पेंशन फंड को नहीं है कोई संकट

पेंशन फंड : कोल इंडिया प्रबंधन ने सब कमेटी की बैठक में लटकाया आर्थिक सहयोग का मुद्दा कोयला श्रमिकों के दसवें राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौते के शीघ्र होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. लगातार किसी न किसी मुद्दे पर प्रबंधन तथा यूनियन प्रतिनिधियों के बीच विवाद हो रहा है. इस बार कोयला श्रमिकों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 14, 2017 8:28 AM
पेंशन फंड : कोल इंडिया प्रबंधन ने सब कमेटी की बैठक में लटकाया आर्थिक सहयोग का मुद्दा
कोयला श्रमिकों के दसवें राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौते के शीघ्र होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. लगातार किसी न किसी मुद्दे पर प्रबंधन तथा यूनियन प्रतिनिधियों के बीच विवाद हो रहा है. इस बार कोयला श्रमिकों के पेंशन फंड पर संकट को लेकर प्रबंधन ने दावा किया है कि कोई संकट ही नहीं है. इस कारण उत्पादन आधारित सहयोग का प्रश्न ही नहीं है. यूनियन प्रतिनिधि इसे खारिज कर रहे हैं.
आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) में पेंशन को लेकर अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गयी है. जेबीसीसीआइ-10 की बैठक तथा इसकी सब कम्ेटी की बैठकों में पेंशन फंड को बचाने के लिए वित्तीय सहयोग देने पर राजी कोल इंडिया प्रबंधन ने अब अपना सुर बदल लिया है.
कोल इंडिया प्रबंधन एक चार्टर्ड एकाउंटेंट के एक पत्र का हवाला दे रहा है. इसमें कहा गया है कि वर्त्तमान में पेंशन फंड पर कोई संकट नहीं है. कोल इंडिया प्रबंधन के इस बदले रुख पर ही आगामी 24 अप्रैल को धनबाद में उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया है. इसमें सीएमपीएफ के आयुक्त, कोल इंडिया के अधिकारी, बीसीसीएल सह सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह सहित चार केंद्रीय यूनियमों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
क्या है मामला
जेबीसीसीआइ-10 की वेज सब कमेटी की सात-आठ अप्रैल को दिल्ली में बैठक थी. बैठक में पेंशन फंड में कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा वित्तीय सहयोग करे का तरीका पूछा गया. नेताओं ने पूछा कि प्रबंधन प्रति टन कितना सहयोग देगा? इसके बाद कोल इंडिया के सीनियर मैनेजर (कार्मिक) मनोज कुमार के मेल पर कोलकाता के एक चार्टर्ड एकाउंटेंट सरकार गुरूमूत्तर्ि एंड एसोसिएट्स का मेल अया. जिसकी प्रति यूनियन के प्रतिनिधियों को उपलब्ध करा दी गयी.
सीए के पत्र ने बढ़ायी परेशानी
कोल इंडिया के इस पैंतरे से यूनियन नेता, सीएमपीएफ के अधिकारी समेत सभी लोग हैरान हैं. लोग कह रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक चार्टर्ड एकाउंटेंट से पत्र लिखाया गया. बताते हैं कि पेंशन फंड की बदहाली से न तो कोल इंडिया अनजान है और न ही कोयला मंत्रालय. सीएमपीएफ ट्रस्टी बोर्ड की कम से कम चार बैठकों में पेंशन फंड की बदहाली पर चर्चा हुई है.
अस ट्रस्टी बोर्ड के अध्यक्ष कोया सचिव सुशील कुमार हैं. संयुक्त सचिव, कोल इंडिया के चेयरमैन, कार्मिक निदेशक, एससीसीएल, एनसीएल, सीसीएल, सिंगरैनी कोल कंपनी के कार्मिक निदेशक तथा विभिन्न केंदद्रीय यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल हैं. जेबीसीसीआइ-10 की पहली बैठक छह-सात दिसंबर, 2016 को जयपुर में हुयी थी. इस बैठक में पहला मुद्दा पेंशन फंड ही था. चर्चा के बाद सीआइएल के कार्मिक निदेशक की अध्यक्षता में इसके लिए सब कमेटी गठित हुयी. सब कमेटी मे दो बैठक कर मामले को जेबीसीसीआइ की 21-22 जनवरी को केरल में हुयी बैठक में रखा. चर्चा के बाद प्रबंधन वित्तीय सहयोग पर राजी हुआ. इसके पूर्व 28 जून, 2016 को दिल्ली में हुयी उच्चस्तरीय बैठक में सीएमपीएफ ने पावर प्रेजेंटेशन के माध्यम से पेंशन फंड की तस्वीर रखी. जिसके मुताबिक अगर वित्तीय सहयोग नहीं मिला तो वर्ष 2022 से पेंशन का भुगतान बंद हो सकता है.
यूनियन नेताओं ने की आलोचना
जेबीसीसीआइ सदस्य तथा एटक नेता आरसी सिंह तथा जेबीसीसीआइ सदस्य सह एचएमएस नेता एसके पांडेय ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों के तहत सीआइएल प्रबंधन किसी न किसी बहाने दसवें राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौते को लटकाये रखना चाहता है.
यही कारण है कि किसी भी बैठक में प्रबंधन के स्तर से कोई ठोस प्रस्ताव नहीं रखा जा रहा है. हर बैठक में कोई न कोई नया मुद्दा उठा कर विवाद पैदा किया जाता है. सब कमेटियों की बैठकों का कोई औचित्य नहीं रह गया है. पहली बैठक में प्रबंधन प्रतिनिधि जो प्रस्ताव रखते हैं, अगली बैठक में खुद ही अपने प्रस्ताव से कट जाते हैं. उन्होंने कहा कि जेबीसीसीआइ की संपूर्ण बैठक में यूनियन प्रतिनिधियों को इस पर स्पष्टीकरण प्रबंधन से पूछना चाहिए तथा टालबहाना करने पर पूरे कोयला उद्योग में हड़ताल का रास्ता अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बैठकों से बात नहीं बनने वाली है.
क्या कहते हैं सीएमपीएफ आयुक्त
सीएमपीएफ आयुक्त बीके पांडा ने कहा कि पेंशन इनफ्लो घट रहा है. आउटफ्लो बढ़ रहा है.यानी पेंशन मद में सहयोग राश् िदेनेवालों की संख्या घटती जा रही है. जबकि पेंशन लेनेवालों की संख्या बढ़ती जा रही है. कोल इंडिया में नयी बहाली नहीं हो रही है. ठेका मजदूरों को सीएमपीएफ से नहीं जोड़ कर इपीएफओ से जोड़ दिया गया है. कौन क्या पत्र लिख रहा है, उन्हें मालूम नहीं है. पेंशन फंड की देखरेख वे करते हैं. पेंशन फंड की स्थिति के बारे में तीनृ-तीन एक्चूरियल रिपोर्ठ है. सीआइएल प्रबंधन भी स्वीकार करता रहा है कि पेंशन फंड की स्थिति ठीक नहीं है. कुछ साल के बाद शून्य हो जायेगा.

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