरोह इस राशि से किसी सामान की खरीदारी नहीं करता है.
राशि की निकासी करते ही वह किसी न किसी टेलीकॉम कंपनी के खाते में जमा कर वाउचर खरीद लेता है. इसके बाद वह वाउचर कम कीमत पर विभिन्न रिटेलरों को बेच दिया जाता है. टेलीकॉम कंपनियां इससे संबंधित जानकारी सहज उपलब्ध नहीं कराती तथा इस वाउचर की खरीदारी के लिए अलग से कोई जांच व्यवस्था नहीं रखती है.

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