दुर्गापुर.
सोशल मीडिया के दौर में बच्चे से लेकर बुजुर्ग हर कोई पुरानी संस्कृति को भूलता जा रहा है. वहीं आज भी कठपुतली से बने सामानों के प्रति बच्चों का रुझान रहता है. बच्चे कठपुतली या उस तरह के सामान देखकर सहज ही आकर्षित हो जाते हैं. दुर्गापुर के सागरभांगा इलाके में इस बार कठपुतली की तर्ज पर मंडप और देवी-देवताओं की प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है. जो बच्चों के साथ बड़ों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होगा.पूजा आयोजन की थीम ‘पुतुलबाड़ी’
सागरभांगा स्थित गोपीनाथपुर सार्वजनिन दुर्गा पूजा कमेटी की ओर से इस वर्ष दर्शनार्थियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए 80 फूट के ‘पुतुल बाड़ी’ (कठपुतली वाला मंडप ) का निर्माण किया जा रहा है. जहां मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ-साथ लक्ष्मी, गणेश, कार्तिक और सरस्वती की मूर्तियां कठपुतलियों की तर्ज पर बनायी जा रही हैं. प्रतिमाओं का निर्माण कृष्णानगर के कलाकार कर रहे हैं. पूजा कमेटी अध्यक्ष अतनु पाल और सचिव अरिजीत पाल ने कहा कि सागरभंगा प्राचीन गांव है. यहां गोपीनाथ चट्टोपाध्याय नामक जमींदार हुआ करते थे. गोपीनाथ के पुत्र दुर्गाचरण चट्टोपाध्याय के नाम पर ही इस शहर का नाम दुर्गापुर रखा गया था. दुर्गापुर के इतिहास में गोपीनाथ चट्टोपाध्याय का अहम योगदान है. दुर्गा पूजा पहले केवल जमींदार चट्टोपाध्याय के घर में ही होती थी, पूजा में सभी वर्गों और जातियों के लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे. गांव के विकास और लोगों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए 37 साल पहले घर की इस पूजा को सार्वजनिक दुर्गा पूजा का रूप दिया गया.हर वर्ष अनोखी थीम पर बनाया जाता है मंडप
उपाध्यक्ष महादेव पाल और सुरंजन प्रमाणिक ने कहा कि हर वर्ष नयी और अनोखी थीम से सुर्खियां बटोरी जाती हैं. तीन वर्ष पहले ‘मधुमक्खियां’ की थीम पर बना मंडप बेहद लोकप्रिय हुआ था. बीते वर्ष ‘राजस्थान का शाही हाथ पंखा’ के तर्ज पर बने मंडप ने दर्शकों का मन मोह लिया था. इस वर्ष पूजा की थीम का उद्देश्य बच्चों का मनोरंजन करना है. यह न सिर्फ बच्चों, बल्कि हर उम्र के लोगों के लिए काफी दिलचस्प होगा. इस बार लकड़ी पर मिट्टी का लेप करके करीब 15 मॉडल बनाये जा रहे हैं. जिनमें मां दुर्गा की मूर्ति होगी. होगला, बांस और पत्तियों तथा मिट्टी के बर्तनों सहित विभिन्न उपकरणों से मंडप सजाया जा रहा है. उम्मीद है कि इस बार भी मंडप और प्रतिमा दर्शकों को आकर्षित करने में सफल रहेगी. पूजा आयोजक वरुण चट्टोपाध्याय ने कहा कि इस वर्ष पूजा का उद्घाटन पंचमी के दिन किया जायेगा. पूजा की विशेषता कुमारी पूजा रहती है. हर दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ अष्टमी के दिन लगभग 100 महिलाएं सिंदूर खेलती हैं. साथ ही भोग का भी वितरण किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है