वामो-कांग्रेस गंठबंधन पर फारवर्ड ब्लॉक ने भी खड़े किये सवाल

अलीपुरद्वार : विधानसभा चुनाव में माकपा तथा कांग्रेस के बीच गठबंधन का विरोध वाम मोरचा के शरीक दलों में भी जारी है. आरएसपी के बाद फारवर्ड ब्लॉक ने भी इस गठबंधन का विरोध करना शुरू कर दिया है. ऐसी परिस्थिति में सबकी निगाहें अलीपुरद्वार सीट पर टिकी हुई है. यहां कांग्रेस के साथ ही वाम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2016 6:24 AM
अलीपुरद्वार : विधानसभा चुनाव में माकपा तथा कांग्रेस के बीच गठबंधन का विरोध वाम मोरचा के शरीक दलों में भी जारी है. आरएसपी के बाद फारवर्ड ब्लॉक ने भी इस गठबंधन का विरोध करना शुरू कर दिया है. ऐसी परिस्थिति में सबकी निगाहें अलीपुरद्वार सीट पर टिकी हुई है.
यहां कांग्रेस के साथ ही वाम मोरचा के शरीक दल आरएसपी ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है. दूसरी तरफ कांग्रेस के अंदर बगावती तेवर अपनाने वाले देव प्रसाद राय भी इस गठबंधन के विरोध में प्रचार करने में जुट गये हैं. वर्ष 2011 का चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में देव प्रसाद राय इसी सीट से जीते थे.
माकपा के साथ गठबंधन के फैसले के बाद इस बार वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.उल्टे उन्होंने कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार विश्वरंजन सरकार के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. उन्होंने इस गठबंधन को नीतिहीन गठबंधन करार दिया है. इस बीच, फारवर्ड ब्लॉक के मुखपत्र लोकमत में भी इस गठबंधन की आलोचना की गई है. इस अखबार ने थोड़ा सोचिए, गठबंधन, किसका गठबंधन शीर्षक से एक बड़ा समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया है. इस पर माकपा तथा कांग्रेस के बीच गठबंधन पर सवालिया निशान लगाये गये हैं.
अखबार में कहा गया है कि सिर्फ गठबंधन कर लेने भर से क्या, तृणमूल को परास्त करना संभव है? अखबार में आगे कहा गया है कि आज वामपंथी किसी भी तरह से सत्ता पर कब्जा करना चाहते हैं. इसके लिए वह कांग्रेस से भी हाथ मिलाने से नहीं हिचक रहे. राज्य के लोग इस प्रकार के गठबंधन को स्वीकार नहीं करेंगे.
अखबार में माकपा की जमकर आलोचना की गई है. कहा गया है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर वाम मोरचा के शरीक दलों को भरोसे में नहीं लिया गया. इस बीच, वाम मोरचा के अंदर मचे इस घमासान का फायदा उठाने में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार सौरभ चक्रवर्ती जुट गये हैं.
इस सीट पर सौरभ चक्रवर्ती के अलावा आरएसपी के निर्मल दास, कांग्रेस के विश्वरंजन सरकार तथा भाजपा के कुशल चटर्जी भी मैदान में हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यहां वाम मोरचा तथा कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं होने का लाभ तृणमूल उम्मीदवार को मिलेगा. ऐसे अलीपुरद्वार आरएसपी के लिए परंपरागत सीट रही है. 1977 से ही आरएसपी इस सीट से चुनाव जीतती रही है.
वर्ष 2011 में देव प्रसाद राय इस सीट से कांग्रेस तथा तृणमूल कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार थे और उन्होंने आरएसपी उम्मीदवार तथा तत्कालीन मंत्री क्षीति गोस्वामी को हरा दिया था. क्षीति गोस्वामी इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. जबकि गठबंधन के बाद भी आरएसपी ने निर्मल दास को मैदान में उतार दिया है. निर्मल दास इस सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं. वर्ष 1991, 1996, 2001 तथा 2006 में उन्हें चुनावी सफलता मिली थी.

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