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प्रबंधन 58 वर्ष के आधार पर चला रहा है कर्मियों की पूरी प्रक्रिया रुपनारायण यूनिट हेड ने मांगा मार्ग निर्देशन कॉरपोरेट कार्यालय से यूनियन प्रतिनिधियों के साथ कंपनी सीएमडी की बैठक होगी आज रुपनारायणपुर : कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद हिंदूस्तान केबल्स लिमिटेड में कर्मियों के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) का मामला तकनीकी […]

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प्रबंधन 58 वर्ष के आधार पर चला रहा है कर्मियों की पूरी प्रक्रिया
रुपनारायण यूनिट हेड ने मांगा मार्ग निर्देशन कॉरपोरेट कार्यालय से
यूनियन प्रतिनिधियों के साथ कंपनी सीएमडी की बैठक होगी आज
रुपनारायणपुर : कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद हिंदूस्तान केबल्स लिमिटेड में कर्मियों के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) का मामला तकनीकी उलझन मे फंस गया है.
उच्च न्यायालय के एकल खंड़पीठ न्यायाधिश समाप्ति चटर्जी ने केंद्र सरकार के निर्णय के विरुद्ध श्रमिकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी में 60 वर्ष उम्र तक वाले श्रमिकों को वीआरएस के लिए आवेदन जमा करने का आदेश जारी किया. जबकि कंपनी प्रबंधन 58 वर्ष तक की सेवा अवधि के लिए वीआरएस के आवेदन के लिये फॉर्म आवंटन कर रहा था. मंगलवार को यूनियन के नेता और कर्मियों ने रुपनारायणपुर के इकाई प्रमुख उपमहाप्रबंधक बासूदेव दे को अदालत के आदेश की प्रति सौंप कर तत्काल कार्रवाई की मांग की.
श्री दे ने आदेश की प्रति को कॉरपोरेट कार्यालय कोलकाता भेज दिया और कहा कि कॉरपोरेट कार्यालय के निर्णय पर ही आगे की कार्रवाई होगी. प्रबंधन यदि अदालत का आदेश मानता है तो उसे वीआरएस फॉर्म संशोधित कर नए सिरे से लागू करना होगा. केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रलय के निर्देश पर ही नया फॉर्म बना कर जारी होगा. जिसमें समय लगेगा.
अदालत का आदेश न मानकर प्रबंधन 58 वर्ष के आधार पर वीआरएस फॉर्म जमा लेने के निर्णय पर अटल रहता है तो कर्मी हाइ कोर्ट की अवमानना की याचिका हाइ कोर्ट में दायर करेंगे. साथ ही इलाके में भी भारी गड़बड़ी की आशंका बनी रहेगी. प्रबंधन यदि अदालत के फैसले की चुनौती देती है तो उसमें भी समय लगेगा और 31 अक्तूबर को वीआरएस जमा देने का अंतिम दिन टल सकता है.
क्या है मामला
28 सितंबर को केंद्र सरकार ने केबिनेट की बैठक में एचसीएल को बंद करने की मंजुरी दे दी. जिसके उपरांत कर्मियों के लिए वीआरएस जारी की गयी. वीआरएस फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 31 अक्तूबर है. प्रबंधन कर्मियों के लिए सेवा निवृत्ति की उम्र 58 वर्ष मान रहा है. इसी के आधार पर फॉर्म भरा जाना है.
58 वर्ष की उम्र पार कर चुके कर्मियों को वीआरएस का कोई प्रावधान नहीं है. अवकाश ग्रहण की उम्र सीमा 58 वर्ष लागू किए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में चल रहे मामले पर त्वरित सुनवायी कर निष्पादन करने के लिए बीते गुरुवार को मधुसूदन घोष ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की. 24 अक्तूबर को सुनवाई न्यायाधीश समाप्ति चटर्जी ने कहा कि मामले का अंतिम निर्णय होने तक कंपनी में 60 वर्ष तक के सभी कर्मी वीआरएस के लिए आवेदन कर सकते है.
यूनियन नेताओं में मंगलवार को इकाई प्रमुख श्री दे को अदालत के आदेश की प्रति सौंपी. जैक के संयोजक अनिल महाजन ने बताया कि 60 वर्ष के आधार पर प्रबंधन वीआरएस का फॉर्म जमा लेगा. 58 वर्ष के आधार पर ही पैसे का भुगतान होगा. मामले में अंतिम निर्णय यदि प्रबंधन के पक्ष में जाता है तो उसे कोई राशि भुगतान नहीं करनी होगी. यदि श्रमिकों के पक्ष में आता है तो दो वर्ष का पैसा भूगतान करेगी.
तकनीकी उलझन क्या है?
अदालत का फैसला आने के बाद पूरी प्रक्रिया जटिल हो गयी है. 58 वर्ष की उम्र सीमा पार कर चुके कर्मियों को इसके बाद का क्लेम करना पड़ेगा, जबकि अन्य कर्मियों के आकलन में दो वर्ष की अतिरिक्त राशि का समायोजन करना पड़ेगा. कोर्ट ने राशि भुगतान के मुद्दे पर कोई स्पष्ट राय नहीं दी है.
इस कारण अपने-अपने स्तर से आदेश की समीक्षा हो रही है. 26 अक्तूबर को यूनियन प्रतिनिधि कोलकाता में सीएमडी के साथ बैठक करेंगे. बैठक में सभी पहलुओं पर पुनर्विचार के बाद ही वीआरएस पर अंतिम निर्णय हो सकता है.

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