दुबई में बैठे आका भारत में करा रहे साइबर ठगी, खुद को अकाउंट कलेक्टर बता रहे गिरफ्तार हुए शातिर
मामले में दिल्ली से गिरफ्तार प्रतीक भालचंद्र गावास ने प्राथमिक पूछताछ में पुलिस को बताया कि इंडिया में वे लोग उसके एजेंट हैं, जो अकाउंट कलेक्टिंग का काम करते हैं.
प्रतीक को पेश किया गया फैजाबाद अदालत में, मिली चार दिनों की ट्रांजिट रिमांड शनिवार को कोर्ट में पेश किये जायेंगे दिल्ली से पकड़ाये अन्य दो आरोपी सुनील गुप्ता व निखिल रोहतगी
आसनसोल. आसनसोल साउथ थाना क्षेत्र के समीरन राय रोड इलाके के निवासी को सात दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके 1,03,85,000 रुपये लूटने का सरगना दुबई में बैठा हुआ है. वहीं से बैठ कर पूरी साइबर ठगी को अंजाम दिया. मामले में दिल्ली से गिरफ्तार प्रतीक भालचंद्र गावास ने प्राथमिक पूछताछ में पुलिस को बताया कि इंडिया में वे लोग उसके एजेंट हैं, जो अकाउंट कलेक्टिंग का काम करते हैं. ठगी का पैसा इन्हीं अकाउंट्स में आता है, उसके बाद अन्य जगहों पर ट्रांसफर कर दिया जाता है. प्रतीक को शुक्रवार को फैजाबाद अदालत में पेश करके ट्रांजिट रिमांड की अपील की गयी. अदालत ने चार दिनों की ट्रांजिट रिमांड मंजूर की. इस मामले में ही 29 जनवरी को दिल्ली में गिरफ्तार निखिल रोहतगी और सुनील गुप्ता को शनिवार को आसनसोल जिला अदालत में पेश किया जायेगा. इन्हें भी चार दिनों की ट्रांजिट रिमांड पर पुलिस लेकर आ रही है. प्रतीक को सोमवार तक कोर्ट में पेश किया जा सकता है.गौरतलब है कि समीरन राय रोड इलाके के निवासी व पूर्व दूरदर्शन कर्मचारी चंचल बंधोपाध्याय को साइबर अपराधियों ने सात दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके 1,03,85,000 रुपये ठगी की थी. 18 जनवरी 2025 को साइबर क्राइम थाना आसनसोल में इसकी शिकायत दर्ज हुई थी. 72 घंटे के अंदर ही पुलिस ने दो आरोपियों देवघर का डी. आनंद और भाटपाड़ा का निवासी वी.संजय कुमार को गिरफ्तार किया. ठगी के राशि का 68 लाख रुपये आनंद के खाते में और पांच लाख रुपये संजय के खाता में गया था. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे अपना बैंक खाता किराया पर दिया था. इनकी निशानदेही पर पुलिस ने शाहजहांपुर (यूपी) जिला के बहादुरगंज इलाके के निवासी नवजीत सिंह और पेसवारी इलाके निवासी ज्योतिन शर्मा, कोलकाता हरिदेवपुर इलाके की निवासी सुकृति चक्रवर्ती और भाटपाड़ा का निवासी राशिद खान को गिरफ्तार किया. यूपी के दोनों आरोपियों ने भी अपना बैंक खाता किराया पर दिया था. सुकृति और राशिद दोनों अकाउंट कलेक्टिंग का काम करते थे. दोनों एक दूसरे को अपना बॉस बता रहे हैं. पुलिस को उलझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. कांड से जुड़े सारे आरोपियों के गिरफ्तारी के बाद ही पुलिस को गुत्थी सुलझाने में आसानी होगी.
इन्वेस्टमेंट स्कैम का जाल बिछा कर फंसाये जा रहे लोग
पिछले वर्ष इन्वेस्टमेंट स्कैम में 75 लाख रुपये की ठगी के एक मामले में जांच के क्रम में पहली बार खुलासा हुआ कि इस कांड को दुबई और कंबोडिया में बैठे साइबर अपराधियों ने अंजाम दिया है. डिजिटल अरेस्ट के जरिये 1.04 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में भी दुबई से बैठकर कांड को अंजाम देने की बात सामने आयी है. दिल्ली में पकड़ा गया प्रतीक भालचंद्र गावास को इस कांड का मुख्य आरोपी माना जा रहा था. जिसे पकड़ने के लिए पुलिस की टीम को काफी परेशानियां झेलनी पड़ी, आखिरकार गुरुवार को पुलिस ने उसे पकड़ लिया. पकड़े जाने के बाद प्राथमिक पूछताछ में पुलिस को चौकाने वाली जानकारी मिली कि वह सिर्फ एक अकाउंट कलेक्टर है. इस कांड के मुख्य आरोपी दुबई में बैठे हुए हैं. हालांकि पुलिस को वह कितना सच बता रहा है, इसकी भी जांच पुलिस कर रही है. अबतक पकड़े गये कुल नौ आरोपियों में चार आरोपियों के खाते में ठगी का पैसा गया था. वे लोग अपने अकाउन्ट को किराया पर दिया था. बाकी पांच आरोपी एक दूसरे से जुड़े हैं और किसका क्या रोल है? इनको पता है. सभी को जब एक जगह बैठाकर पूछताछ किया जाएगा. इस दौरान पुलिस को कुछ पुख्ता जनाकारी मिलने की उम्मीद है.
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