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सीएमडी समेत चार निदेशक पहुंचे ललमटिया खदान

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इसीएल मुख्यालय और राजमहल में बनाये गये हैं दो कंट्रोल रूम वित्त निदेशक कर रहे मुख्यालय से पूरा सहयोग, मेडिकल टीम रवाना छह क्षेत्रों से रेस्क्यू टीमों को किया गया रवाना, बचाव कार्य युद्धस्तर पर आसनसोल/नितुड़िया : इसीएल की राजमहल परियोजना के ललमटिया ओसीपी पैच में गुरुवार की रात ओबी डैम्प स्लाइड की घटना में […]

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इसीएल मुख्यालय और राजमहल में बनाये गये हैं दो कंट्रोल रूम
वित्त निदेशक कर रहे मुख्यालय से पूरा सहयोग, मेडिकल टीम रवाना
छह क्षेत्रों से रेस्क्यू टीमों को किया गया रवाना, बचाव कार्य युद्धस्तर पर
आसनसोल/नितुड़िया : इसीएल की राजमहल परियोजना के ललमटिया ओसीपी पैच में गुरुवार की रात ओबी डैम्प स्लाइड की घटना में कार्यरत श्रमिको के फंसे होने को लेकर रेस्क्यू करने के लिए युद्धस्तर पर देर रात से ही कार्य शुरू कर दिया गया था. हालांकि लैंड स्लाइड में बिजली के खंभे गिरने से रोशनी के अभाव में राहत कार्य उस पैमाने पर शुरू नहीं किया जा सका था. पर सुबह होते ही दोनों तकनीकी निदेशकों एके सिंह और बीएन शुक्ला के वहां पहुंचते ही बचाव कार्य में तेजी आ गयी.
घटना के बाद ही दोनों तकनीकी निदेशक ललमटिया के लिए रवाना हो गये थे और रात दो बजे तक घटनास्थल पर पहुंच गए थे और रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर बनाये हुए हैं. शुक्र वार की सुबह कार्मिक निदेशक के एस पात्न और नागपुर से प्रभारी सीएमडी आरआर मिश्र भी घटनास्थल के लिए निकल गये थे. इसीएल मुख्यालय पहुंचने पर अन्य दिनों के अपेक्षा थोड़ी मायूसी पसरी हुयी थी. ललमटिया खान दुर्गटना की पूरी छाया मुख्यालय परिसर में साफ झलक रही थी. प्रशासनिक भवन के अधिकांश सभी बड़े अधिकारी अपने कार्यालय में नहीं थे और जो थे, वे ललमटिया घटना की पल पल की खबर लेने में मशगूल थे.
घटना के बाद राजमहल और इसीएल मुख्ययालय सांकतोड़ियां में कं ट्रोल रूम बनाया गया है. जहां से अधिकारी घटनास्थल के अधिकारियों के साथ पल पल की खबर प्राप्त कर मुख्ययालय स्तर पर कार्रवाई में जुटे हुये है. इस मामले में वित्त निदेशक एएम मराठे अपने कार्यालय में रह कर घटना पर नजर बनाये हुये थे. उन्होंने कहा कि घटना के बाद से ही कंपनी के छह क्षेत्रों से रेस्क्यू टीम बचाव कार्य के लिए ललमटिया रवाना कर दी गयी हैं.
प्रत्येक टीम में सात सदस्य शामिल हैं. विशेष चिकित्सकों की टीम सीएमएस के नेतृत्व में चली गयी हैं. उन्होंने कहा कि खुली खदानों में भी कभी कभी इस तरह की घटना घट जाती है. इसकी पूरी जांच की जरु रत है. अगर कोई दोषी पाया गया तो उसपर कार्रवाई भी होगी. लेकिन इस समय प्राथमिकता अधिक से अधिक लोगो को सुरिक्षत बाहर निकालने की है. झारखण्ड सरकार और स्थानीय प्रशासन का पूरा सहयोग मिल रहा है. एनडीआरएफकी टीम भी रेस्क्यू कार्य में युद्धस्तर पर लगी हुई है.

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