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22 वर्ष पुराने मामले में आरोपी अरेस्ट, नहीं मिला ट्रांजिट रिमांड

छेड़खानी के मामले में मुगलसराय जीआरपी को निराशा

By Prabhat Khabar News Desk | August 26, 2024 1:09 AM

आसनसोल/रानीगंज. 22 साल पुराने छेड़खानी के एक मामले में मुगलसराय जीआरपी ने रानीगंज एनएसबी रोड इलाके के निवासी, आरोपी पुनीत केडिया (46) को गिरफ्तार किया. मुगलसराय की दूरी यहां से 600 किलोमीटर होने को आधार बनाकर तीन दिनों की ट्रांजिट रिमांड की अपील के साथ आरोपी को आसनसोल जिला अदालत में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया गया. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मुगलसराय जीआरपी की अपील को खारिज कर आरोपी को जमानत दे दी. मुगलसराय जीआरपी को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा. लेकिन यह मामला आसनसोल अदालत में चर्चा का विषय बना हुआ है. वरिष्ठ अधिवक्ता मधुसूदन गराई ने कहा कि आरोपी इस मामले में वहां की अदालत में हाजिर नहीं हुआ और जमानत भी नहीं ली. हाजिर होने की तारीख लगातार फेल होने के कारण ही अतिरिक्त न्यायायिक दंडाधिकारी रेलवे अदालत मुगलसराय ने अरेस्ट वारंट जारी किया, जिसके आधार पर ही आरोपी को जीआरपी मुगलसराय की टीम ने गिरफ्तार किया. जिसे अदालत में जमानत मिल गयी. मामले में मुगलसराय रेलवे अदालत की अगली तारीख 31 अगस्त 24 को है. उस दिन आरोपी को वहां जाकर मामले में जमानत ले लेनी चाहिए, अन्यथा दोबारा अगर अरेस्ट वारंट जारी होता है तो इसबार जमानत की कोई गुंजाइश नहीं होगी. गौरतलब है कि मुगलसराय जीआरपी में 11 अक्तूबर 2002 को छेड़खानी की एक शिकायत दर्ज हुई थी. जिसके आधार पर रजिस्ट्रेशन नंबर 1570/2002 में आइपीसी की धारा 354 के तहत मामला दर्ज हुआ. इस मामले की जांच अभी भी जारी है. जिस समय मामला दर्ज हुआ था, उस समय आरोपी की उम्र 24 साल थी, अब वह 46 साल का है. इस मामले में आरोपी, जिस अदालत में मामला चल रहा है, वहां हाजिर नहीं हुआ और जमानत भी नहीं ली. जिसके कारण 22 साल पुराने मामले में आरोपी के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हुआ और वह गिरफ्तार भी हुआ. फिलहाल वह ट्रांजिट रिमांड से बच गया, अदालत ने उसे जमानत दे दी लेकिन वह मुख्य मामले से नहीं बचा है. उस मामले में जांच अभी भी जारी है. वरिष्ठ अधिवक्ता श्री गराई ने बताया कि आइपीसी की धारा 354 में दो साल तक का कारावास और जुर्माने का भी प्रावधान है. उन्होंने कहा कि अदालती कार्रवाई की कभी भी अवहेलना नहीं करनी चाहिए. तुरंत इसके निष्पादन की प्रक्रिया अपना लेनी चाहिए, अन्यथा 22 साल बाद भी अरेस्ट वारंट जारी होता है.

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