एवरेस्ट फतह के बाद उसकी गोद में सो गया सुभाष

आर्थिक संकट के बाद भी परिवार का हर सदस्य था उसके साथ शोक संतप्त परिजनों के साथ खड़ा है बांकु ड़ा जिले का हर निवासी बांकुड़ा : बांकुड़ा के पर्वतारोही सुभाष पाल ने बीते 21 मई को एवरेस्ट की शिखर पर चढ़ने का स्वर्णिम इतिहास रचा. उस पर्वतारोही के न होने के बाद उसकी कमी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 5, 2016 9:08 AM
आर्थिक संकट के बाद भी परिवार का हर सदस्य था उसके साथ
शोक संतप्त परिजनों के साथ खड़ा है बांकु ड़ा जिले का हर निवासी
बांकुड़ा : बांकुड़ा के पर्वतारोही सुभाष पाल ने बीते 21 मई को एवरेस्ट की शिखर पर चढ़ने का स्वर्णिम इतिहास रचा. उस पर्वतारोही के न होने के बाद उसकी कमी काफी महसूस हो रही है. उसकी उपलब्धि से बांकु ड़ा गर्वान्वित है तो उसके न रहने से गमगीन भी.
पेशे से गाड़ी चालक होने के चलते आर्थिक स्थिति उतनी ठीक नहीं थी. शहर के गोविंदनगर स्थित शारदा पल्ली इलाके में एक छोटे से मकान में माता, पिता, भैया. भाभी एवं पुत्री एवं धर्मपत्नी के साथ रहता था. पिता भक्तदास पाल सेवानिवृत राज्य सरकारी होने के बावजूद किसी तरह अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे.
बड़े भाई प्रणव पाल भी किसी न किसी माध्यम से परिवार के खर्च वहन करने में सहयोग कर रहे थे. किंतु पर्वतारोहन के दौरान एवरेस्ट शिखर पर जाने को लेकर सभी ने सहयोग प्रदान किया था. सुभाष ने बीते 21 मई को एवरेस्ट की चोटी फतह करने की सूचना दी. परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गयी थी. किंतु लौटते वक्त सुभाष की मौत की खबर सुन जिले में शोक छा गया.
फेसबुक प्रेमी भी परिजनों को सांत्वना देने में सक्रिय हैं. जिला प्रशासन से लेकर जिला परिषद तक से सहयोग का आश्वासन मिला है. जिला परिषद अध्यक्ष अरूप चक्रवर्ती ने बेटी सुश्रता की पढ़ायी का खर्च वहन करने की घोषणा की है. राजनीतिक दलों की ओर से आर्थिक सहयोग की पहल जारी है. बीजेपी के प्रदेश महासचिव डॉ सुभाष सरकार ने फेसबुक एवं वाट्स एप के माध्यम से परिजनों को आर्थिक सहयोग करने की अपील भी की है. डॉ सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया के इस दौर में फेसबुक में पोस्ट की गयी अपील को 24 हजार लोगों ने पसंद किया है. सहयोग की राशि एक लाख से अधिक हो गयी है.

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