इसीएल, बीसीसीएल, सीसीएल में वीआरएस
नयी नीति. उत्पादन लागत में कटौती करने की दिशा में कोल इंडिया प्रबंधन ने लिया निर्णय महिला वीआरएस लागू करने के बाद सीआइएल प्रबंधन ने तीन पुरानी कोयला कंपनियों के लिए नये सिरे से वीआरएस लागू करने का निर्णय लिया है ताकि उत्पादन लागत को नियंत्रित किया जा सके. माडलिटी होने के बाद यूनियन नेतआों […]
नयी नीति. उत्पादन लागत में कटौती करने की दिशा में कोल इंडिया प्रबंधन ने लिया निर्णय
महिला वीआरएस लागू करने के बाद सीआइएल प्रबंधन ने तीन पुरानी कोयला कंपनियों के लिए नये सिरे से वीआरएस लागू करने का निर्णय लिया है ताकि उत्पादन लागत को नियंत्रित किया जा सके. माडलिटी होने के बाद यूनियन नेतआों से बनायी जायेगी सहमति.
आसनसोल : कोयले के बढ़ते उत्पादन खर्च से परेशान कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) प्रबंधन मैन पावर कम करने के लिए अगले वित्तीय वर्ष में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) लागू करने पर विचार कर रहा है. कंपनी बोर्ड की बैठक में इस बाबत चर्चा की गयी. मॉडलिटी तय करने के लिए अधिकारियों को निर्देश भी दिये गये हैं. मॉडलिटी तय होते ही यूनियनों से चर्चा कर कोल इंडिया बोर्ड से स्वीकृत कर लागू कर दिया जायेगा. एक जनवरी, 2017 को कोल इंडिया का मैनपावर 3,13,829 था.
क्या है स्थिति
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मैन पावर का एक बड़ा हिस्सा उत्पादन में शामिल नहीं है. लिहाजा उत्पादन लागत में काफी वृद्धि हो रही है. खर्च का 50 फीसदी कर्मियों के भुगतान पर खर्च होता है. दूसरा अहम कारण यह है कि डिपार्टमेंटल उत्पादन से आउटसोर्सिग का उत्पादन काफी अधिक हो रहा है. कंपनी के लिए सबसे अधिक चिंता की बात भूमिगत खदानें हैं. जहां कोयला उत्पादन पर ओसीपी से अधिक खर्च हो रहा है.
तीन कंपनियों के लिए अलग वीआरएस: कोल इंडिया की अनुषांगिक इकाई इसीएल, बीसीसीएल और सीसीएल में मैन पावर कम करने के लिए नेशनल रिन्यूवल फंड (एनआरएफ) से चार सौ करोड़ रुपये विशेष रूप से आवंटित किया गया. यह फंड साल 1999-2000 में बंद कर दिया गया. तब कोयला मंत्रलय ने इसके लिए बजटीय प्रावधान को वार्षिक बजट से मंजूरी करायी. इस साल जो वीआरएस इन तीन कंपनियों में लागू हुयी वो तब कोयलांचल में गोल्डेन सेक हैंड योजना के के नाम से काफी चर्चित हुई थी.
दो बार पहले भी हो चुका है लागू
कोल इंडिया लिमिटेड में सबसे पहले वर्ष 1988-89 से वीआरएस लागू हुआ. इस योजना के तहत ही बड़ी संख्या में कोयला मजदूरों ने वीआरएस लिया. यह योजना वर्ष 1996 तक चली. फिर देश के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में मैन पावर कम करने के लिए सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीआइ) ने वर्ष 1997 में एक दूसरी योजना शुरू की.
इसके तहत भी कोयला श्रमिकों तथा कर्मचारियों ने वीआरएस लिया. कोल इंडिया में वर्ष 2004 तक वीआरएस चला. बीच-बीच में चर्चा चली िक वीआरएस लागू होनेवाला है. पर लागू नहीं हुआ. साल 2014 में फिमेल वीआरएस लागू हुआ. इसके तहत महिलाकर्मी द्वारा वीआरएस लेने के बाद आश्रित पुत्र को नियोजन देने का प्रावधान था.