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बोकारो के अमित सिंह का सिमकार्ड निकला बेलूड़ इलाके के एक दिहाड़ी मजदूर के नाम

इस नेटवर्क के कोर सदस्यों के पास सैकड़ों सिमकार्ड होने की जानकारी मिली है.

आसनसोल/दुर्गापुर. 1.01 करोड़ रुपये के दुर्गापुर लूटकांड में जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, पुलिस को चौंकानेवाले तथ्यों की जानकारी मिल रही है. पुलिस उपायुक्त (ईस्ट) अभिषेक गुप्ता ने बताया कि इस अवैध कारोबार के नेटवर्क से सैकड़ों की संख्या में पूरे देशभर में लोग जुड़े हुए हैं. इस नेटवर्क के कोर सदस्यों के पास सैकड़ों सिमकार्ड होने की जानकारी मिली है. अलग-अलग लोगों से बात करने के लिए अलग-अलग सिमकार्ड का उपयोग करते थे और हर कांड के लिए ये लोग अपना सिमकार्ड बदलते हैं. कोई भी सिमकार्ड इनके नाम पर नहीं होता था. पुलिस को अबतक दर्जनों सिमकार्ड मिले हैं, जो ये लोग उपयोग कर रहे थे, लेकिन ये सिमकार्ड इनके नाम पर नहीं हैं. पुलिस इसकी गहराई से जांच कर रही है कि ये सिमकार्ड इनलोगों के पास कैसे पहुंचता था? सूत्रों के अनुसार इस कांड के आरोपी व बोकारो (झारखंड) निवासी अमित सिंह ने पीड़ित मुकेश चावला को फंसाकर दिल्ली से यहां लाया था. वह मुकेश के साथ जिस नंबर से बात करता था, जांच में पता चला कि वह सिमकार्ड अमित के नाम पर नहीं है. वह सिमकार्ड हावड़ा के बेलुड़ इलाके में रहनेवाले एक दिहाड़ी श्रमिक के नाम पर है.

गौरतलब है कि पांच सितंबर 2024 को दुर्गापुर थाना क्षेत्र में एनएच-19 पर पियाला मोड़ के पास एक कार से कथित तौर पर 1.01 करोड़ रुपये की छिनताई का मामला दर्ज होने से पूरे राज्य में हलचल मच गयी थी. कांड में दुर्गापुर थाना के सहायक अवर निरीक्षक, सीआइडी बम स्क्वाड का एक जवान, राज्य आइबी के पूर्व अधिकारी सहित कुल छह लोगों को पुलिस ने शिकायत मिलते ही गिरफ्तार किया था. बाद में तीन और लोगों को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार हुए लोगों से पूछताछ और इनके पास से बरामद बैंक डिटेल्स व अन्य कागजातों से पुलिस को एक के बाद एक चौंकानेवाली जानकारियां मिल रही हैं. कांड का सरगना सालानपुर थाना क्षेत्र के रूपनारायणपुर इलाके का निवासी पृथ्वीराज ओसवाल, अजय दास, जामताड़ा (झारखंड) जिला के मिहिजाम इलाके का निवासी प्रदीप रजक की गिरफ्तारी के बाद इस कांड में पुलिस को काफी कुछ जानकारी मिलने की उम्मीद है. कांड से जुड़े नेटवर्क के सौ से ज्यादा लोगों के शामिल होने की बात सामने आ रही है.

पैसे डबलिंग के इस अवैध धंधे में सिमकार्ड मुहैया करनेवाली कंपनियों के कुछ लोग भी हैं शामिल

आम तौर पर एक व्यक्ति को सिमकार्ड लेने के लिए खुद दुकान या शोरूम में जाना पड़ता है. जिस कंपनी का सिम लेना है दुकानदार उस कंपनी के ऐप के माध्यम से ग्राहक का लाइव फोटो तीन एंगल से लेता है. वैध कागजात जमा लिये जाते हैं उसके बाद सिमकार्ड मिलता है. प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी होती है. लेकिन इस प्रकार की आपराधिक गतिविधि से जुड़े लोगों को सिमकार्ड बड़ी ही आसानी से मिल जाते हैं. दुर्गापुर लूटकांड में भी पकड़े गये आरोपी और जो फरार हैं उनके पास सैकड़ों सिम कार्ड हैं, जिनका उपयोग वे अलग-अलग कांड में अलग-अलग लोगों से बात करने के लिए करते हैं. पुलिस को सूचना मिली है कि सिमकार्ड मुहैया करनेवाले कुछ कंपनियों के कर्मचारी इनसे मिले हुए हैं. वे लोग किसी तरह जालसाजी करके दूसरे व्यक्ति के डॉक्युमेंट्स पर सिमकार्ड निकालते है और उन्हें मुहैया कराते हैं.

अमित सिंह दिल्ली से मुकेश चावला को फंसाकर लाया आसनसोल, गाड़ी से उतरकर हो गया लापता

पैसा डबलिंग के अवैध कारोबार में किसी व्यक्ति को फंसाकर मुख्य सरगना तक पहुंचाने के लिए कुल राशि पर पांच प्रतिशत का कमीशन मिलता है. बोकारो निवासी अमित सिंह के जरिये इस नेटवर्क का चेन बढ़ता गया और मुकेश चावला इसमें फंस गया. मुकेश के साथ अमित की सीधी बात होने लगी. मुकेश दिल्ली से अमित के साथ आसनसोल आया. यूपी का मनोज सिंह भी साथ था. जो पांच प्रतिशत कमीशन के चक्कर में आया था. रूपनारायणपुर में पृथ्वीराज के घर पर 50 लाख के बदले 65 लाख रुपये और कोलकाता ले जाने के लिए अतिरिक्त 35 लाख, कुल एक करोड़ रुपये का भुगतान हुआ. रूपनारायणपुर से अमित, मनोज, मुकेश और दो चालक गाड़ी लेकर कोलकाता के लिए निकले. रूपनारायणपुर का अमित बहाना बनाकर उतर गया. दुर्गापुर में कांड हुआ. मुकेश के साथ अमित जिस फोन नंबर से लगातार बात कर रहा था, वह नंबर हावड़ा बेलुड़ के एक दिहाड़ी श्रमिक के नाम पर रजिस्टर्ड था. पुलिस ने बेलुड़ में जब उस व्यक्ति को ढूंढ लिया तो पुलिस भी उसे देखकर हैरान थी. वह व्यक्ति खुद नहीं जानता था कि उसके नाम पर रजिस्टर्ड सिमकार्ड अमित सिंह को कैसे मिल गया?

संचार साथी में जाकर देखें कि कहीं आपके नाम पर तो नहीं निकल गया कोई सिमकार्ड

दूरसंचार विभाग ने यह सुविधा दी है कि कोई भी व्यक्ति यह जान सकता है कि उसके नाम पर कुल कितने सिमकार्ड जारी हुए हैं. यदि कोई सिमकार्ड उसके नाम पर जारी हुआ है व जिसकी जानकारी उसके पास नहीं है तो सिमकार्ड ब्लॉक करने का भी प्रावधान दिया गया है. इसके लिए https:tattoo: sancharsaathi.gov.in वेबलसाइट में जाना होगा. उसमें फोन नंबर देने की जगह होगी. फोन नंबर और कैप्चा देते ही ओटीपी आयेगा. इस ओटीपी को देकर लॉगिन करते ही आपके नाम पर कितने सिम कार्ड हैं, उसका पूरा ब्यौरा आ जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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