पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला के रामपुरहाट स्थित बागटुई नरसंहार (Bagtui Killings) मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. सभी लोगों को रामपुरहाट महकमा अदालत में पेश किया गया. कोर्ट ने सभी को 10 दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया. बता दें कि 21 मार्च 2022 को बीरभूम जिला के बागटुई गांव में महिला एवं बच्चों समेत 9 लोगों को जिंदा जला दिया गया था.
सीबीआई ने 8 लोगों को किया गिरफ्तार
जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनके नाम नूर अली, शेर अली शेख, बिकिर अली शेख, आसिफ शेख, जासिफ शेख, सैदुल शेख और जमिनुल शेख हैं. इनके अलावा छोटा लालन शेख को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया है. भादू शेख की मौत के मामले में छोटा लालन आरोपी है. इस तरह सीबीआई ने बागटुई नरसंहार केस में सोमवार की रात से मंगलवार तक कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया है.
सीबीआई ने 70 लोगों को किया था नामजद
कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले की जांच शुरू की थी. शुरुआती जांच में केंद्रीय जांच एजेंसी ने 70 लोगों को नामजद किया था. इनमें से 28 लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था. जैसे-जैसे गिरफ्तारियां होती गयीं, नये-नये तथ्य जांच एजेंसी के सामने आने लगे.
साजिश के तहत घटना को दिया गया था अंजाम
जांच के दौरान पता चला कि योजनाबद्ध तरीके से कुछ लोगों को निशाना बनाया गया. इसके लिए बाकायदा पहले ही पेट्रोल मंगवा लिये गये थे. लोगों के घरों को बंद करके पेट्रोल छिड़कर उसमें आग लगा दी गयी थी. ई-रिक्शा (टोटो) के मालिक रिटन शेख ने मीडिया को बताया था कि लालन शेख के भतीजे डॉलर शेख के कहने पर वह पेट्रोल लेकर आया था.
भादू शेख की हत्या के बाद बागटुई में हुई थी आगजनी
ज्ञात हो कि बीरभूम जिला के रामपुरहाट एक ब्लॉक अंतर्गत बदशाल ग्राम पंचायत के बागटुई ग्राम निवासी उप प्रधान व तृणमूल कांग्रेस के जुझारू नेता भादू शेख की बम मारकर हत्या के बाद इलाके में तनाव उत्पन्न हो गया. बदमाशों ने देर रात ही गांव के 10-12 घरों को फूंक दिया. दमकलकर्मियों ने बताया था कि 12 शव बरामद हुए हैं, लेकिन पुलिस ने बताया कि 8 लोगों की मौत हुई है. एक महिला ने बाद में इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया.
हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई सीबीआई जांच
इस हृदयविदारक घटना के बाद एसडीपीओ और रामपुरहाट के थाना प्रभारी को उनके पद से हटा दिया गया. जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन कर दिया गया. लेकिन, मामला हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने इस घटना की सीबीआई जांच के आदेश दिये.