वूमैन तहफूजे शरीयत एंड इस्लाह ए मुशायरा का आयोजन
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‘आंखो में छुपा लूं, जो नजर आये मोहम्मद’
वूमैन तहफूजे शरीयत एंड इस्लाह ए मुशायरा का आयोजन कि मुसलिम पर्सनल लॉ में महिलाओ को दर्जा मिलने से समानता आसनसेाल : ऑल इंडिया पर्सनल लॉ की आसनसोल महिला शाखा ने शनिवार को बीएनआर स्थित रवीन्द्र भवन में वूमैन तहफूजे शरीयत एंड इस्लाह ए मुशायरा का आयोजन किया. मौके पर मुसलिम पर्सनल लॉ (हैदराबाद) के […]
कि मुसलिम पर्सनल लॉ में महिलाओ को दर्जा मिलने से समानता
आसनसेाल : ऑल इंडिया पर्सनल लॉ की आसनसोल महिला शाखा ने शनिवार को बीएनआर स्थित रवीन्द्र भवन में वूमैन तहफूजे शरीयत एंड इस्लाह ए मुशायरा का आयोजन किया. मौके पर मुसलिम पर्सनल लॉ (हैदराबाद) के अबू तालिब रहमानी, उपमेयर तब्बसुम आरा, कोलकाता की डॉ नीलम गजाला, ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ (हैदराबाद) की डॉ उसमा जैहरा, सबरा हिना खातून, मुफ्ती जहीर आलम रिजवी, शैफ आइसा, मौलाना जाबिर रिजवी, शैयद मुहम्मद अफरोज, पार्षद नसीम अंसारी, मुहम्मद असलम अंसारी आदि उपस्थित थे.
मैलाना कारी इस्लाम कमरी ने तलाबते कलाम से कार्यक्रम की शुरूआत की.
मुशायरे में शाहीन परवीन ने ‘आंखो में छुपा लू, जो नजर आये मोहम्मद’ तथा गुलशन फिरदौस ने ‘वर्षो से मचलते है अरमान, ये काश कि हमले कुछ सांस महीने में’ पेश किया. मुहम्मद अबू तलबी ने कहा कि मुसलिम पर्सनल लॉ में महिलाओ को दर्जा मिलने से बहुत से काम आसान हुये है. देश में 20 करोड़ मुसलिम समुदाय के लोग रहते है. तो उनमें से 50 फीसदी महिलाओ की जनसंख्या है. इतनी बड़ी संख्या की मुसलिम पर्सनल लॉ उपेक्षा नहीं कर सकता है. औरतो को समान दर्जा मिलेन से उनका जीवन स्तर सुधरा है. लेकिन कुछ लोग औरतो को तीन तलाक जैसे मामले को उठाकर गुमराह कर रहे है. इस्लाम में औरतो का दर्जा सबसे उपर माना गया है. इस्लाम में औरतो को एक मुकाम दिया गया है. आज मुसलिम पसर्नल लॉ में औरतो को दर्जा मिलने से साबित होता है. मदरे के समान औरते भी कदम से कदम मिलाकर चल रही है. इसे आगे बढने का मौका मिलना चाहिए. अफवाहो पर ध्यान न दे.
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