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Special Story: काली पूजा की आड़ में काला धन को सफेद करते थे अणुव्रत मंडल! 570 तोला सोना पर CBI की नजर

Prabhat Khabar Special Story: खुद को काली और शिव का भक्त बताने वाले अणुव्रत मंडल भव्य काली पूजा का आयोजन करते हैं. बोलपुर स्थित तृणमूल कांग्रेस के पार्टी कार्यालय में हर साल आयोजित होने वाली काली पूजा की सबसे खास बात होती है- मां काली का स्वर्णाभूषण से शृंगार.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 13, 2022 6:55 AM
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Prabhat Khabar Special Story: मवेशी तस्करी मामले (Cattle Smuggling Case) में गिरफ्तार बीरभूम के कद्दावर और दबंग तृणमूल नेता अणुव्रत मंडल काली पूजा (Anubrata Mondal Kali Puja) की आड़ में काला धन (Black Money) को सफेद करने के धंधे में भी लिप्त थे! केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को इसका शक है. इसलिए केंद्रीय जांच एजेंसी की नजर 570 तोला सोना पर है, जो काली पूजा के दौरान मां काली की प्रतिमा को पहनायी जाती है.

काली और शिव के भक्त हैं अणुव्रत मंडल

खुद को काली और शिव का भक्त बताने वाले अणुव्रत मंडल भव्य काली पूजा का आयोजन करते हैं. बोलपुर स्थित तृणमूल कांग्रेस (TMC) के पार्टी कार्यालय में हर साल आयोजित होने वाली काली पूजा की सबसे खास बात होती है- मां काली का स्वर्णाभूषण से शृंगार. मां की प्रतिमा पर चढ़ाये जाने वाले सोने के जेवरात का वजन साल-दर-साल बढ़ता जाता है.

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5 साल में 160 तोला से 560 तोला हो गया स्वर्णाभूषण

वर्ष 2016 में प्रतिमा पर कुल 160 भरी सोने के आभूषण चढ़ाये गये थे. वर्ष 2019 में यह बढ़कर 260 भरी हो गया. इस वर्ष 32 सोने के आभूषण जुड़े थे. वर्ष 2020 में काली पूजा के दौरान केस्टो दा (Anubrata Mondal @ Keshto Da) ने मां काली की प्रतिमा पर 360-370 भरी के सोने के गहने चढ़ाये थे. वर्ष 2021 में स्वर्णाभूषणों का वजन बढ़कर 560-570 तोला हो गया.

स्वर्णाभूषण का मूल्य करीब 3 करोड़ रुपये

इन आभूषणों का बाजार मूल्य करीब 3 करोड़ रुपये से अधिक है. अणुव्रत मंडल मां काली की प्रतिमा को हर साल अपने हाथों से सजाते हैं. हालांकि, 2019 और 2020 में मां और पत्नी की मृत्यु के कारण केस्टो दा मां काली की प्रतिमा का आभूषणों से शृंगार नहीं कर पाये थे. बाहर से सब कुछ देखा था.

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सोने के गहनों की सुरक्षा के लिए तैनात होते हैं सशस्त्र पुलिस बल

मां काली की प्रतिमा के गहनों की सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को पूजा पंडाल में तैनात किया जाता है. पिछले वर्ष काली पूजा के दौरान जब पत्रकारों ने गहनों के बारे में केस्टो दा से सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि भक्तों की कृपा है. मां के भक्त उन्हें गहने देकर जाते हैं. सब मां का प्रभाव है.

अणुव्रत के पंडाल में ही क्यों चढ़ता है इतना सोना?

अणुव्रत मंडल की गिरफ्तारी के बाद अब सीबीआई (CBI) ने प्रतिमा पर चढ़ाये जाने वाले स्वर्णाभूषणों की भी जांच शुरू कर दी है. आखिर कौन ऐसा भक्त है, जो इतनी बड़ी मात्रा में सोने के गहने पूजा पंडाल में चढ़ाने आता है. सिर्फ एक ही पूजा पंडाल में इतने गहने क्यों चढ़ाये जाते हैं.

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सीबीआई को गौ-तस्करी और कोयला के काले कारोबार के लिंक का शक

सीबीआई (Central Bureau of Investigation) का कहना है कि इसी जिले में तारापीठ (शक्तिपीठ) मंदिर भी है, लेकिन वहां कभी इतने गहनों का चढ़ावा नहीं आया. अणुव्रत के काली मंदिर में प्रतिवर्ष स्वर्णाभूषण का वजन सीधे डबल हो जाता है. सीबीआई ने इन सब सवालों के जवाब तलाशने शुरू कर दिये हैं. सीबीआई को शक है कि इन स्वर्णाभूषणों के पीछे भी कहीं गौ तस्करी या कोयला के काला कारोबार का लिंक तो नहीं है?

रिपोर्ट – मुकेश तिवारी

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